Wednesday, May 1, 2024
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Mission 2024 : तो फिर किसी दलित को पीएम पद का उम्मीदवार बनाएं इंडिया और एनडीए

चरण सिंह राजपूत 

यदि वास्तव में एनडीए और इंडिया गठबंधन दलितों और पिछड़ों के हितैषी हैं तो फिर किसी दलित को पीएम पद का उम्मीदवार बनाएं। राष्ट्रपति तो जेब का पद माना जाने लगा है। दरअसल देश में जाति-धर्म मिटाने की बात तो राजनीतिक दल करते हैं पर उन्हें वोट के लिए जाति और धर्म के मुद्दे को भी सुलगाए रखना है। मैं कतई नहीं मानता कि दलित और पिछड़े की लड़ाई दलित और पिछड़े ही लड़ सकते हैं या लड़ी है। मैं यह भी कतई नहीं मानता कि  नेता दलितों या पिछड़ों की चिंता करते हैं। मैं यह भी कतई नहीं मानता कि जाति के आधार पर कोई पिछड़ा या दलित होता है। ये शब्द वोटबैंक के लिए बने हैं। और सभी दल ये खेल खेल रहे हैं। पहले तो इस बात पर मंथन कर लिया जाए कि ये जो पिछड़े वर्ग के नेता पिछड़ों की बात कर रहे हैं कितने पिछड़े हैं या फिर कितने पिछड़ों को आगे बढ़ाया है।
जहां तक पिछड़ों और दलितों की लड़ाई लड़ते की बात है तो महात्मा गांधी, डॉ. राम मनोहर लोहिया, लोक नायक जयप्रकाश, आचार्य नरेंद्र देव, लाल बहादुर शास्त्री, पंडित जवाहर लाल नेहरू, चंद्रशेखर सिंह, वीपी सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी दलितों और पिछड़ों के बड़े पैरोकार थे। क्या ये नेता दलित या पिछड़े थे  ? आज के दिन दलित और पिछड़ों की बात करने वाले कौन लोग हैं? राहुल गांधी क्या पिछड़ा वर्ग से आते हैं ? अरविंद केजरीवाल कौन हैं ?
दलितों और पिछड़ों के बड़े पैरोकार वामपंथियों पर आ जाइए। वृंदा करात, प्रकाश करात, सीताराम येचुरी कौन हैं ? ये जितने भी लोग हैं सवर्ण समाज से आते हैं।

बीजेपी में भी यही हाल है। राजनाथ सिंह, अमित शाह, जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमन, नरेंद्र तोमर, योगी आदित्यनाथ कौन हैं ? अब आर एस एस में आ जाइए। आरएसएस में एक भी सर संघचालक पिछड़ा या दलित नहीं बना है। जहां तक पीएम मोदी की बात है। वह बनिया जाति से आते हैं। बनिया जाति कभी पिछड़ों में नहीं आती है। आज के स्थापित दलित और पिछड़े नेताओं ने कितने दलित और पिछड़े नेता बनाये हैं। दलितों में मायावती ने कितने दलित नेता बनाये ? लालू प्रसाद ने कितने पिछड़े नेता बनाये ?
ये सब नौटंकी वोट के लिए तो होती है। यदि वास्तव में दलित और पिछड़ों की चिंता है तो फिर इंडिया और एनडीए दोनों ही गठबंधन किसी दलित को पीएम पद का दावेदार बनाएं। राष्ट्रपति तो जेब का पद माना जाने लगा है। पिछड़ों में लगभग सभी जातियां संपन्न हैं। जाट, गुर्जर कब गरीब रहे हैं। अब यादव भी संपन्न हो गए हैं।
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