शंघाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य एशिया के पांच देशों और रूस के ऊफा में ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद पहुंच गए हैं। हाल के वर्षों में तो उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान जैसे देशों के साथ कूटनीतिक स्तर पर बहुत कुछ होता नजर नहीं आया है।
वह इनसे नए सिरे से बात करना चाहते हैं, तापी गैस पाइपलाइन पर बात करना चाहते हैं, व्यापार और व्यापार संबंध बढ़ाने, कनेक्टिविटी पर बात करना चाहते हैं। इसके अलावा चरमपंथ पर भी उनकी वार्ता होगी। मध्य एशिया के यह देश जब सोवियत संघ का हिस्सा थे, तब भारत की इन इलाकों में काफी रुचि थी। कजाकस्तान, उजबेकिस्तान से कई परियोजनाएं भारत आई थीं- बड़े निर्माण उद्योग, सामूहिक खेती, बांध जैसे क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता थी। सोवियत संघ के टूटने के बाद भारत के संबंध रूस से तो बरकरार रहे लेकिन मध्य एशिया के दूसरे देशों पर उतना ध्यान नहीं दिया। नेहरू के बाद संभवतः नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो मध्य एशिया के इन सभी देशों की यात्रा पर जा रहे हैं।
मध्य एशिया में नई इबारत लिखना चाहेंगे मोदी
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