नई दिल्ली संसद में करीब एक पखवाड़े से जारी गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक विफल रही और सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग से कांग्रेस के पीछे नहीं हटने और सरकार द्वारा इसे सिरे से खारिज करने से किसी परिणाम पर नहीं पहुंचा जा सका। बहरहाल, तृणमूल कांग्रेस और बीजद समेत कई क्षेत्रीय दलों ने सदन की कार्यवाही बाधित करना जारी रहने पर आक्रोश जताया और दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस से मुद्दे का समाधान निकालने और संसद में अन्य मुद्दों पर चर्चा कराना सुनिश्चित करने को कहा।
जदयू और वामदलों ने हालांकि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस का समर्थन किया। बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ”बैठक का कोई परिणाम नहीं निकला है, और हम अपनी मांग पर अपने रूख पर कायम हैं। सरकार शहंशाह की तरह पेश आ रही है और विपक्ष से अनुचरों की तरह व्यवहार करने की उम्मीद करती है। लोकतंत्र में ऐसी चीजे नहीं चलती हैं। लोकतंत्र लेनदेन का व्यवहार है।’’ उन्होंने कहा, ”सरकार ने कोई पहल नहीं की। वे बिल पास कराना चाहते हैं। लेकिन इसके साथ विपक्ष की चिंताओं का समाधान नहीं निकालना चाहते।’’
बैठक में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ कड़ा रूख बनाये रखा। पार्टी के कड़े रूख का आधार उस समय तैयार हो गया था जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में पार्टी के सख्त रूख अपनाने का जिक्र किया। माकपा के सीताराम येचुरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”सरकार बिना किसी प्रस्ताव के आई थी। उनके पास कोई सुझाव नहीं था और वे केवल अपील कर रहे थे। बैठक पूरी तरह से बेनतीजा रही।’’ कांग्रेस द्वारा सरकार को अहंकार में किसी की बात नहीं सुनने के आरोपों को खारिज करते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार हमेशा एक कदम आगे बढ़कर विपक्ष के विचारों को शामिल करने का प्रयास किया है और इस संबंध में जीएसटी और रियल इस्टेट विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का जिक्र किया जो कांग्रेस की मांग थी। सरकार द्वारा किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार होने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप करने की पेशकश करते हुए वेंकैया ने इसके साथ ही स्पष्ट किया कि कोई इस्तीफा नहीं होगा क्योंकि राजग के मंत्रियों ने कोई गैर कानूनी या अनैतिक काम नहीं किया है। यह पूछे जाने पर सरकार क्या नई पेशकश के साथ आई थी, संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की पेशकश के साथ गए थे। उन्होंने दावा किया कि इस्तीफा नहीं, तब काम नहीं के रूख पर कांग्रेस अलग थलग पड़ गई है।कांग्रेस को जहां जदयू और वामदलों का समर्थन था, वहीं तृणमूल कांग्रेस, बीजद, सपा, द्रमुक और कुछ अन्य दल चाहते थे कि संसद में कामकाज हो।
सूत्रों ने बताया कि सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस को इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए और दोनों पक्षों को कुछ रियायत के जरिये संसद में जारी गतिरोध को समाप्त करना चाहिए। बीजद के भतृहरि माहताब ने कहा कि सांसद में सदस्य चर्चा करने आते हैं, इसका बहिष्कार करने नहीं। उन्होंने कहा कि अगर यह निर्णय किया गया है कि संसद में कामकाज नहीं होना है, तब इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाए।
बाद में उन्होंने कहा कि वह आक्रोश में यह बात कही क्योंकि वह नहीं चाहते कि संसद का समय बर्बाद हो। तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह मुद्दा भाजपा और कांग्रेस के बीच का है लेकिन दोनों अपनी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनके पार्टी सहयोगी डेरेक ओब्रायन ने कहा कि अतीत अब वर्तमान हो गया है और कांग्रेस अब वही कर रही है जो पहले भाजपा करती थी। सबसे अंत में बोलने वाले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पूछा कि कांग्रेस उस गलती को क्यों दोहरा रही है अगर वह कहती है कि भाजपा ने संसद की कार्यवाही बाधित करके गलती की थी।
शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस को अगर लगता है कि राजग ने गलत किया था तब उन्हें इसे नहीं दोहराना चाहिए और नये चलन की शुरूआत करनी चाहिए। कांग्रेस और भाजपा को मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए। बैठक समाप्त होने के बाद वेंकैया ने दावा किया कि एक या दो पार्टियों के अलावा किसी ने कांग्रेस के उस रूख का समर्थन नहीं किया कि पहले कार्रवाई, फिर चर्चा।