प्रयागराज । भाई अतीक और अपनी हत्या से कुछ दिन पहले अशरफ ने तीन बंद लिफाफों में चिट्ठियां लिखकर अपने विश्वस्त को सौंपी थीं। इसमें उसने अंदेशा जताया था कि उन्हें जेल से निकालकर मार दिया जाएगा। इन चिट्ठियों में उस पुलिस अधिकारी का नाम होने की बात कही जा रही है, जिसने दोनों भाइयों को मारने की साजिश रची थी। वह अधिकारी कौन है, यह रहस्य बना हुआ है। ये लिफाफे सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्री के नाम थे।
अतीक-अशरफ के वकील विजय मिश्रा ने बताया कि ये चिट्ठियां सभी को भेज दी गई हैं। अतीक व अशरफ को 28 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी पर लाया गया था। उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि अशरफ को अदालत ने बरी कर दिया था। प्रयागराज से वापस बरेली जेल ले जाने के दौरान प्रिजन वैन में बैठे अशरफ ने मीडिया से कहा था कि उसे एक पुलिस अधिकारी ने धमकाया है कि दो हफ्ते के भीतर जेल से दोबारा निकालकर तुम्हारी हत्या कर दी जाएगी।
अशरफ ने मीडिया से कहा था कि जेल से उसे बार-बार इसीलिए निकाला जा रहा है कि रास्ते में मार दिया जाए। इसी तरह अतीक ने भी पिछले हफ्ते साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाते समय मीडिया से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेशी कराने का आदेश दिया था, लेकिन उसे मारने की नीयत से ही जेल से निकाला जा रहा है। इसके बाद बरेली जेल में उससे मिलने गए वकील विजय मिश्रा को भी उसने यह बताया था कि उसने बंद लिफाफे में चिट्ठियां लिखकर किसी को दिया है।
तो क्या अतीक ने भी लिखा था पत्र
सोमवार को अशरफ की लिखी चिट्ठी भेजने की बात सार्वजनिक होने पर एक लिफाफे की तस्वीर इंटरनेट मीडिया और टीवी चैनल पर प्रसारित हुई जिसमें भेजने वाले का नाम अतीक अहमद लिखा हुआ है। ऐसे में सवाल उठा कि क्या अतीक ने भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था।
चिट्ठी की हर ओर चर्चा
अशरफ द्वारा लिखी चिट्ठियां भेजने की बात से चर्चा फिर शुरू हो गई है कि कौन है वह पुलिस अधिकारी, जिसके बारे में अशरफ ने मीडिया से बात करते हुए हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। लोग कयास लगाते रहे कि यह एसटीएफ का सीनियर अफसर है या कोई और। लोग यह भी कह रहे हैं कि अतीक व अशरफ ने अपनी हत्या की आशंका जाहिर की थी और यह बात सच साबित हो गई है। ऐसे में अशरफ की बात में सच्चाई हो सकती है कि एक अधिकारी ने दोनों को मारने का प्लान बना रखा था।
शरफ द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बारे में उसके वकील विजय मिश्रा ने प्रयागराज में दैनिक जागरण से विस्तार से बात की। उन्होंने चिट्ठी से संबंधित कई बातें बताईं। प्रस्तुत है अधिवक्ता से बातचीत के प्रमुख अंश-
चिट्ठी में हो सकता है गुड्डू मुस्लिम का भी नाम!
अशरफ ने एक अफसर का नाम बताते हुए चिट्ठी लिखी थी, क्या उसे भेज दिया गया है? –
हां, अशरफ ने मुझे बरेली जेल में मुलाकात के दौरान बताया था कि उन्हें एक अधिकारी ने पुलिस लाइन में मरवा देने की धमकी दी थी, लेकिन अशरफ ने मुझे उस अफसर का नाम नहीं बताया। कहा, आप हमारे अधिवक्ता हैं, आपको परेशानी हो सकती है। अशरफ ने कहा था कि अगर मेरी हत्या हुई तो बंद लिफाफे में ये चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सीएम योगी को भेज दी जाएंगी। अशरफ ने ये चिट्ठियां किसे सौंपी थीं, यह नहीं बताया था। अब ये चिट्ठियां सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दी गई हैं।
क्या उस चिट्ठी में गुड्डू मुस्लिम का भी नाम है?
हत्या से पहले अशरफ के भी अंतिम वाक्य गुड्डू के बारे में था। – हो सकता है कि चिट्ठी में गुड्डू मुस्लिम का भी नाम हो। ऐसी कुछ बातें जरूरी कही थीं अशरफ ने, लेकिन ज्यादा बताया नहीं था। मुझे नहीं पता कि मारे जाने से पहले अशरफ गुड्डू के बारे में क्या बताने जा रहा था।
क्या पुलिस अधिकारी के बारे में कुछ भी नहीं बताया था अशरफ ने?
नहीं, मेरे बार-बार पूछने पर भी अशरफ ने यही कहा कि मैं नाम नहीं बता सकता, लेकिन चिट्ठी में लिख दिया है नाम। मेरी हत्या के बाद ही वह लिफाफा खुलेगा।
क्या आपको भी जान का खतरा है?
हां, निश्चित तौर पर मेरी जान को खतरा है। मैं घटना के वक्त भी अतीक और अशरफ के निकट था। उनके मुकदमों की पैरवी कर रहा था। जब वे पुलिस कस्टडी में हत्या करा सकते हैं, तो मेरी भी जान के पीछे पड़ सकते हैं।
प्रतापगढ़ जेल भेजे गए शूटर
अतीक और अशरफ की हत्या करनेवाले तीन शूटरों को सोमवार दोपहर नैनी सेंट्रल जेल से प्रतापगढ़ जिला जेल भेज दिया गया। नैनी जेल में अतीक गैंग के अपराधियों से टकराव के खतरे को देखते हुए शासन से जारी आदेश पर तीनों शूटरों को प्रतापगढ़ जेल स्थानांतरित किया गया। (sabhar : jagran)