चरण सिंह राजपूत
सहारा निवेशकों की लड़ाई लड़ रहा निवेशकों आंदोलन अब भटकाव की ओर है। भले ही ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नागेंद्र कुशवाहा और प्रवक्ता अनिल सिंह एडवोकेट विश्व भारती जन सेवा संस्थान में शामिल होकर सहारा निवेशकों की लड़ाई लड़ने लगे हों, सुप्रीम कोर्ट में जन हित याचिका दायर करने की बात कर रहे हों।
भले ही इंद्रवर्धन राठौर अपने रंग दे बसंती संगठन बनाकर सहारा निवेशकों के लिए लड़ रहे हों, भले ही व्यक्तिगत स्तर से बीके श्रीवास्तव जैसे लोग सहारा निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे हों पर जिस तरह से ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव लड़ने जा रहा हो और संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला देवरिया बस्ती से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हों पर जिस तरह से आंदोलन की तर्ज पर ही राजनीतिक पार्टी के लिए भी अभय देव शुक्ला राजनीतिक पार्टी के लिए निवेशकों से चंदा देने की बात कर रहे हैं इन सबके आधार पर कहा जा सकता है कि सहारा निवेशकों के भुगतान के लिए हो रहा आंदोलन भटकाव की ओर है।
दरअसल जितनी दिलचस्प कहानी सहारा की है उससे भी ज्यादा दिलचस्प कहानी सहारा निवेशकों की लड़ाई की बनती जा रही है। 2015-16 में बकाया वेतन के भुगतान को लेकर सहारा मीडिया में शुरू हुआ आंदोलन पैराबैंकिंग तक जा पहुंचा। जो लोग सहारा मीडिया के आंदोलन का मजाक बना रहे थे जब उन पर आई तो आखिर उनको भी आंदोलन का रास्ता ही अपनाना पड़ा। वैसे तो इंद्रवर्धन राठौर जैसे कई जमाकर्ताओं ने 2013 से ही आंदोलन छेड़ दिया था पर पैराबैंकिंग का आंदोलन 2018 में शुरू हुआ। 2021 तक आते आते छोटे मोटे धरना प्रदर्शन बड़े आंदोलन में तब्दील होने लगे।
ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ल की अगुआई में बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में एक प्रदर्शन हुआ तो निवेशकों के आंदोलन का एक दौर शुरू हुआ। 2022 में जब 5, 6 और 7 अगस्त को जब ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा ने दिल्ली जंतर मंतर पर आंदोलन किया तो उस आंदोलन में रंग दे बसंती के अध्यक्ष इंद्रवर्धन राठौर, जयप्रकाश दुबे, बीके श्रीवास्तव और अमन श्रीवास्तव संगठन से अलग हो गए। इन सभी का आरोप चंदे में घालमेल, अभय दुबे का गलत व्यवहार जैसे आरोप थे। इसी बीच अमन श्रीवास्तव की अगुआई में अखिल भारतीय जन कल्याण मंच बनाया गया। जयप्रकाश दुबे को बिहार की कमान सौंपी गई पर यह संगठन कुछ खास न कर सका।
इस दोनों संगठनों के बीच पेशे से वकील और पुराने आंदोलनकारी मदन लाल आज़ाद ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार संगठन बनाकर संघर्ष कर रहे थे। पहले वह अपने को संगठन का राष्ट्रीय प्रवक्ता बताते थे पर बाद में राष्ट्रीय संयोजक लिखने और बताने लगे। ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा सहारा ऑफिस पर धरने प्रदर्शन करने लगा तो मदन लाल आज़ाद ने देश के अधिकतर राज्यों में घूमकर सहारा के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों को जगाया।
मदन लाल आज़ाद ने देशभर में तीन भारत यात्राएं निकाली। इन यात्राओं को उन्होंने मिशन भुगतान यात्रा का नाम दिया। मदन लाल आज़ाद बड्स एक्ट के तहत लड़ाई लड़ रहे रहे हैं। उनका दावा है कि निवेशकों का भुगतान मात्र बड्स एक्ट के तहत ही हो सकता है, क्योंकि यह कानून मोदी सरकार ने 2019 में इन ठगी कंपनियों से निपटने के लिए बनाया गया है।
मदन लाल आज़ाद ने भी दिल्ली जंतर मंतर पर कई आंदोलन किये पर कुछ असर केंद्र सरकार पर न पड़ा। 31 जुलाई का आंदोलन में तो मदन लाल आज़ाद ने सभी संगठनों को आमंत्रित किया था पर उसका भी कोई दबाव सरकार पर न पड़ा। हां इन आंदोलन के बाद गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह सहारा रिफंड पोर्टल जरूर लांच किया पर इस पोर्टल को सहारा निवेशकों ने नकार दिया। अब जब मदन लाल आज़ाद चौथी भारत यात्रा पर हैं तो अभय देव शुक्ला मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं।