Friday, May 3, 2024
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तो क्या क्षत्रिय ही दलित हैं ?

पहले तो राजा और राजपूत में अंतर समझना होगा और फिर राजपूत और क्षत्रिय में। दरअसल लोग नाम के आगे राजपूत लिखते ही रजवाड़ों से जुड़ा मान लेते हैं और क्षत्रिय लिखने से राजा महाराजाओं से जुड़ा मानने लगते हैं जबकि सच्चाई और कुछ है। आप मुंबई समेत देश के विभिन्न शहरों में जाकर देख लीजिये तो पाएंगे कि 50% रिक्शा चालक, टैक्सी चालक, ऑटो चालक, ट्रक चालक क्षत्रिय हैं। इनमें से अधिकतर यूपी और बिहार के क्षत्रिय हैं।
दक्षिण भारत सहित देश के विभिन्न राज्यों में क्षत्रियों की स्थिति बहुत कमजोर व अछूत सी है । विभिन्न जगहों पर लोगों के घरों में, फैक्ट्रियों में, कारखानों में, प्राइवेट कंपनियों में 70% काम करने वाले  कर्मचारी और नौकर व गार्ड सिक्योरिटी गार्ड क्षत्रिय हैं।

क्षत्रियों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहाँ और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं क्षत्रियों की और कम हो रही है।
क्षत्रिय भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण क्षत्रिय होने की वजह से इन किसानों को सरकार से उचित मुआवजा, लोन और बाकी रियायतें न मिलना रहा है। अधिकतर क्षत्रिय किसान कम आय की वजह से आत्महत्या या जमीन बेचने को मजबूर हैं।

क्षत्रिय छात्रों में “ड्रॉप आउट” यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे अधिक है। वर्ष 2001 में क्षत्रियों ने इस मामले में मुसलमानों को पीछे छोड़ दिया और तब से टॉप पर कब्जा किये बैठे हैं।

क्षत्रियों में बेरोजगारी की दर भी सबसे अधिक है। समय पर नौकरी/रोजगार न मिल पाने की वजह से 14% क्षत्रिय हर दशक में विवाह सुख से वंचित रह रहे हैं। यह दर भारत के किसी एक समुदाय में सबसे अधिक है। यह क्षत्रियों की आबादी लगातार गिरने का बहुत बड़ा कारण है।

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में  परिवार 500 रुपये प्रति महीने और तमिलनाडु में 300 रुपए प्रति महीने पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण बेरोजगारी और गरीबी है। इनके घरों में भुखमरी से मौतें अब आम बात है।

भारत में ईसाई समुदाय की प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 1600 रुपए, sc/st की 800 रुपए, मुसलमानों की 750 के आस पास है। पर क्षत्रियों में यह आंकड़ा सिर्फ़ 537 रुपये है और यह लगातार गिर रहा है। मुद्रा राक्षस का प्रभाव बढ़ रहा है
क्षत्रियों युवकों के पास रोजगार की कमी, प्रॉपर्टी की कमी के कारण सबसे अधिक क्षत्रिय लड़के लड़कियों के अरेंज विवाह में बहुत अड़चने और बहुत समस्याएँ आ रही हैं।
उपरोक्त आकंड़े बता रहे हैं कि क्षत्रिय कुछ दशकों में पिछड़ेपन के कारण वैसे ही खत्म हो जायेंगे। जो बचे खुचे रहेंगे उन्हें वह जहर खत्म कर देगा जो सोशल मीडिया पर दिन रात क्षत्रियों के खिलाफ गलत लिखकर नई पीढ़ी का ब्रेनवाश करके उनके मन में क्षत्रियों के प्रति अंध नफरत से पैदा किया जा रहा है।
: क्षत्रियों से कुछ यक्ष प्रश्न
1-क्षत्रिय एकजुट कैसे होंगे और कब होंगे?
2- क्षत्रिय एक दूसरे की सहायता कब करेंगे?
3-क्षत्रिय संगठनों में एकता कैसे होगी?
4-क्षत्रिय अपना वोट एक जगह कब देंगे?
5- क्षत्रिय क्षत्रिय का गुणगान कब करेंगे?
6-उच्च पदों पर बैठे क्षत्रिय अफसर, क्षत्रिय मंत्री, क्षत्रिय MP, MLA अपने निहित स्वार्थ से ऊपर उठ कर आम क्षत्रियों की बिना शर्त सहायता कब करेंगे?
7-गरीब क्षत्रियों की सहायता करने के लिए क्षत्रिय महाकोष का गठन कब होगा?
8-गरीब क्षत्रिय कन्याओं के सामूहिक विवाह के लिए और गरीब व अनाथ क्षत्रिय बच्चों की पढ़ाई का प्रबन्ध करने हेतु धनाढ्य क्षत्रिय कब आगे आएँगे।
9-क्षत्रिय आपस में लड़ना, झगड़ना,मारपीट करना, आपसी दुश्मनी, एक दूसरे की टांग खींचना,एक दूसरे के लिए खाई खोदना एक दूसरे के खिलाफ मनमुटाव, एक दूसरे के विरुद्ध छल कपट फरेब धोखा बेईमानी, साजिश षड्यंत्र रचना, झूठे मुकदमे, झूठी रिपोर्ट एफआईआर करना करवाना, झूठी गवाही देना, झूठी शान, झूठी फैशन, झूठी व स्वार्थ लालच व स्वहित से भरी नेतागिरी, दादागिरी, गुंडागर्दी, जुआ, शराब, मांस मदिरा का सेवन और तमाम फिजूलखर्ची कब बन्द करेंगे।
10-क्षत्रिय अपने चाल चरित्र चिन्तन,आर्थिक स्थिति पर कब ध्यान देंगे।
11-क्षत्रियों का सम्पन्न व बुद्धिजीवी वर्ग अपने क्षत्रिय समाज को सही सलाह देना, सही राह दिखाना, उचित परामर्श व मार्गदर्शन देना, क्षत्रिय बेरोजगार युवाओं को रोजगार नौकरी देना दिलाना, एक दूसरे की हर संभव मदद करना कब शुरू करेंगे।
इसका उत्तर आप सबसे एक क्षत्रिय समाज का यह सदस्य प्राप्त करना चाहता है!

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