Saturday, May 18, 2024
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मैं बेटी की परवरिश क्यों करूं?

पवन कुमार 

घर में बच्चों की किलकारी सुनाई पड़ते ही घर का माहोल खुश्यों भरा हो जाता है रिश्तेदारों,परिचितों,पास पड़ोसियों द्वारा बधाइयों का तांता लग जाता है।लेकिन अक्षर देखने को मिलता है कि बेटी के जन्म के पश्चात कुछ घरों में खुशियों भरा माहौल गम में बदल जाता है क्यों?
यह सही है कि बेटी के जन्म के समय अगर सबसे ज्यादा खुशी किसी को होती है तो वह होता है पिता,अगर पिता बेटी के जन्म पर दुखी है तो इस पर विचार जरूरी हो जाता है।
कारण – एक समय था जब बेटी की भ्रूण हत्या के मामले बहुत ज्यादा संज्ञान में आते थे इस पर सरकार के सख्ती के साथ कानून लागू करने से भ्रूण जांच बंद हुई और भ्रूण हत्या के मामले कम हुए लेकिन जब इसकी तह तक पहुंचा गया तो कारण (1)दहेज जैसी कुप्रथा का डर,(2)वंश के आगे न बढ़ने का डर क्योंकि कुछ लोगों की धारणा है कि वंश को बेटा आगे बढाता है बेटी नही,बेटी होगी तो हमारा वंश नही चलेगा आदि।
आज भ्रूण हत्या तो न के बराबर है किन्तु सामाजिक व्यंगात्मक,यातनाओं क्रोधवश एक पिता द्वारा बेटी को सरेआम गोली मार देना, खुद को गोली मार लेना,या फिर किसी और तरीके(पिता का फांसी लगा देना,जहर खा लेना,पलायन)जैसे मामले बढ़े हैं हालाकि समाज या सरकार इस तरफ जागरूक नहीं है, और न ही इसकी तह तक जाकर मामले की गंभीरता को समझने की कोशिश कर रहें हैं इसी तरह चलता रहा तो फिर से कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में इजाफा होने की संभावना है आज वक्त रहते मामले की गंभीरता को नही समझा गया तो फिर कभी नही”” बहुत देर हो चुकी होगी।क्योंकि जिस कारण को इस लेख के माध्यम से हम आपके सामने लाना चाहते हैं वह वायरस की तरह हमारे देश,समाज में फल फूल रहा है।
मां बाप बच्चों की परवरिश में अपना प्यार ,पैसा,अपनी खुशियां तक लगा देते हैं और फिर एक दिन बच्चे युवावस्था में आते ही आधुनिकता की चकाचौंध में दिशाहीन होकर अपने भविष्य ,अपने मां बाप की खुशियों एवं मान सम्मान की परवाह न करते हुए भटकाव के मार्ग पर चलकर कुछ ऐसा कदम उठा ले रहे हैं जिसके कारण उनका भविष्य अंधकार की तरफ जा रहा है माता पिता का मान सम्मन दाव पर लगा है ,जब तक मां बाप को पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है,आज माता पिता बच्चों के घर बाहर जाने के बाद डरे होते हैं,विशेषकर बेटी के लिए कि स्कूल,कॉलेज,बाजार कहीं से भी दो मिनट लेट होने पर,हमारे बच्चे कहां होंगे,अभी आए क्यों नहीं?इसका विशेष कारण भविष्य से अनजान बच्चों के द्वारा उठाए गए गलत कदम एवं देश में बढ़ते बलात्कार,बाल बलात्कार,अपहरण हमारे देश में बलात्कार के आंकड़े 2020 बलात्कार एवं बलात्कार की कोशिश से जुड़े 1236 मामले,2021में 1681 मामले,2023 आठ मार्च तक 1770 मामले दर्ज किए गए।रोंगटे खड़े हो जाते हैं निर्भया केश को याद करते ही ऐसे में एक पिता का फिर वही सवाल में बेटी की परवरिश क्यों करूं?आज माता पिता के एक और चुनौती सामने खड़ी है,सोशल मीडिया पर खुद को नामचीन (पॉपुलर) बनाने के चक्कर में रील बनाने में बेटियां बहुत आगे हैं वो भी ठीक है परंतु अश्लील और भद्दी क्यों? इसके दुष्परिणाम कुछ भी हो सकते हैं।
