नेहा राठौर
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें एक नए नेशनल बैंक बनाने का फैसला लिया गया है, जो की बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट को फंड करने के लिए काम करेगा। इसे विकास वित्त संस्थान का नाम दिया गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार ने बजट में ही ऐसे बैंक बनाए जाने की घोषणा कर दी थी, जिसे अब कैबिनेट द्वारा भी मंजूरी मिल गई है।
20 हज़ार करोड़ फंड से होगी शुरुआत
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने बताया कि, वित्तीय विकास संस्थान देश में जारी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को फंड करने का काम करेगा। इस नए संस्था को बिल्कुल जीरो से शुरू किया जाएगा। इसके लिए अभी एक बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो इससे जुड़े आगे के फैसले लेगा। हालांकि, सरकार की ओर से 20 हजार करोड़ रुपये का शुरुआती फंड संस्था को दिया जाएगा
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में मिला जानकारी के मुताबिक कि इस बैंक के द्वारा बॉन्ड जारी कर इसमें निवेश किया जाएगा। संस्था के आने से अगले कुछ सालों में 3 लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद जताई जा रही है। इसमें जो निवेश करेगा उन्हें को टैक्स बेनिफिट भी मिलेगा। संस्था में बड़े सॉवरेन फंड, पेंशन फंड भी निवेश कर सकते हैं।
आगे प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि पहले कोई भी पुराना बैंक इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट में फंड करने के लिए तैयार नहीं था। देश में करीब 6000 ग्रीन-ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन्हें अभी फंडिंग की जरूरत है। यही वजह है कि इस तरह के संस्थान को बनाने का फैसला लिया गया है। सरकार के अनुसार, बैंक के बोर्ड सदस्यों में क्षेत्र के बड़े लोगों को जगह दी जाएगी।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा, हम चाहते हैं कि देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक बनाए जांए। विकास वित्त संस्था को भी इसी उम्मीद के साथ बनाया गया है, जो की मार्केट की उम्मीदों को पूरा करेगा। इसी के साथ जिन बैंकों का निजीकरण हो रहा है, उनके कर्मचारियों के अधिकारों और भविष्य का भी ध्यान रखा जाएगा।
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