Friday, April 26, 2024
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दिल्ली की अदालत ने तोमर को राहत देने से इंकार किया

नयी दिल्ली आप नेता जितेन्द्र सिंह तोमर को झटका देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका को आज खारिज कर दिया। अदालत ने कथित फर्जी डिग्री मामले में आप नेता को राहत देने से इंकार करते हुए कहा कि उन्हें अंतरिम राहत प्रदान करने से मामला और ‘जटिल’ हो जायेगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री तोमर की अंतरिम जमानत की याचिका को स्वीकार करने से तब तक के लिए इंकार किया जब तक कि उनकी नियमित याचिका पर सुनवाई नहीं होती है। उनकी नियमित जमानत की याचिका पर 16 जून को सुनवाई होगी। अदालत ने कहा, “अंतरिम जमानत का आदेश देने से मामला और जटिल हो जायेगा और यह न तो उपयुक्त और न ही आवश्यक है। इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड को देखने के बाद व्यवहारिक ढंग से विचार करने की जरूरत है।’’

अदालत के अनुसार, “यह सभी पक्षों के हित में है कि जमानत याचिका पर निर्णय पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त होने पर रिकॉर्ड पर विचार करने के बाद किया जाए। जमानत की याचिका उपयुक्त अधिकार क्षेत्र वाली अदालत में 16 जून को पेश करें।’’ अदालत ने इस मामले के जांच अधिकारी (आईओ) को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया।

अदालत ने तोमर की ओर से दायर उस समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें नौ जून को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा उन्हें चार दिन की पुलिस रिमांड में भेजने के आदेश को चुनौती दी गई थी। बहरहाल, अदालत ने कहा कि तोमर अपनी पुलिस हिरासत के खिलाफ नये सिरे से याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं। कल सत्र अदालत के समक्ष दायर याचिका में इस मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए तोमर ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन कर उन्हें गिरफ्तार किया था। उल्लेखनीय है कि 49 वर्षीय तोमर को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली बार काउंसिल की शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर के तहत नौ जून को गिरफ्तार किसा था जिसमें अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराने के लिए शैक्षणिक डिग्री समेत कथित फर्जी दस्तावेज पेश करने की बात कही गई थी।

मजिस्ट्रेट की अदालत ने तोमर को 13 जून तक चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। पुलिस ने उनकी डिग्री को फर्जी बताते हुए पांच दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी क्योंकि शैक्षणिक योग्यता की पुष्टि के लिए उन्हें उत्तरप्रदेश के फैजाबाद और बिहार के भागलपुर ले जाने की जरूरत थी। आईओ ने अदालत को बताया था कि दिल्ली बार काउंसिल की शिकायत के आधार पर एक प्रारंभिक जांच की गई और संबंधित विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मिलने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। दूसरी ओर, तोमर की ओर से उपस्थित होने वाले वकील ने दलील दी कि पुलिस ने उन्हें कानून के प्रावधानों का अनुपालन किये बिना गिरफ्तार किया और सीआरपीसी की धारा 160 के तहत उन्हें गिरफ्तार करने से पूर्व नोटिस जारी नहीं किया गया।

 

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