Sahara Protest : चुनाव लड़कर कैसे होगा सहारा निवेशकों भुगतान ? 

ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ल ने भारतीय जन आंदोलन पार्टी रखा अपनी पार्टी का नाम, जल्द गठन करने का दावा   26 सितम्बर को भोपाल में लिया गया था मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला 

 अपनी पत्रिका ब्यूरो 

26 सितम्बर को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सहारा रिफंड पोर्टल के विरोध में हुए निवेशकों के आंदोलन में सहारा निवेशकों के राज्य के विधान सभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया गया। शुक्रवार को ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ल ने पार्टी का नाम भी निर्धारित कर उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। अभय देव शुक्ल ने अपनी पार्टी का नाम भारतीय जन आंदोलन पार्टी रखा है। साथ ही लिखा है कि सहारा पीड़ितों के हक़ और अधिकार के लिए बहुत जल्द पार्टी का गठन हो रहा है। चुनाव आयोग से मिलेगा या नहीं यह तो समय ही बताएगा पर देश में एक और पार्टी बनने जा रही है।

 

अभय देव शुक्ल ने यह पार्टी 13 करोड़ सहारा निवेशकों और 12 लाख कार्यकर्ताओं की बताई है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर चुनाव लड़कर ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा सहारा निवेशकों का भुगतान कैसे करा देगा ? ऐसे जैसे अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी जन लोकपाल ले आई है। देखने की बात यह है कि अभय देव शुक्ल पर राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बात समय पर कई आंदोलनकारी लगाते रहे हैं।

ऐसे में एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि आख़िरकार चुनाव लड़कर सहारा निवेशकों का पैसा कैसे दिलवाया जा सकता है ?  हां सहारा निवेशकों के नाम पर राजनीति तो जरूर की जा सकती है। क्योंकि देश में यह संदेश जा चुका है कि सहारा के 13 करोड़ निवेशक हैं। वह बात दूसरी है कि आज की तारीख में चुनाव लड़कर सहारा निवेशकों का भुगतान दिलाने की बात करना जहां एक तो बचकानी लग रही है वहीं हास्यास्पद भी लग रही है। क्योंकि नई पार्टी बनाकर चुनाव जीतना इतना आसान नहीं होता है। तो क्या सहारा निवेशकों को भुगतान के लिए सालों इन्तजार करना पड़ेगा।
हां यदि सहारा के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे सभी संगठन के एक बैनर के तले आकर राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा करते तो देश में एक बड़ा सन्देश जाता। वैसे भी अब चुनाव लड़ने की घोषणा कर ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा कोई बड़ा आंदोलन नहीं कर पाएगा। क्योंकि सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के आंदोलन करने में पुलिस का रवैया अलग अलग होता है। सहारा निवेशक बन आंदोलन करने में पुलिस का रुख लचीला था और अब जब पार्टी बनाकर आंदोलन किया जाएगा तो फिर पुलिस प्रशासन इन निवेशकों के प्रति भी दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की व्यवहार करेगी। कुल मिलाकर अब आंदोलन की जगह राजनीति करने का रास्ता अभय देव शुक्ल ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए खोल दिया है।

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