PMO के फर्जी अफसर Kiran Patel के पीछे कौन लोग ? 

Charan Singh

क्या पीएमओ का फर्जी अधिकारी बनकर कोई आम व्यक्ति जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में अधिकारियों के साथ मीटिंग ले सकता है ? अधिकारियों को हड़का सकता है ? सुरक्षा प्राप्त कर सकता है ? सरकारी खर्चे पर रह सकता है ? क्षेत्र में घूम सकता है ? जिससे भी पूछेंगे वह न ही कहेगा पर किरण पटेल नाम का एक व्यक्ति यह सब करने में सफल रहा। स्वभाविक है कि यह सब सत्ता से जुड़े लोगों की शह पर ही हुआ होगा। जानकारी के अनुसार इस व्यक्ति को फर्जी पीएमओ का अधिकारी बनने में संघ से जुड़े लोगों ने मदद की है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ये कौन-कौन लोग हैं ?  दरअसल ये सब लोग सत्ता के ही करीबी हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सत्ता के करीबी लोगों ने किरण पटेल को फर्जी पीएमओ का अधिकारी बनने क्यों मदद की ? क्या इसके पीछे बड़े धंधे का खेल था ? ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि इन लोगों पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? तो क्या पूर्व उप राज्यपाल सत्यपाल मलिक सही कहते रहे हैं कि संघ से जुड़ा कोई बड़ा नेता उनसे गलत काम करने का दबाव डाल रहा था ?

सत्यपाल मलिक ने यह भी कहा था कि उन्होंने पीएम मोदी से भी इस बात की शिकायत की थी और उन्होंने भी ईमानदारी बरतने की बात कही थी। तो क्या संघ के माध्यम से जम्मू कश्मीर में कोई बड़े खेल की तैयारी चल रही थी ? वैसे भी पीएमओ का अफसर बताकर घाटी में जेड प्लस की सुरक्षा में घूमने वाले गिरफ्तार ठग किरण पटेल को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गुजरात पुलिस को सौंप दिया है। दरअसल जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक महीने पहले श्रीनगर के होटल से किरण पटेल को गिरफ्तार किया था। पटेल पर अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक पीएमओ का फर्जी अफसर बताकर जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों के साथ गोपनीय मीटिंग करने का आरोप है। जानकारी मिल रही है कि किरण पटेल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से पूछताछ में कई खुलासे किये हैं।

गुजरात पुलिस की कार्रवाई के बाद कश्मीर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। किरण पटेल जम्मू-कश्मीर में कैसे ठगी के जरिये अपना रसूख कायम कर रहा था, इसको लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि किरण पटेल को बिना लिखित के सुरक्षा किसने दी ? इसकी भी जांच कराई जा रही है। दरअसल कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका किरण पटेल शुरुआत में वेब डिजाइनिंग का काम करता था। काम के दौरान ही उसने आरएसएस के पदाधिकारियों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया था। पटेल ने कई बार आरएसएस के लिए कार्यक्रम के आयोजन भी कराए। हालांकि संघ ने गुजरात में उसके सक्रिय सदस्य होने से इनकार कर दिया है। बताया जाता है कि संघ में पैठ बनाने के बाद किरण पटेल वेब डिजाइनिंग की नौकरी छोड़ ठगी के काम में उतर आया था। इसके लिए उसने कश्मीर को सबसे मुफीद माना और इसकी रणनीति तैयार करने लगा। किरण ने लॉकडाउन के दौरान एक संस्था बनाई थी, जिसके जरिये अहमदाबाद और आसपास कोरोना पीड़ितों को मुफ्त दवाइयां पहुंचाता था। किरण की दो  बेटियां भी हैं, जो ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं।

 

सितंबर 2022 में मिशन का खाका किया था तैयार, मकसद था कमीशनखोरी

दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2022 में गांधीनगर के एक बड़े होटल में ठगी के इस मिशन का प्लान तैयार हुआ था। किरण के साथ प्लान तैयार करने में 5  अन्य लोग भी शामिल थे। प्लान के तहत किरण को कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में जाकर काम की जमीन और सेब के बागान स्कैन करने का टास्क सौंपा गया। इनमें संवेदनशील इलाके भी शामिल थे। किरण पटेल को कश्मीर में बड़े ग्राहकों को भी खोजने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस पूरे मिशन का मकसद कमीशनखोरी था। गुजरात के व्यापारियों को कश्मीर में जमीन दिलवाकर किरण पटेल उसके बदले पैसा ऐंठता, लेकिन पुलिस ने उसे पहले ही शिकंजे में ले लिया। किरण पटेल हाई प्रोफाइल मामला बनाकर सबका विश्वास जीतने की कोशिश में जुटा था। सुरक्षा लेने के पीछे उसका मकसद व्यापारियों का भरोसा जितना था। किरण पटेल ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सुरक्षा के बीच जब वो लोगों से कुछ कहता था तो उन पर उसकी बातों का असर होता था।

