Saturday, July 27, 2024
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दिल्ली सरकार पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगाया जुर्माना, प्रदूषण फैलाने के लिए लगा है जुर्माना

नई दिल्ली, 19 फरवरी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनलने आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार पर 6100 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना यमुना में गंदगी और जल प्रदूषण के लिए लगाया गया है। पिछले आठ सालों में हर वर्ष यमुना सफाई के लिए अलग से बजट आवंटित होता है, लेकिन बजट यमुना सफाई की जगह दस्तावेजों में पूरा हो जाता है। इसे लेकर अब बीजेपी और कांग्रेस  आम आदमी पार्टी और सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमलावर है। कांग्रेस ने तो यहां तक कह दिया है कि इसकी भरपाई आप के खातों से की जाए।

यमुना की सफाई के नाम पर 5500 करोड़ रुपये खर्च करके प्रदूषण मुक्त और साफ यमुना बनाने का ढिंढोरा पीटने वाले अरविंद केजरीवाल पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 6100 करोड़ का जुर्माना लगाया है। दिल्ली में यमुना का पानी जहरीला हो गया है, जबकि सीएम केजरीवाल विज्ञापनों के माध्यम से इसकी सफाई करने का दावा करके अपनी सरकार की वाहवाही पिछले 8 सालों से लूट रहे हैं। अब सवाल यह है कि केजरीवाल सरकार के निष्क्रियता और विफलताओं के कारण प्रदूषित हुई यमुना के जुर्माने का भुगतान जनता के खून-पसीने की कमाई से वसूले गए टैक्स से क्यों किया जाए?  यमुना इतनी प्रदूषित और गंदगी के कारण मैली हो चुकी है कि एनजीटी को यमुना सफाई में सरकार की निष्क्रियता के कारण 6100 करोड़ का जुर्माना लगाना पड़ा।

प्रदूषित यमुना के अलावा सीवर, प्रदूषण, कूड़ा प्रबंधन मामले में दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति बन चुकी है। दिल्ली जहरीली हवा में जीने और गंदा पानी पीने को मजबूर है। इसके लिए खोखले और बेबुनियाद मुफ्त की गारंटी देने वाले केजरीवाल जिम्मेदार हैं। केजीरवाल सरकार यमुना तक पहुंचने वाले नालों की सफाई समय पर करती तो आज यमुना की हालत यह नहीं होती। सरकार ने नालों को ट्रैप करने, सीवर लाइन से गाद निकालने, जेजे क्लस्टर में ड्रेनेज और उप-नालों के सफाई कार्य कभी समय सीमा निर्धारित करके मानकों के आधार पर नहीं किया। दिल्ली के लोगों के स्वच्छ यमुना के सपनों और यमुना की पवित्रता को केजरीवाल सरकार ने ध्वस्त कर दिया है। यमुना की गंदगी और जल प्रदूषण के कारण लगा जुर्माना कट्टर मानसिकता वाले केजरीवाल के शासन का कंलक साबित होगा।

 

बार बार हुई है एनजीटी के नियमों की अनदेखी

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर शहर की देख-रेख और दूसरी व्यवस्थाओं के रख-रखाव में कमियों के चलते जुर्माना लगाया हो। अक्टूबर 2022 में कूड़ा प्रबंधन और निपटारा नहीं करने की वजह से 910 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। इसे अरविंद केजरीवाल ने हठधर्मिता के चलते अभी तक जमा नहीं किया है।

-साल 2016 में यमुना किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के खिलाफ एनजीटी ने पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इस पर रविशंकर ने यमुना को हुए नुकसान का जिम्मेदार एनजीटी और केंद्र सरकार को ही ठहरा दिया था। उनका कहना था कि कार्यक्रम की इजाज़त तो उन्होंने ही दी। श्री श्री के इस बयान के खिलाफ एनजीटी में अवमानना याचिका दायर की गई थी।

-2016 में सितंबर में गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान मूर्ति विसर्जन के आदेशों की अनदेखी पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार और डीडीए को फटकार लगाई थी। एनजीटी ने पाया था कि यमुना को प्रदूषणमुक्त बनाने से जुड़े उसके आदेशों का उल्लंघन हो रहा है।

-सितंबर 2017 में ही दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन चुनाव में पेपर की बर्बादी को लेकर एनजीटी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी पर सख्ती दिखाई थी। दरअसल 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रेब्यूनल ने डूसू को पेपरलैस चुनाव कराने का निर्देश दिया था, लेकिन एनजीटी के इस निर्देश का पालन नहीं किया गया। जिसके बाद उसने डीयू प्रशासन और दिल्ली सरकार को चौबीस घंटे के अंदर बैनर-पोस्टर हटाने और नियमों की अनदेखी करने वाले प्रत्याशियों का नामांकन रद्द कर जुर्माना भी लगा दिया था।

-एनजीटी ने दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड को मार्च 2016 में रेलवे के सेफ्टी जोन में बसी करीब साढ़े चार हज़ार झुग्गियों को हटाकर पुनर्वास करने के लिए कहा था। लेकिन डीयूएसआईबी ने अदालत के फैसले को नज़रअंदाज़ कर दिया। जिसके बाद इस साल जून में एनजीटी ने उसपर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।

-2016 में जुलाई में एनजीटी ने हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को गैर निर्माण क्षेत्र घोषित किया था। साथ ही 500 मीटर के दायरे में कचरा फेंकने पर रोक लगा दी थी। लेकिन अपने आदेशों की अनदेखी होते देख एनजीटी ने अक्टूबर में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से अब तक उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगा था।

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