Thursday, April 25, 2024
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म्यांमार में सेना ने किया तख्तापलट

नेहा राठौर

भारत के पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी ख़बर सामने आई है। सोमवार को म्यांमार में वहां के नेता आंग सान सू की छापेमारी में गिरफ्तारी के बाद सेना ने सत्ता अपने हाथों में ले ली है। वहां सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति विन म्यांत और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है, इसके बाद देश की सेना के टीवी चैनल पर कहा गया कि देश में एक साल तक आपातकाल रहेगा।

सड़कों पर तैनात सैनिक

म्यांमार की राजधानी नेपीटाव और मुख्य शहर यंगून में सड़कों पर सैनिकों को तैनात कर दिए गए हैं। बता दें कि म्यांमार में सरकार और सेना के बीच नवंबर में हुए चुनाव के नतीजों को लेकर बीते कुछ समय से तनाव चल रहा था। चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन सेना ने दावा किया है कि चुनाव में धोखाधड़ी हुई है। माना जा रहा है कि ये कदम सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है, जो चुनाव के बाद भड़की हुई है।

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बताया जा रहा है कि सेना ने आंग सान सू की को हाउस अरेस्ट के तहत हिरासत में ले लिया है। इतना ही नहीं म्यांमार की राजधानी में संचार के सारे माध्यमों को बैन कर दिया गया है और फोन और इंटरनेट सर्विस को भी निलंबित कर दिया गया है। इसी के साथ आंग सू की की पार्टी नेशनल लीग डेमोक्रेसी पार्टी तक एक्सेस को भी ख़त्म कर दिया गया है।

राजनीतिक तनाव

बता दें कि 8 नवंबर को आए चुनावी नतीजों में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83% सीटें जीत हासिल की थी। इस चुनाव को कई लोगों को आंग सान सू ची सरकार के जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा था। साल 2011 में सैन्य शासन ख़त्म होने के बाद से ये दूसरा चुनाव था, लेकिन म्यांमार की सेना ने इन चुनावी नतीजों पर सवाल खड़े किए हैं। सेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ शिकायत की गई थी, लेकिन सैना की शिकायत को खारिज कर दिया गया।

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देश में राजनीतिक तनाव उस वक्त पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इनकार नहीं किया था।

बुधवार को कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया, तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों(आर्मी की गाड़ियां) की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गयी।

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