Tuesday, May 14, 2024
Homeअन्यMemorial Day : युवाओं का हमेशा सम्मान करते थे भाई वैद्य

Memorial Day : युवाओं का हमेशा सम्मान करते थे भाई वैद्य

नीरज कुमार

भाई वैद्य युवाओं का हमेशा सम्मान करते थे। 6 साल उनके साथ काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। उनसे बहुत कुछ सीखा। विचारों को समझा, संघर्ष करना सीख।
भाई ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. जब कुछ लोग साम्राज्यवादियों की मुखबरी कर रहे थे, तब 14 साल की उम्र में भाई स्वतंत्रता आंदोलन की निर्णायक लड़ाई में हिस्सा ले रहे थे. भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान गाँधी ने किया था, लेकिन उसका नेतृत्व युवा समाजवादी नेताओं ने किया. यह स्वाभाविक है कि 1946 में भाई 18 साल की उम्र में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (सीएसपी) के सदस्य हो गए और फिर 1948 में सोशलिस्ट पार्टी की मार्फ़त अपना लम्बा राजनीतिक संघर्ष करते रहे, जिसमें गोवा मुक्ति संघर्ष (1955-1961), जेपी आंदोलन (1974-74) प्रमुखता से शामिल हैं. 1975 से 1977 तक वे मीसा में जेल में बंद रहे. राष्ट्र सेवा दल में भाई की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी जिसके वे 2001 में अध्यक्ष बने. भाई की इच्छा थी कि राष्ट्र सेवा दल सोशलिस्ट पार्टी के लिए काडर निर्माण का काम करे ताकि युवाओं को साम्प्रदायिक राजनीति की चपेट से बचाया जा सके.
भाई समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में एमए थे. वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी और अध्ययनशील व्यक्ति थे. लेकिन उनकी शख्सियत मूलत: राजनीतिक थी. समाजवादी आंदोलन की कोख में पले भाई पर गाँधी के साथ फुले और आम्बेडकर के विचारों का गहरा प्रभाव था. उनका वैश्विक स्तर पर पूंजीवाद और साम्यवाद की विचारधाराओं/व्यवस्थाओं का अच्छा अध्ययन था. वे सभी विषयों पर प्रकाशित अद्यतन लेख और पुस्तकें पढ़ते रहते थे.
भाई 1995 में गठित समाजवादी जन परिषद के महामंत्री बने. 2011 में सोशलिस्ट पार्टी की पुनर्स्थापना होने पर उन्हें उसका अध्यक्ष बनाया गया. उस समय उनकी उम्र अस्सी के पार थी. वे यह जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते थे. लेकिन जस्टिस सच्चर और युवा समाजवादियों की जिद पर उन्होंने अध्यक्ष बनना मंज़ूर किया. पूरी सक्रियता के साथ उन्होंने उस जिम्मेदारी का निर्वाह किया. 1991 के बाद भाई का जीवन नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ लगातार संघर्ष करने में बीता. उन्होंने खास तौर पर शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया.
ऐसा नहीं है कि नवसाम्राज्यवाद के विरोध में अन्य नेता अथवा राजनीतिक संगठन सक्रिय नहीं रहे हैं. लेकिन वे सब विकास की अवधारणा को लेकर या तो भ्रमित हैं या विकास का रास्ता साम्राज्यवाद के हमजाद पूंजीवाद को ही स्वीकार करते हैं. भाई ने सोशलिस्ट पार्टी के नीतिपत्र और अपने वक्तव्यों में यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि कम्युनिस्ट विकास के पूंजीवादी विचार और मॉडल को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. वे उद्योगवाद को ही विकास का पैमाना मानते हैं. भाई लोकशाही समाजवादी विचारधारा को पूंजीवाद का विकल्प मानते थे. पूंजीवाद की आसन्न पराजय में उनका दृढ़ विश्वास था.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments