मध्य प्रदेश में लगभग सभी दल इस जुगत में हैं कि किस तरह से सत्ता में आकर जनता के पैसे पर ऐशोआराम की जिंदगी जी जाए और दोनों हाथों से पैसा बटोरा जाये। लोग भी हिन्दू मुस्लिम में ऐसे उलझे हुए हैं कि उन्हें उससे कोई मतलब नहीं कि उनका जनप्रतिनिधि लुटेरा है ? बलात्कारी है ? गुंडा है ? कैसा है ? बस उनके धर्म का होना चाहिए। मणिपुर में नग्न अवस्था में दो महिलाओं को घूमने के मामले को भी कितने लोग धर्म के आईने से देख रहे थे। यदि इस तरह का स्वभाव समाज का हो जाएगा तो फिर इस तरह की वारदातें कैसे रुकेंगी ? शर्मनाक यह भी है कि यह कांड महाकाल की नगरी में हुआ है।
आज के दौर में लोगों से इससे कोई मतलब नहीं कि उनके बच्चे को रोजगार कैसे मिलेगा ? उनका परिवार कैसे सुरक्षित रहेगा ? या फिर यह भी कह सकते हैं कि लोग इतने उदासीन और स्वार्थी हो गए हैं कि किसी के साथ कुछ भी होता रहे किसी को कोई मतलब नहीं। उज्जैन कांड में भी यही हुआ।
बच्ची अर्धनग्न बदहवाश स्थिति में सड़कों पर भटकती रही पर किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि उसके साथ क्या हुआ है ? या फिर उसकी मदद की जाये। किसी के साथ कुछ भी हो सकता है। तो फिर हम अपने कर्तव्यों के प्रति इतने उदासीन क्यों ? इस तरह की वारदातें किसी के साथ भी हो सकती हैं। राजनीतिक दलों का तो बस नहीं चल रहा है नहीं तो उज्जैन कांड को भी हिन्दू मुस्लिम का रूप देकर राजनीतिक रोटियां सेंकने लगें।
दरअसल बताया जा रहा है कि 38 वर्षीय ऑटो चालक ने 24-25 सितंबर की रात को सतना जिले की इस बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। घटना के तीन दिन बाद आरोपी ऑटो ड्राइवर भरत सोनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया। तीन अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। इंदौर बार एसोसिएशन ने भी एलान कर दिया है कि उसका कोई भी सदस्य आरोपियों के साथ खड़ा नहीं होगा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि मध्य प्रदेश में उज्जैन कांड जैसे कांड क्यों हो रहे हैं ? क्या किसी को कानून का डर नहीं है।
हर कांड में कहा जाता है कि पुलिस घटनाक्रम को लेकर नए-नए खुलासे कर रही है। पर यदि पुलिस अपनी जिम्मेदारी को समझे तो फिर इस तरह की वारदातें हों ही न। यह पुलिस की पैसों के बल पर मामलों को दबाने की प्रवत्ति ही है कि उज्जैन जैसे कांड हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली यह छात्रा 24 सितंबर की सुबह घर से स्कूल के लिए निकली थी और फिर शाम को वापस नहीं पहुंची। परिजनों द्वारा गुमशुदगी की शिकायत जैतवारा थाने में दर्ज कराई गई थी।
बताया जा रहा है कि सतना से नाबालिग उज्जैन पहुंची जहां 24-25 सितंबर की रात को उसके साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई। महाकाल थाना प्रभारी अजय वर्मा ने बताया कि सोमवार (25 सितंबर) को सूचना मिली थी कि एक नाबालिग मुरलीपुरा क्षेत्र में अर्धनग्न हालत में घूम रही है। उसे तत्काल थाने लाया गया। वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थी। उसका मेडिकल कराया तो पता चला कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। डॉक्टर के मुताबिक उसके प्राइवेट पार्ट्स में भी गंभीर चोटें थीं। उसे तत्काल उपचार के लिए इंदौर भेज दिया गया था।
मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने कहा है कि उज्जैन में मासूम बिटिया के साथ जघन्य अपराध करने वाला अपराधी पकड़ा गया है। अब इस दरिंदे को कठोरतम दंड दिलाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इस तरह के अपराधी समाज में रहने के लायक नहीं हैं। उसने मध्यप्रदेश की आत्मा को घायल किया है। बेटी की हम हर तरह से चिंता करेंगे, वह मध्यप्रदेश की बेटी है।’ ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या उज्जैन कांड मध्य प्रदेश में पहला कांड है ? यदि आप इतनी कार्रवाई कराने वाले होते तो फिर इस तरह के कांड क्यों होते ?