Friday, April 26, 2024
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भाजपा कर रही है ‘डराने वाली’ चीजें: शीला

नई दिल्ली  केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश का मार्ग अपनाने और देश में सांप्रदायिक माहौल बनने पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि पिछले सात महीने में भाजपा सरकार जो कर रही है, वह बड़ी ‘डराने वाली’ बात है। शीला ने माना कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने आम आदमी पार्टी (आप) को कम आंका था, जिसने राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस का 15 साल गढ़ ढहा दिया दिया। देश में ‘सांप्रदायिक माहौल’ के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए 76 वर्षीय वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों के घर वापसी जैसे कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों से अल्पसंख्यकों में तनाव पैदा हो गया है जो बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह कहना उचित नहीं हो सकता कि उन्होंने अच्छा किया या बुरा। लेकिन उन्होंने जो कुछ बातें की हैं, वे डराने वाली हैं जैसे अध्यादेश का रास्ता अपनाना। तब, फिर संसद की क्या जरूरत? क्या वाकई अच्छे दिन आ गए। सांप्रदायिक माहौल जो उत्पन्न किए गए हैं, उसे देखिए। यह डरावना है।’’ वर्ष 1998 से वर्ष 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने कहा कि केंद्र में राजग सरकार के आने के बाद दिल्ली में सांप्रदायिक माहौल पर असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में 16-17 साल बाद दंगे हुए और चर्च जलाया गया।’’ भाजपा द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव में मोदी को पार्टी के चेहरे के रूप में पेश किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा किसी और चीज से ज्यादा मोदी को पेश कर रही है। मोदी दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहे। दिल्ली की जनता यह जानती है।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी के चुनावी गतिविधियों के केंद्र में रहने से भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करेगी, तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा नहीं मानती। मोदी ने चीजें हासिल कर ली हैं। वह प्रधानमंत्री बन गए हैं। बस बात खत्म। दिल्ली के मुद्दे भिन्न हैं।’’

मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं पेश करने पर कांग्रेस पर असर पड़ने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे कोई असर नहीं पड़ेगा। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में हम मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के ऐलान के बिना जीते थे। अपने भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि वह पार्टी नेतृत्व का निर्देश मानेंगी। शीला दीक्षित ने माना, ‘‘पिछले चुनाव में हमने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को कमकर आंका।’’ लेकिन इस बार कांग्रेस चुनाव का सामना करने के लिए अच्छी तरह तैयार है। पिछले चुनाव में आप ने 28 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस महज आठ सीटों पर सिमट गयी थी। खुद शीला दीक्षित आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से 25,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गयी थीं। उनके इस बयान पर मचे विवाद के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में आप का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक भाजपा का कभी समर्थन नहीं करेगी और उन्होंने बस एक तथ्य बताया था कि उनकी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं कहा कि कांग्रेस आप का समर्थन करेगी। मैंने बस यह कहा कि पार्टी सांप्रदायिक पार्टी का समर्थन नहीं करेगी जो भाजपा है।’’

 

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