सत्यपाल मलिक ने कर दिखाया!

प्रोफेसर राजकुमार जैन

सरकारी लापरवाही, गैर जिम्मेदारी, नाकामयाब खुफिया जानकारी तथा सत्ता की मदहोशी के कारण पुलवामा में हमारे जवानों की शहादत हुई।
उस दर्दनाक हादसे को अवसर बनाकर दिल्ली की गद्दी पर नरेंद्र मोदी की सरकार काबिज हो गई। राष्ट्रीय शर्म की उस सच्चाई को सत्यपाल मलिक ने उजागर कर दिया। अब सरकारी खेमा उनको यह कहकर कटघरे में खड़ा करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा है कि जब गद्दी पर थे तब क्यों नहीं बोले? मलिक बार-बार अपनी बात को दोहरा रहे हैं की, उस वक्त भी मैंने दो चैनलों पर इंटरव्यू देकर कहा था,प्रधानमंत्री को भी बता दिया था।
गजब देखिए, प्रधानमंत्री -गृहमंत्री मौन है! सरकारी छुट्टभैये, गुमास्ता, उनकी मेहरबानी पर अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले और खास तौर पर अदानी अंबानी द्वारा अनाप-शनाप कमाई गई दौलत के बल पर हिंदुस्तान के मीडिया को अपने शिकंजे में जकड़कर, नौकर पत्रकारों,एंकर,- एंकरनियो की मार्फत लगातार सत्यपाल मलिक को घेरने की जुगत में लगे हैं। परंतु जो लोग सतपाल मलिक से वाकिफ नहीं है, वह जान ले। वे ऐसी वाहिद शख्सियत है जिसने पद पर रहते हुए खुलेआम वह बातें कहीं, जिसके लिए जिगरा चाहिए। 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश का खुलासा किया। उन्होंने दहशतगर्दो को ललकारा, कि बेकसूर शहरीओ, रोजी-रोटी की तलाश में बाहर से आ रहे गरीब मजदूरों, पुलिस -फोज के सिपाहियों की जगह, उनको मारो जो कश्मीर को लूट रहे हैं। कश्मीर के सियासतदानों के साहेबजादे- साहेबजादियां, विदेशों में तालीम पा रहे हैं, और तुम यहां खून बहा रहे हो। सियासतदानों का नाम लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि इन्होंने कश्मीर को लूट कर, दौलत से अपने खजाने को भर लिया। कश्मीर, दिल्ली, मुंबई, इंग्लैंड में आलीशान बंगलो के मालिक बन गए। उस समय सत्यपाल मलिक की तकरीर, गरीब- अमीर, लुटेरों और कमेरो के वर्ग- संघर्ष को सीधी सपाट जबान में न केवल बयां कर रही थी, सबक भी दे रही थी। किसानों के सवाल पर उन्होंने साफ कर दिया था कि मैं पहले किसान हूं, बाद में कुछ और, मैं किसान का बेटा हूं, मोदी जी इन से पंगा मत लो महंगा पड़ेगा।
बरसों -बरस एम एलए,एमपी, केंद्र में मंत्री, राज्यपाल जैसे पदों पर रहने के बावजूद, वे सरेआम डंके की चोट पर, फख्र के साथ ऐलान कर रहे है कि मैं पांच जोड़ी कुर्ते पजामे की दौलत का मालिक हूं।
बेशक, भाजपा जैसी पार्टी का सदस्य बनने पर सवाल उठाए जा सकते हैं, उनकी लानत -मलानत की जा सकती है, परंतु क्या उन्होंने उस जहनियत को कभी अपनाया, यह क्या कम बात है।
उनकी सियासी तालीम,लोहियावादी समाजवाद मे हुई है। मैंने अपने छात्र जीवन में इनके साथ कई साल सड़क पर संघर्ष करते हुए समाजवाद का परचम लहराने, समता और संपन्नता का सपना पूरा करने के लिए बिताए हैं। सांप्रदायिकता के खिलाफ, शादी को हुए, कम समय के बावजूद, दिल्ली में इनकी बीबी प्रोफेसर (डॉ,) इकबाल कौर ने जावेद आलम- जयंती गुहा केस में प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल में बिताए।
प्रतिभा के घनी, सत्यपाल मलिक की छवि के कारण,दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामवर दयाल सिंह कॉलेज छात्रसंघ ने उस दौर में अपना उद्घाटन,कॉलेज अधिकारियों के विरोध के बावजूद इनसे ही करवाया। उद्घाटन भाषण को सुनकर विरोध कर रहे प्रिंसिपल, अध्यापकों ने अपनी गलती को कबूल किया।
आज जमीनी सच्चाई है कि सतपाल मलिक की सच्चाई और लड़ाई के कारण सत्ताधारी कटघरे में खड़े नजर आ रहे हैं।

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