Thursday, May 9, 2024
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पत्रकारिता में विशिष्ट योगदान हेतु डॉ ‘मानव’ हुए सम्मानित

डॉ. सत्यवान सौरभ

 

पत्रकारिता क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु वरिष्ठ साहित्यकार, शिक्षाविद् तथा हरियाणा के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक डॉ रामनिवास ‘मानव’ को रेवाड़ी से प्रकाशित दैनिक त्रिनेत्र द्वारा सम्मानित किया गया है। त्रिनेत्र की‌ 17वीं वर्षगांठ पर सैंडपाइपर टूरिस्ट काॅम्पलेक्स, रेवाड़ी के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में कोसली के विधायक लक्ष्मणसिंह यादव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी के चेयरमैन डॉ वेदप्रकाश यादव, चाणक्य मंत्र पत्रिका के संपादक धर्मपाल धनखड़ तथा त्रिनेत्र के संपादक हंसराज वर्मा द्वारा उन्हें शाॅल और स्मृति-चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान प्राप्त डॉ ‘मानव’ ने पत्रकारिता की शुरुआत 48 वर्ष पूर्व, सन् 1975 में आपातकाल के दौरान, कुरुक्षेत्र से दैनिक वीर प्रताप के संवादाता के रूप में की थी। तब यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एमए (अंग्रेजी) के छात्र थे। तत्पश्चात् यह दैनिक ट्रिब्यून तथा लोकवार्ता न्यूज़ एजेंसी से भी जुड़े रहे। साथ ही, इन्होंने पानीपत की त्रैमासिक पत्रिका अरुणाभ, हिसार के पाक्षिक पत्र पक्षधर, साप्ताहिक अंशुल आवाज और सांध्य दैनिक नित्य हलचल का संपादन भी किया। हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता में भी डाॅ ‘मानव’ ने महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला की पत्रिका हरिगंधा के दोहा विशेषांक (दो बार), पंजाबी संस्कृति (हिसार) के दोहा और लघुकथा विशेषांक, (उन्नाव, उत्तर प्रदेश) की अनुमेहा के गजल और लघुकथा विशेषांक, संयोग साहित्य (मुंबई, महाराष्ट्र) के हरियाणा कविता-विशेषांक, साहित्य परिवार (नडियाद, गुजरात) के शोध-समीक्षा विशेषांक, प्राची (नई दिल्ली) के वैश्विक हिंदी-लघुकथा विशेषांक तथा सारा (राजगढ़, राजस्थान) के तांका विशेषांक का सौजन्य संपादन इन्होंने किया है। हाल ही में डॉ ‘मानव’ को टोक्यो (जापान) से प्रकाशित हिंदी की गूंज पत्रिका का सह-संपादक नियुक्त किया गया है। लगभग अर्द्धशती के पत्रकारिता-संबंधी अपने अनुभवों को साझा करते हुए डॉ ‘मानव’ ने कहा कि विगत पांच दशकों में हिंदी-पत्रकारिता के स्वरूप और स्थिति में बहुत परिवर्तन आया है।
आज प्रिंट मीडिया व्यावसायिकता के दबाव और इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया की चुनौतियों से जूझ रहा है। लेकिन जो हिंदी-पत्रकारिता अंग्रेजों के दमन और आपातकाल के आतंक का सामना करने में सफल रही, वह समकालीन चुनौतियों का मुकाबला करने में भी सक्षम होगी, ऐसा विश्वास-पूर्वक कहा जा सकता है। अंत में डॉ ‘मानव’ ने स्पष्ट किया कि निष्पक्ष, रचनात्मक और जनसापेक्ष पत्रकारिता ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ‌का भविष्य तय करेगी।

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