संघ के पदाधिकारी से फोन लगवाया, पुलवामा डीसी ने सुरक्षा दी

सितंबर में प्लान तैयार करने के बाद किरण पटेल अक्टूबर में कश्मीर जाने की तैयारी करने लगा था, वहां सुरक्षा लेने के लिए उसने राजस्थान आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी का सहारा लिया। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक आरएसएस राजस्थान के पदाधिकारी त्रिलोक सिंह चौहान ने किरण पटेल को सुरक्षा देने के लिए पुलवामा उपायुक्त को फोन लगाया। संघ पदाधिकारी का फोन आने के बाद पुलवामा उपायुक्त बशीर उल हक चौधरी ने बिना नियमों का पालन किये किरण को सुरक्षा देने का मौखिक आदेश दे दिया।
दरअसल कश्मीर में सुरक्षा पाने के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखना होता है। उसके बाद यह लेटर डीजीपी कार्यालय भेजा जाता है। डीजीपी कार्यालय सत्यपित कर उसे एडीजी को भेजता है और फिर एसपी सिक्योरिटी प्रदान करता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि किरण पटेल ने इस काम त्रिलोक सिंह को ही क्यों चुना ? इस  मामले में संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि त्रिलोक सिंह जम्मू-कश्मीर में विस्तारक के रूप में काम कर चुके हैं और संवेदनशील जोन में उनकी मजबूत पकड़ थी।

अधिकारियों को मीटिंग में खूब फटकारा कुछ को दिया लालच 

अक्टूबर से मार्च तक 6 महीने के दौरान किरण पटेल ने कश्मीर के 4 दौरे किये। इस दौरान वह उरी, बारामुला, श्रीनगर और पुलवामा गया, कश्मीर में उसने अधिकारियों के साथ एक गोपनीय मीटिंग भी की। इस मीटिंग में एसडीएम स्तर के अधिकारियों की जमकर फटकार भी लगाई। किरण ने पहला दौरा साल 2022 में 25 और 27 अक्टूबर के बीच किया। उसे पुलवामा के डीसी ने सुरक्षा मुहैया कराई, जिसमें उसे सुरक्षा में उसे एक बुलेट प्रूफ गाड़ी, दो एस्कॉर्ट गाड़ियां, एक दर्जन एसएसबी गनमैन मिले। इस दौरान किरण पटेल बीजेपी के मीडिया प्रभारी और स्थानीय पत्रकारों से भी मिलता रहा था।
कश्मीर के दूसरे दौरे 6-8  फरवरी 2023 के दौरान किरण पटेल अपने साथ व्यापारी अमित पांडया को भी ले गया था। अमित के पिता गुजरात सीएमओ में अधिकारी थे। मामला उछलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। किरण पटेल इस दौरान कुलगाम और गुलमर्ग गया और उसने अमित पांडया और पुलवामा डीसी के बीच एक मीटिंग भी कराई। तीसरे दौरे में किरण पटेल बिजनेस को लेकर काफी कॉन्फिडेंट था। इस बार उसने टूरिज्म डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ ताबड़तोड़ मीटिंग की। अपने परिवार के साथ वह कश्मीर की कई झीलों को देखने गया।
हालांकि इस दौरे में उसका ठगी का नकाब उतरने लगा था। उस समय वह बडगाम के दूधपथरी में एक मीटिंग के दौरान एसडीएम और तहसीलदार पर डीसी के सामने बहुत जोर से चिल्लाया था। उसके हाव-भाव देखने के बाद बडगाम के डीसी सैयद फखरुद्दीन हामिद ने सीआईडी से इसकी जानकारी मांगी। सीआईडी ने छानबीन के बाद बताया कि किरण पटेल नाम का कोई व्यक्ति पीएमओ में है ही नहीं। इसके बाद किरण पटेल की गिरफ्तारी का जाल बुना गया।
चौथी बार कश्मीर आने के बाद किरण पटेल को अधिकारियों ने ज्यादा भाव नहीं दिये। 2 मार्च को श्रीनगर के ललित ग्रैंड होटल में जैसे ही किरण पटेल पहुंचा तो वहां पुलिस ने उसे धर-दबोचा। पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उसे आईएएस और आईपीएस में अंतर पूछ लिया, जिससे वो हड़बड़ा गया। फिर पुलिस ने उसे शिकंजे में ले लिया।

गिरफ्तारी के डर से फ्लश में बहाने लगा फर्जी विजिटिंग कार्ड

रिपार्ट के अनुसार होटल में किरण को गिरफ्तार करने के लिए एसपी श्रीराम के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था। टीम जब होटल के कमरे में पहुंची और उसे गिरफ्तार करने की बात कही तो किरण ने बाथरूम जाने का बहाना बनाया। अधिकारियों ने उसे बाथरूम जाने की इजाजत दे दी। लेकिन जब कुछ दे में वह नहीं लौटा तो पुलिस को शक हुआ। एसपी श्रीराम जब खुद बाथरूम में गए तो उन्होंने किरण पटेल को फर्जी विजिटिंग कार्ड को फ्लश में डालते हुए देखा तो उनको गिरफ्तार कर लिया।

अब आगे क्या ?

 

पीएमओ ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद की सारी फाइलें मंगाई

एक अखबार के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने गत दो साल में घाटी में जितनी भी जमीन खरीद की प्रक्रिया हुई है उसकी सारी फाइलें तलब की हैं। कश्मीर प्रशासन ने पूरे मामले की जांच का जिम्मा विजय कुमार बिधूड़ी, संभागीय आयुक्त को सौंपा है। विधूड़ी इस मामले में हुई चूक की रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपेंगे। रिपोर्ट आने बाद ही इस मसले पर आधारित कार्रवाई होगी।

गुजरात पुलिस ने खोला पुराना रिकार्ड, जारी करेगी क्राइम ब्रांच

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने किरण पटेल की पुरानी फाइलें खोल दी हैं। पुलिस ने बंगला मरम्मत के नाम पर 35 लाख रुपये समेत कई मामलों में दर्ज शिकायत की जांच फिर से शुरू की है। अहमदाबाद पुलिस इस मामले में किरण की पत्नी को पहले ही अरेस्ट कर चुकी है। जांच के बाद किरण पर कई और मुकदमे दर्ज किये जा सकते हैं।

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