बंद नहीं होने चाहिए भाषा के दरवाजे : मोदी

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी के महत्व को रेखांखित करते हुए आज कहा कि अगर उन्हें हिन्दी नहीं आती तो उनका क्या होता। साथ ही उन्होंने देश की हर मातृ भाषा को अमूल्य बताते हुए कहा कि हिन्दी उन सभी को साथ लाए और अपने को समृद्ध बनाए। मोदी ने यहां 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आगाह किया, ‘‘भाषा की भक्ति बहिष्कृत करने वाली नहीं होनी चाहिए बल्कि यह सम्मिलित करने वाली होनी चाहिए। सबको जोड़ने की होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि भाषा के दरवाजे बंद नहीं होने चाहिये क्योंकि जब जब ऐसा हुआ है वह भाषा विकसित होने के बजाय ठप्प हो गयी है। उन्होंने कहा कि भाषाशास्त्रियों का मानना है कि 21वीं सदी के अंत तक विश्व की 6,000 में से 90 प्रतिशत भाषाएं लुप्त हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम इस चेतावनी को नहीं समझे और अपनी भाषाओं के संरक्षण के प्रयास नहीं किये तो हमें ऐसा रोना पड़ेगा जैसे डायनासोर या कई अन्य जीवजन्तू एवं पेड़-पौधों की प्रजातियों के लुप्त होने पर रोना पड़ रहा है।

विकसित हो रही डिजिटल भाषाओं का जिक्र करते हुए मोदी ने विशेषज्ञों के हवाले से कहा, ‘‘आने वाले दिनों में डिजिटल दुनिया में अंग्रेजी, चीनी और हिन्दी का दबदबा बढ़ने वाला है।’’ मोदी ने कहा कि भारत में भाषाओं का अनमोल खजाना है। इन भाषाओं को हिन्दी से जोड़ने पर राष्ट्रभाषा और ताकतवर होती जायेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि देश की एकता के लिये हिन्दी सहित देश की भाषाओं की समृद्धि के लिये कभी हिन्दी-तमिल, कभी हिन्दी-बांग्ला, कभी हिन्दी-डोगरी की कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिये।

भारत में 32 साल बाद हो रहे विश्व हिन्दी सम्मेलन में लगभग 40 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मोदी के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, केन्द्रीय मंत्रियों में रविशंकर प्रसाद, डॉ. हर्षवर्धन, वीके सिंह, किरण रिजिजू, और मॉरीशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी आदि मंच पर उपस्थित थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार के हिन्दी महाकुंभ में हिन्दी भाषा पर बल देने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक भाषा होती है तब तक उसकी ताकत का अंदाजा लोग नहीं समझते लेकिन जब भाषा लुप्त हो जाती है और सदियों बाद उसका सुराग मिलता है और पुरातत्वविद् उन्हें पढ़ने का प्रयास करते हैं तब भाषा के संकट और उसके महत्व का अहसास होता है। उन्होंने कहा कि किसी पौधे या प्राणी की एक प्रजाति के लुप्त होने के कगार पर आने पर उसे बचाने के प्रयास में दुनिया अरबों रुपया खर्च करती है। इसी तरह भाषाओं का भी महत्व है और उन्हें लुप्त होने से पहले ही बचाने के प्रयास होने चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारी हिन्दी भाषा बड़ी संख्या में विदेशों में भी फैली हुई है और देश के सिने जगत ने फिल्मों के जरिये इसके विस्तार में बड़ा काम किया है। आने वाले दिनों में हिन्दी का महत्व और अधिक बढ़ने वाला है। उल्लेखनीय है कि इस बार विश्व हिन्दी सम्मेलन का समापन सत्र मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन के सम्बोधन से होगा। वह ‘‘अच्छी हिन्दी कैसे बोलें’’ विषय पर अपनी बात रखेंगे।

प्रधानमंत्री ने हिन्दी सहित देश की अन्य भाषाओं को उन्नत और समृद्ध बनाने का एक सुझाव यह भी दिया कि सबको धीरे धीरे यह आदत डालनी चाहिये कि देश की जितनी भी भाषाएं हैं उन्हें अपनी लिपि में लिखने के साथ ही देवनागरी लिपि में भी लिखा जाए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, विनोबा भावे और राजगोपालाचार्य आदि के इस प्रयास को अगर आगे बढ़ाया गया होता तो राष्ट्र एकता के लिये देश की सभी भाषाओं में समन्वय का काम हो चुका होता। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा का आंदोलन देश के गैरहिन्दी भाषी लोगों ने चलाया। मोदी ने कहा कि भाषा जड़ नहीं हो सकती है, जीवन की तरह भाषा में भी चेतना होती है। उन्होंने कहा कि किसी चीज के लुप्त हो जाने पर उसके मूल्य का पता चलता है। इसलिये हर पीढ़ी का दायित्व है कि वह अपनी समृद्ध करे और संजोये।

अपने खास मजाकिया अंदाज में हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मातृभाषा हिन्दी नहीं है, गुजराती है। लेकिन मैं सोचता हूं कि मुझे हिन्दी नहीं आती तो मेरा क्या होता।’’ लोगों के ठहाकों के बीच उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों तक कैसे पहुंचता, कैसे अपनी बात समझाता। भाषा की क्या ताकत होती है, मुझे भलीभांति ज्ञात है।’’ भारत का कद बढ़ने के साथ हिन्दी के प्रति दुनिया में बढ़ते रूझान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस भी देश में मैं जाता हूं वहां के लोग उनसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का जिक्र करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा और रूस के पुतिन भी टूटी फूटी हिन्दी में ही सही मुझसे ‘सबका साथ सबका विकास’ के बारे में पूछते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और डिजीटल होती जा रही है। हिन्दी और भारतीय भाषाओं को डिजीटल भाषाओं के अनुरूप कैसे बनाया जाये इस पर विचार करना हम सबका दायित्व है।

 

Comments are closed.

|

Keyword Related


link slot gacor thailand buku mimpi Toto Bagus Thailand live draw sgp situs toto buku mimpi http://web.ecologia.unam.mx/calendario/btr.php/ togel macau pub togel http://bit.ly/3m4e0MT Situs Judi Togel Terpercaya dan Terbesar Deposit Via Dana live draw taiwan situs togel terpercaya Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya syair hk Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya Slot server luar slot server luar2 slot server luar3 slot depo 5k togel online terpercaya bandar togel tepercaya Situs Toto buku mimpi Daftar Bandar Togel Terpercaya 2023 Terbaru