नेहा राठौर
आज यानी 11 जनवरी को कई देशों में स्टेप इन ए पुडल्स एंड स्प्लैश यू डे मनाया जाता है। इसका मतलब है पोखर (पानी से भरा गढ्ढ़े) में छलांग मारना। अनोखा है न? इस दिन को बच्चे, व्यस्क या बुढ्ड़े कोई भी मना सकता है। इस दिन का उद्देश्य अपने बचपन की यादों को ताजा करना है। बचपन में जब दोस्तों के साथ गढ्ढे में कुदते थे तो कपड़े गंदे होने पर घर पर बहुत डाट खानी पड़ती थी और ये सिर्फ भारत में ही नहीं हर देश के बच्चों के साथ होता है। हां, तरिका अलग हो सकता है। भारत का तो सब जानते है। कैसे मम्मी की डाट के साथ पिटाई मुफ्त में मिलती थी। लेकिन दुसरे देशों में कम डाट पड़ती होगी।
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इस दिन की एक खास बात है। इस दिन कुछ भी करो, कितने भी कपड़े गंदे करो, दोस्तों के ऊपर छपाक से पानी डालो कोई कुछ नहीं कहेगा, पर हां बचाव के लिए तैयार रहना पड़ता है। क्योंकि दोस्तों के साथ क्या होता है कि अगर आपने अपने दोस्त के ऊपर पानी डाला, तो हो सकता है उससे ज्यादा पानी आपके ऊपर डाला जाए इसलिए बचाव के लिए तैयार रहना जरूरी है।
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स्टेप इन ए पुडल एंड स्प्लैश योर फ्रेंड्स डे का इतिहास
स्टेप इन ए पुडल एंड स्प्लैश योर फ्रेंड्स डे के बारे में सबसे पहले 2011 में पता चला था। उस साल, अनीता सिल्वे के “चिल्ड्रेंस बुक-ए-डे पंचांग” को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया था और एक साल बाद प्रिंट में किया गया था। सिलवे बच्चों के साहित्य के एक स्थापित लेखक और साहित्यिक आलोचकों में से एक हैं।“चिल्ड्रेंस बुक-ए-डे पंचांग” के प्रकाशन में बच्चों की किताबों पर एक दैनिक निबंध है। किताब के 2012 संस्करण के लिए, वह 11 जनवरी के लिए स्टेप इन ए पुडल एंड स्प्लैश योर फ्रेंड्स डे के बारे में बताती है।अपने पंचांग में उस तिथि के पेज पर, वह नोट करती है कि यह उन लोगों द्वारा मनाया जाता है जो बर्फ और बर्फ रहित जगहों पर रहते हैं।
मनाना बहुत आसान है
इस दिन को मनाना बहुत आसान है। आप अपने दोस्तों के साथ बाहर जाए और पोखर में उनके साथ छलांग लगाए, जरूरी नहीं की कपड़े गंदे करें, आप इसके लिए बूटस का भी इस्तेमाल कर सकते है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप बड़े हो या बच्चे। इस दिन को आप अपने दोस्तों के साथ दिल खोलकर मना सकते है। बिना किसी रोकटोक के। विदेशों में पोखर ढुंढ़ना पड़ सकता है या आप खुद भी अपने घर पर पोखर बना सकते है। लेकिन भारत में पोखर ढूंढना कोई मुश्किल काम नहीं होगा, क्योंकि यहां की हर सड़क पर कहीं न कहीं पोखर मिल ही जाएगा।
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