आप देख सकते हैं माता पिता की आज्ञा या इच्छा जाने बगैर ही लड़के ,लाडिया कोर्ट मैरिज कर रहे हैं ,आज पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित लड़के,लड़कियां एक दूसरे के रिलेशनशिप में होते हैं जब तक माता पिता को पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है।
लेकिन यहां भी एक सवाल उठता है कि बेटी ही क्यों ? गलती तो किसी के बेटे की भी है तो मत भूलिए समाज की मानसिकता को जिस समाज में हम और आप भी रहते अर्थात हमारी आपकी मानसिकता भी यही है किसा का बेटा किसी की बेटी भगा कर या कोर्ट मैरिज करके लाता है ऐसे में आपकी हमारी मानसिकता ,चलो सही किया अपना घर बसा लिया,और उस लड़की के लिए अलग मानसिकता उस व्यक्ति की बेटी भाग गई,अरे इसके तो लक्षण ही ठीक नहीं थे,मां बाप ने ही दहेज देने (पैसे बचाने के) के चक्कर में भगा दी होगी आदि चर्चा समाज में चलेगी,और कुछ लोग तो मुंह पर ही बोल देते क्या आपको पहले दिखाई नही दे रहा था,और अगर बेटी नोकरी( जॉब)करती हो तो बेटी की कमाई खाओगे तो यही होगा।लेकिन उन माता पिता के दिल पर क्या बीत रही है उनकी मानसिक दशा क्या है इसपर कोई विचार नहीं करता ऐसे में कुछ माता पिता ज्यातर मामलों में एक पिता आत्म हत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।और दूरी तरफ हम,आप लोग लड़के को इस कार्य के लिए बधाई देने पहुंच जाते हैं।
उस बाप का फिर वही सवाल मैं बेटी की परवरिश क्यों करू?
ऐसा नहीं की सभी बेटियां ऐसी है वो भी बेटियां हैं जो अपने माता पिता का ही नहीं अपितु पूरे गांव, समाज,जिला,प्रदेश ,देश का नाम रोशन करती हैं, बारंबार सेल्यूट है इन बेटियों को और सलाह उन बेटियों को जो आधुनिकता की चकाचौंध में दिशाहीन होकर अपने भविष्य को अंधकार की तरफ ले जाते हुवे भटकाव का मार्ग चुनती हैं और अपना अपने माता पिता,अपने गांव ,समाज का, नाम खराब करती हैं उन्हे इन बेटियों से सीख लेनी चाहिए जो देश का नाम रोशन कर रही हैं।और समाज में भी जागरूकता की जरूरत है।बेटियों को अपनी सुरक्षा हेतु,अपने भविष्य , अपने एवं अपने माता पिता,गांव,देश के मान सम्मान के प्रति शारीरिक, मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण देना जरूरी हो गया है।साथ ही साथ बेटों को क्योंकि जिन लड़कियों का शोषण होता है,या जो लड़कियां गलत कदम उठाती हैं वो भी किसी भाई की बहन होती है,ओर जिसके द्वारा शोषण होता है,अथवा जिस लड़के की साथ वह गलत कदम उठाती है वह भी किसी लड़की का भाई होता है। ऐसे में लड़कों के लिए भी मानसिक प्रशिक्षण की जरूरत है अगर दोनो तरफ सुधार हो जाता है तो फिर कोई पिता यह नहीं कहेगा “मैं बेटी की परवरिश क्यों करूं?”

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