मजदूरों के संघर्ष का प्रतीक है मजदूर दिवस

इस दिन का अपना एक इतिहास है और मजदूरों के लिए बड़ा महत्व है, पूरी दुनिया में 1 मई को मजदूर दिवस (labor day) के रुप में बनाते हैं। इस दिन अमेरिका के मजदूर यूनियनों ने काम की समय सीमा 8 घंटे की बात को लेकर आंदोलन शुरू किया था।

पवन कुमार

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या मई दिवस को मानने की शुरुआत 1 मई 1886 से मानी जाती है।जब अमेरिका की मजदूर यूनियनों ने काम की समय सीमा 8 घंटे निर्धारित किए जाने को लेकर हड़ताल की थी इस हड़ताल के समय शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था। इस दिन का अपना एक इतिहास है और मजदूरों के लिए इस दिन का बड़ा महत्व है,पूरी दुनिया में मई दिवस को एक मई मजदूर दिवस (labor day) के रूप में मनाया जाता है। मजदूरों ने काम की समय सीमा 8 घंटे को लेकर 1877में अमेरिका से आंदोलन की शुरुआत की,इस दौरान यह आंदोलन दुनियां के विभिन्न देशों में फैलने लगा।

एक मई को लाखो मजदूरों ने एक साथ शुरू की इस हड़ताल के समय शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था बम किसने फोड़ा किसी को पता नहीं।लेकिन पुलिस की फायरिंग में 7 मजदूर जरूर शाहिद हुए थे और 100 से अधिक घायल हुए।भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास (चेन्नई) में इसकी शुरुआत की थी। इसका नेतृत्व वामपंथी एवं सोशलिस्ट पार्टीया कर रही थी।

भारत में पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूरों की एकजुटता और संघर्ष के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया।तब से हर वर्ष भारत में मई दिवस (मजदूर दिवस)को बनाया जाता है। 137वर्ष पहले मजदूर आंदोलन से ही तय हुआ था दिन में मजदूर के काम की समय सीमा 8 घंटे, पहले काम की कोई समय सीमा नहीं थी मजदूरों से 15 से 20 घंटे काम लिया जाता था।आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस ( international labor day) की ही देन है कि मजदूर के लिए सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिलनी शुरू हुई थी।

पहले कोई अवकाश (छुट्टी) नही थी और न ही कोई नियम कायदे थे।1889 में जब पेरिस में इंटर नेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस हुई तो मई को मजदूरों को समर्पित करने का फैंसला लिया । इस तरह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में मई दिवस को मजदूर दिवस के रूप में मानने की शुरुआत हुई। आज अगर कर्मचारियों (मजदूरों)के लिए काम समय सीमा 8 घंटे हुई है तो वह शिकागो के आंदोलन की ही देन है। वही हफ्ते में छुट्टी की शुरुआत भी इसी आंदोलन के बाद हुई। दुनिया के कई देशों में एक मई को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में भी बनाया जाता है।
आज पूरी दुनिया एक मई को मजदूर दिवस मनाती है। पूरी दुनिया में मजदूरों के लिए श्रम कानून है फिर भी क्यों होता है मजदूरों का शोषण? क्यों अटके हैं लेबर कोर्ट में लाखों मजदूरों के केस के फैसले? क्यों रोका हुआ है कई प्राइवेट कंपनियों में मजदूरों का वेतन?इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो।आज भी कई प्राइवेट कंपनियों में मजदूरों से लिया जाता 12से 16,घंटे काम क्यों?भारत में हजारों ट्रेड यूनियनें है हजारों समाज सुधारक संगठन हैं क्या करते है ये सब?
भारत में एक मई के पीछे कई इतिहास है।जब बॉम्बे में दो भाषा वादी आपस में बॉम्बे के दो टुकड़े करने पर उतारू हुए और आंदोलन करने लगे तब तत्कालीन नहरू सरकार ने एक मई 1960 को गुजराती भाषा वालों को गुजरात और मराठी बोलने वालों को महाराष्ट्र दे दिया।अब भी मुंबई पर भी विवाद रहा दोनो हो मुंबई शहर को लेना चाहते थे।बाद में मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाया गया। यह लोग इस रूप में भी मई दिवस मनाते हैं

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