काला धन पकड़ने की छापेमारी हो, नोटबंदी नहीं

नोटबंदी से देश आर्थिक अराजकता की स्थिति से गुजर रहा : अजय खरे

रीवा । समाजवादी कार्यकर्ता समूह के संयोजक अजय खरे ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा इधर ₹2000 की नोटबंदी करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के द्वारा जिस तरह से बचाव किया जा रहा ,वह बड़ी गलती पकड़े जाने पर 6 साल बाद दी जाने वाली सफाई है। मिश्र फरमा रहे हैं कि 2016 में ₹1000 और ₹500 की नोटबंदी के बाद मोदी जी ₹2000 के नोट जारी करने के पक्ष में नहीं थे लेकिन तात्कालिक परिस्थितियां ऐसी थीं इसके चलते उसे जारी करना पड़ा था। श्री खरे ने कहा कि ₹1000 और ₹500 के नोटों को काला धन का स्रोत बताकर बंद करने वाले मोदी जी के इच्छा के बगैर ₹2000 के नए नोट जारी करना संभव नहीं था। श्री खरे ने कहा कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का उनका फैसला अदूरदर्शी और हास्यास्पद था। जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा और वह आज तक ठीक नहीं हो पाई है।

इधर ₹2000 के नोट को भी जिस तरीके से बंद किया जा रहा है वह भी गलत है। काला धन पकड़ना है तो जमाखोरों के यहां छापामारी होना चाहिए, न कि नोटबंदी करके पूरी जनता को परेशान किया जाना चाहिए। नोटबंदी के दौरान यह देखने को मिला था कि बड़ी संख्या में गरीब लोग भी अपने पास सुरक्षित पूंजी के रूप में रखे ₹1000 और ₹500 के कुछ नोटों को बदलने के लिए बैंकों के कई बार चक्कर लगाने को मजबूर हुए थे। यदि ₹2000 के नोट गलत तरीके से अमीरों के पास हैं तो वहां छापामारी करना चाहिए न कि नोटबंदी करके देश की जनता को भटकने के लिए मजबूर करना चाहिए ।

श्री खरे ने कहा कि कर्नाटक में जब ₹2000 के नोट गरीब मतदाताओं के वोटों को खरीदने के लिए बांटे जा रहे थे तब नोटबंदी का सवाल सामने नहीं आया लेकिन जब इन नोटों का असर चुनाव में अनुकूल नहीं रहा तब नोटबंदी करके पूरे देश की जनता को बैंक की लाइन में लगा दिया गया। श्री खरे ने कहा कि गरीब के पास एक भी नोट ₹2000 का है उसे समय रहते यदि नहीं बदला गया तो उसके लिए काफी मुश्किल हो जाएगी। वर्तमान दौर में महंगाई इतनी अधिक है कि ₹2000 के नोट से किसी भी परिवार का महीने भर का खर्च नहीं निकल सकता है। ऐसी स्थिति में ₹2000 को नोट को चलन में रखने की जगह उसे बंद करना आर्थिक अराजकता की स्थिति निर्मित करना है।

अभी बैंकों में नोट बदली के दौरान ₹2000 के नोट के बदले ₹500 के 4 नोट देने होंगे। आख़िरकार पूरे देश भर में इतने बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई के खर्च की भरपाई कौन करेगा। श्री खरे ने आरोप लगाया कि नोटबंदी बड़े पैमाने पर नकली नोटों को खफ़ाकर बैंकों से असली नोट हासिल करके सत्ता के दलालों को मालामाल बनाने वाला गंदा खेल बन गया है। पिछली नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा कराए गए सारे नोटों को आखिरकार नष्ट कर दिया गया था। फिर क्या सबूत बचा कि जमा कराए गए ज्यादातर नोट असली थे या नकली ? नोटबंदी मूर्खता का नहीं बल्कि धूर्तता का काम है।

पिछली नोटबंदी के दौरान जिस तरीके से जमा कराए गए ₹1000 और ₹500 के नोटों को बहुत जल्दी बाजी में नष्ट किया गया उससे यह आशंका बलवती हुई कि कोई बड़ा राज दफन किया जा रहा है। श्री खरे ने कहा कि नोटबंदी महा घोटाला है। यह कटु सत्य है कि नोटबंदी के चलते देश आर्थिक अराजकता की स्थिति से गुजर रहा है।

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