पवन राजपूत
क्यों पुरुषों को महिला को उसके हर गलत काम के लिए दोष देना आसान लगता है ?
क्यों वासना भरे मनोरोगियों द्वारा बलात्कार किया जाता है,ओर समाज दोष महिला को देता है,क्यों महिला का तिरस्कार किया जाता ,क्यों हर बार महिला को ही समझौता करना पड़ता है?
क्यों महिला पति द्वारा पीटकर घर की ही चार दिवारी में घुटते रहने को मजबूर हो जाती?
क्यों कहा जाता है, नार नहीं नोरंगी है, ढकले तो सारे कुल को ढकले वरना न,,,,,,,,,,की न,,,,,,,, ग है। क्या पुरुष समाज में महिला को शान से जीने का अधिकार नहीं है। क्यों हर बार महिलाओं को ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है। क्या दोष था माता सीता का अपहरण किया रावण अग्नि परीक्षा माता सीता को देनी पड़ी अग्नि परीक्षा के बाद भी उनको सामाजिक बहिष्कार को झेलना पड़ा। क्या दोस्तों माता अहिल्या का जिन्हें श्रापित कर पत्थर की शिला बना दिया गया। लेकिन आज दौर दूसरा है महिलाओं के पास बहुत से कानूनी अधिकार हैं।
आज सवाल आज के हिसाब है
क्या इसके लिए महिला खुद कम जिम्मेदार है?
आज जरूरत है महिला को जागरूक होने की,अपने हक के लिए आवाज उठाने की,महिला कहीं भी पुरुषों से कम नहीं है हर क्षेत्र में महिला पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है।फिर क्यों गंदी मानसिकता का शिकार है?
क्यों महिला साहस नहीं जुटा पाती,क्यों सही से अपना पक्ष नहीं रखती।क्यों पुरुषों की मानसिकता में (औरत) महिला पर भरोसा नहीं क्यों ये सोचता है कि औरत कब धोखा दे दे पता नहीं चलता।आज जरूरत है इस मानसिकता को बदलने की क्या धोखा महिला ही देती हैं,पुरुष धोखा नहीं देता।क्यों समाज में होती है कन्या भ्रूण हत्या ,यहां पर एक सवाल उठता क्या यहां महिला जिम्मेदार नहीं है जो भ्रूण हत्या करा रही मां महिला नहीं है,जो उसको प्रेरित या मजबूर करती वो सास महिला नहीं है,क्या जो डॉक्टर इलाज (भ्रूण हत्या) करती है वह महिला नहीं है।
आज महिला सशक्तिकरण के आधार पर महिलाओं को बहुत से अधिकार दिए गए हैं जिससे सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक,ओर कानूनी मुद्दों पर,समान वेतन अधिकार,कार्यस्थल पर मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी कार्यवाही का अधिकार,संपत्ति अधिकार , हमें समझना होगा महिला शक्तिशाली है तो समाज शक्तिशाली है।जो महिलाएं जागरूक हैं वो अपने अधिकार के लिए आवाज बुलंद करती।
इसके एक और पहलू पर भी जिसपर प्रकाश डालना जरूरी है,जो महिलाएं जागरूक हैं कुछ महिलाएं इसका दुरुपयोग करती जिसके कारण महिलाओं की छवि धूमिल होती है जैसे अपने अधिकार का दुरुपयोग किसी लालच के वशीभूत हो पुरुषों को अपना शिकार बनाती हैं।
नारी कब तक रखेगी तन मन गिरवी ?
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