Ghulam Nabi Azad : जम्मू कश्मीर के मुस्लिमों को हिन्दू धर्म से जोड़ने के मायने ?

गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू कश्मीर के मुस्लिमों को बताया हिन्दुओं से कन्वर्ट  भारत के मुस्लिमों में हिन्दू डीएनए बता चुके हैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 

चरण सिंह राजपूत 

तो क्या जम्मू कश्मीर में बीजेपी और आरएसएस एक बड़ी कवायद में लग गए हैं। आरएसएस पृष्ठभूमि के मनोज सिन्हा को वहां का राज्यपाल बनाकर अपने हिसाब से माहौल बनाया जा रहा है। भारत के मुस्लिमों को हिन्दू डीएनए से जोड़कर मोहन भागवत देश के मुस्लिमों को हिन्दुओं से कन्वर्ट बता चुके हैं अब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज रहे गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू कश्मीर के मुस्लिम हिन्दू धर्म से कन्वर्ट हुए बताकर आरएसएस के काम को बहुत आसान कर दिया है।
तो क्या जम्मू कश्मीर में मुस्लिम अपने पुराने धर्म में वापस आएंगे ? क्या कभी मज़बूरी में हिन्दू से मुस्लिम बने लोगों के परिजन अब हिन्दू बनेंगे ? यह इसलिए भी लग रहा है क्योंकि देश में कन्वर्ट मुस्लिमों का बड़ा मुद्दा बनने लगा है। गुलाम  नबी आज़ाद के बयान से मामला गरमा  गया है। इस्लाम को उन्होंने 1500 साल पहले आया बताया है। कश्मीर के मुस्लिमों के बारे में उन्होंने बताया कि 600 साल पहले सभी कश्मीरी पंडित थे और सभी हिंदू धर्म से ही कन्वर्ट हुए हैं। आज़ाद का यह बयान सियासती है या फिर हिन्दू धर्म के प्रति हमदर्दी दिखाना। सियासती तो इसलिए नहीं कहा जा सकता। क्योंकि जम्मू कश्मीर में हिन्दू धर्म के नाम पर वोट नहीं मिल सकता है। तो क्या एक और बीजेपी  नफरत का खेल खेल रही है और दूसरी और मुस्लिमों को हिन्दू धर्म से जोड़ा जा रहा है। कहीं यह डर का खेल तो नहीं चल रहा है ? तो क्या नफरत पैदा कर और मुस्लिमों डरा कर उनको हिन्दू धर्म में वापस लाया जा सकता है ?ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि एक और धर्म परिवर्तन पर सख्ती है तो दूसरी और धर्म परिवर्तन अभियान चलाने की तैयारी है। निश्चित रूप से मुस्लिमों को घर वापसी कराने की एक कवायद छेड़ी जा सकती है पर सियासती रूप से नहीं बल्कि सामाजिक रूप से वह भी आरएसएस और बीजेपी को साइड कर। कहीं ऐसा तो नहीं है कि गुलाम आज़ाद आने वाले समय में बीजेपी के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में चुनाव लड़ने जा रहे हों ?
नूंह मेवात जैसी हिंसा के चलते तो यह कतई नहीं हो सकता। या फिर मुस्लिमों को पाकिस्तान से जोड़कर उनको अपमानित करके भी घर वापसी नहीं कराई जा सकती है। बीजेपी और आरएसएस तो कतई नहीं करा सकते। क्योंकि उनका हर काम वोटबैंक में ध्यान रखकर होता है। इस काम में यदि समाज सेवक और सोशल एक्टिविस्ट लगें तो देश में हिन्दू मुस्लिम के नाम पर बड़ा भाईचारा बन सकता है। देश में एक ऐसा अभियान चले कि दोनों ही धर्मों की अच्छाई को ग्रहण की जाएं।

देखने की बात यह भी है कि आजाद ने यह भी कहा है कि हमारे हिंदुस्तान में हिंदू धर्म इस्लाम से भी बहुत पुराना है। इस्लाम तो 1500 साल पहले ही आया है। यहां सभी हिंदू धर्म से ही कन्वर्ट हुए हैं। हमारा शरीर तो इसी भारत माता की मिटटी में मिल जाता है, तो कहां हिन्दू कहां मुसलमान. सब यहीं मिटटी में मिल जाते हैं।

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