Saturday, April 27, 2024
Homeअन्यनहीं मिट रही कोराना की यादें

नहीं मिट रही कोराना की यादें

प्रियंका आनंद

ठीक एक साल पहले 25 मार्च से देशभर में लगे लॉकडाउन से ऐसा लगा मानो जिंदगी ठहर गई हो। एक तरफ कोराना वायरस संक्रमण से बचाव की चिंता, दूसरी तरफ घर में बंद रहते हुए एहतियात बरतने के तरीके में कोई चूक नहीं होने की कोशिश के बीच तालमेल बिठान बहुत ही मुश्किल था। एक साल बाद जब लॉकडाउन के दिनों की याद करते हैं तब एक सिहरन सी हो जाती है।

बच्चों की पढाई हो,लोगों की नौकरी हो,व्यवसाय या फिर कुछ और। सब कुछ जैसै रुक सा गया था। लोगों को इससे काफि परेशानी का सामना भी करना पडा। यहां तक कि यातायात के सभी साधन बंद थे। एक इंसान को दूसरे इंसान से दूर रहने तक को मजबूर होना पड़ा। या फिर यूं कहें कि लॉकडाउन के समय टेक्नोलॉजी के सहारे जीवन बिताने पर मजबूर होना पड़। बच्चों की पढाई हो, नौकरी हो या फिर अन्य कोई काम—धंधा। सबकुछ जैसै  टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गया था।

यह भी देखें  – निकिता तोमर हत्याकांड पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

जहा लॉकडाउन ने लोगों को एक—दूसरे से दूर रहने पर मजबूर किया, वहीं दूसरी और परिवार के सभी सद्स्यों को एक—दूसरे के साथ रहना भी सिखाया। यदि काम की बात करें तो माहामारी के चलते पढ़े—लिखे लोगों ने तो घर बैठै अपना काम चला लिया, लेकिन जो लोग इतने सशक्त नही हैं उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

देश में कोरोना के कारण मरीजों की संख्या भी दिनोंदिन बढती जा रही थी। आखिरकार देश ने कोरोना की वेक्सीन खोज निकाली और अब जा कर लोगों को इससे निजात मिलना सम्भव होता नजर आ रहा है। हालाकि अब भी इसका डर बना हुआ है, लेकिन लोगों ने लापरवाही बरतना शुरु कर दिया है। मास्क, सेनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिस जैसै सभी कानूनों का उल्लेख होता नजर आ रहा है। हमें इससे बचने के लिए अभी भी एहतियात बरतनी होगी ताकि आगे आने वाले समय में फिर कभी एसी माहामारी मानव जीवन पर हावी ना होने पाए।

देश और दुनिया की तमाम ख़बरों के लिए हमारा यूट्यूब चैनल अपनी पत्रिका टीवी (APTV Bharat) सब्सक्राइब करे ।

आप हमें Twitter , Facebook , औरInstagram पर भी फॉलो कर सकते है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments