Friday, April 26, 2024
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आतंकवाद के नाम पर धर्म विशेष को निशाना बनाकर मजहबी नफरत फैलाने वाली फिल्मों को प्रदर्शन की छूट कैसे ?

रीवा । विपुल अमृतलाल शाह, सुदीप्तो सेन की फिल्म ” द केरल स्टोरी ” को सेंसर बोर्ड से ‘ए’ प्रमाणपत्र मिला है। खबरों के मुताबिक सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने भी 10 सीन डिलीट किए हैं। सेंसर बोर्ड के ‘ए’ प्रमाणपत्र का मतलब है कि फिल्म को “केवल वयस्क” देख सकते हैं। सीबीएफसी द्वारा ‘ए’ प्रमाणन भी 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को सिनेमाघरों और मूवी हॉल में फिल्म देखने से प्रतिबंधित करता है।

लोकतंत्र सेनानी अजय खरे , नारी चेतना मंच की वरिष्ठ नेत्री श्रद्धा सिंह एवं श्वेता पाण्डेय ने कहा है कि ऐसी फिल्म का प्रदर्शन करके एक धर्म विशेष के लोगो के बारे में गलत धारणा बनाने काम अत्यंत चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है। तिल का ताड़ बनाकर देश के अंदर नफरत का माहौल पैदा करना राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए घातक है। देश को इस समय सांप्रदायिक सद्भाव की सख्त जरूरत है वहीं यह देखने को मिल रहा है कि नफरत पैदा करने वाली ताकतें देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का माहौल बनाकर सत्ता हथियाने में लगी हुई हैं। इस समय देश को ऐसी फिल्मों की जरूरत है जो सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का संदेश देती हों। इसके अलावा सभी धर्मों के लोग आगे आकर सकारात्मक पहल करें।

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, आतंकवादी किसी भी धर्म का हो सकता है। ऐसी स्थिति में किसी धर्म की छवि बिगाड़ना बहुत गलत बात है। ऐसी स्थिति में इशारे ही इशारे में आतंकवाद के नाम पर एक धर्म विशेष को निशाना बनाने की सेंसर बोर्ड ने अनुमति कैसे दे दी ? फिल्म में 10 आपत्तिजनक दृश्यों को विलोपित किया गया लेकिन उसे ए सर्टिफिकेट दिया गया है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के गंदे खेल में शामिल भाजपा शासित मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों की सरकार के द्वारा इस फिल्म को मनोरंजन कर से मुक्त रखा गया है। लेकिन इधर मध्य प्रदेश सरकार ने मनोरंजन कर छूट संबंधी फैसला वापस ले लिया है । आतंकवाद के नाम पर एक धर्म विशेष के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने वाली फिल्म में मनोरंजन ढूंढा जा रहा है। यह फिल्म केवल वयस्क ही देख सकते हैं। यह बहुत आपत्तिजनक बात है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस फिल्म को खासतौर से युवा लड़कियों एवं बच्चों से देखने की अपील की है ताकि उनका ज्ञान वर्धन हो सके।

फिल्म प्रदर्शन में एक धर्म विशेष के खिलाफ नफरत का माहौल है और दूसरा उसे ए सर्टिफिकेट मिला हुआ है फिर भी मुख्यमंत्री चौहान के द्वारा पता नहीं किस तरह से लड़कियों और बच्चों का ज्ञान वर्धन कराया जा रहा है। फिल्म जगत के इतिहास में ए सर्टिफिकेट वाली किसी फिल्म को इससे पहले कभी भी मनोरंजन कर से मुक्त से नहीं रखा गया। भाजपा सरकारों के द्वारा जिस तरीके से इस फिल्म को महिमामंडित किया जा रहा है उससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस फिल्म की कहानी एक धर्म विशेष को निशाना बनाकर तैयार की गई है । इसके चलते भाजपा शासित राज्यों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के गंदे खेल को बढ़ावा देने के लिए और फिल्म निर्माताओं को बॉक्स ऑफिस पर लाभ देने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।

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