गुरुग्राम के जिला नागरिक अस्पताल में- न चाइल्ड फ्रेंडली डेस्क बनी, न पोर्टा टॉयलेट लगे

गोमती तोमर ,
गुरुग्राम के जिला नागरिक अस्पताल में सुविधाओं को बढ़ाने और वहां आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज और सुविधाएँ मुहीम कराने की योजना मानो ठप ही हो गयी है। यहाँ आने वाले मरीजो को बेहतर सुविधाएं देने की योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रहीं हैं तीन महीने पहले अस्पताल में चाइल्ड फ्रेंडली डेस्क बनाने और पोर्टा टॉयलेट लगवाने के फैसलों पर अब तक अमल नहीं किया जा सका है।हलाकि ऐसी बहुत सी योजनाए हॉस्पिटल के लिए बनती बिगड़ती रहती है लेकिन इस योजना पर उम्मीद थी की जल्द ही काम होगा।क्योकि इस तरह की योजनाओं को लागू करने के लिए अस्पताल में स्वास्थ्य कल्याण समिति (एसकेएस) नामक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी के पास छोटे-मोटे काम अपने स्तर पर करवाने के अधिकार भी इन्हे दिए गए है ताकि ये किसी बड़े अधिकारी का इंतज़ार न करे और इन्हे आवश्यक लगे तो छोटे मोटे फैसले ये कूद ले कर उस काम को परवान चढ़ा दे।इसके चलते इस बात का भी ध्यान रखा गया की समिति के बैंक खाते में भी कोई कमी न रहे जिसके चलते किसी काम में पैसे की वजह से कोई बाधा आये। मगर प्रशासनिक काम देखने वाले स्टाफ में काम करने की दिलचस्पी न होने से सुविधाओं में सुधार नहीं हो सका है। अप्रैल में लिए गए फैसलों के मुताबिक वाटर टैंक, डस्टबिन आदि के ही काम हो पाए हैं।
जिला नागरिक अस्पताल में कोई सुधार न आने की व

जह से पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। यह समिति कम बजट वाले या रखरखाव के कामों को अपने स्तर पर ही निपटा लेने में सक्षम रहे इसकी पूरी अथॉर्टी इन्हे सौंपी गयी है बावजूद इसके इन कार्यो में इतना विलम्ब हो रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को ओपीडी कार्ड, ब्लड़ टेस्ट, एक्स-रे या अन्य तरीकों से जो पैसे लिए जाते हैं, वे एसकेएस की बैंक खाते में जमा होते हैं। अभी एसकेएस के बैंक खाते में सात करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा है।देखा जाए तो पैसो की कमी नहीं है यहाँ पर करने वालो की नियत की कमी के चलते जनता को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। अप्रैल महीने में तत्कालीन पीएमओ डॉक्टर प्रदीप शर्मा ने एसकेएस के मेंबर रहते कई सुविधाओं में सुधार के लिए गायनी वॉर्ड में अस्थाई पोर्टा टॉयलेट लगवाने, छोटे बच्चों को इलाज में देरी न हो के लिए चाइल्ड फ्रेंडली डेस्क, इमरजेंसी में तैनात महिला डॉक्टरों की सेफ्टी के लिए मिर्ची स्प्रे, सिक्योरिटी गार्ड को वेतन देने, नए सीसीटीवी और सायरन लगवाने की योजना बनाई थी।ये वो योजनाए थी जिससे आने वाली जनता को कोई असुविधाएं न हो और वह अपना इलाज आराम पूर्वक करवा सके लेकिन ये इधर उनका भी तबादला हो गया और उनके द्वारा बनाई सभी योजना का भी मानो तबादला हो गया हो आज इन सब योजनाओ पर कोई कार्य नहीं होता दिहाई पड़ रहा।
नोडल अधिकारी एसकेएस डॉक्टर नीरज यादव ने कहा कि पोर्टा टॉयलेट के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से दो बार टेंडर निकाले गए।जिसमे टेंडर के लिए केवल एक ही कंपनी आगे आई। नियमानुसार किसी कंपनी या एजेंसी को काम अलॉट करने के लिए कम से कम तीन कंपनियों के आवेदन मिलने चाहिए। तीन कंपनियों से कोटेशन लेकर कम पैसे वाली कंपनी को काम अलॉट किया जाता है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही काम शुरू किया जाएगा।अब ये भी जनता को ही भुगतना होगा की किसी एक ने ही टेंडर क्यों भरा बाकी कम्पनिया सामने क्यों नहीं आयी। हमारे देश में यदि रिंग में खिलाड़ी अकेला बच जाए या उसके सामने कोई दूसरा खेलने न आये तो उसे ही विजय घोषित कर दिया जाता है लेकिन अकेली कम्पनी टेंडर भरे तो उसे टेंडर भी नहीं दिया जाता।यहाँ सवाल जनता की सुविधा उपलब्ध कराने का है या टेंडर वालो की भीड़ इक्कट्ठी करने का। जनता सफर करे तो करे सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती।

 

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