Wednesday, May 15, 2024
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एक ऐतिहासिक दस्तावेज !

जंगे आजादी में बरतानिया हुकूमत के खिलाफ लड़े गए संघर्ष का इतिहास के पन्नों में लोमहर्षक, त्याग, कुर्बानियों और सब कुछ लुटाने वाले इन्कलाबियो के साथ-साथ, अनेकों ऐतिहासिक, दिमागी, वैचारिक, जबानी, कलम से लिखी इबारत, सियासी सम्मेलनों, रणनीतियों का जिक्र पढ़ने को मिलता है। परंतु अनेकों ऐसे घटनाक्रम भी हैं जो कलमबद्ध नहीं हो पाए। परंतु उनकी अहमियत भी किसी मायने में कम नहीं है।

इसकी ही एक मिसाल यह लेख है। बिहार के जननायक, झोपड़ी के लाल कर्पूरी ठाकुर ने गांव की झोपड़ी में एक नाई के घर में जन्म लिया था। परंतु अपने ज्ञान, त्याग, संघर्ष, और ईमानदारी की बिना पर वे बिहार के सर्वमान्य जननेता बनने के साथ-साथ तमाम उम्र विधानसभा के सदस्य तथा एक बार उप मुख्यमंत्री, और दो बार मुख्यमंत्री पद पर भी रहे। उन्होंने एक लेख अपने साथी पंडित रामानंद तिवारी जो की जंगे आजादी में पुलिस में सिपाही थे, परंतु मुल्क की आजादी के लिए लड़ी जा रही जंग में अपने बगावती तेवर से पुलिस में विद्रोह करने जैसे जोखिम भरे कार्य को करने का प्रयास किया। इस एवज में लंबी जेल यातना भुगती। उस दौर के उनके साथी कर्पूरी ठाकुर जो कि खुद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ रहे थे और उन आजादी के दीवानों को जो जेल में बंद थे, उनकी मदद हर तरह का खतरा उठाकर कर रहे थे।
उसी नजीर का हिस्सा यह लेख है। जिसमें कर्पूरी ठाकुर रामानंद तिवारी द्वारा अदालत के सामने दिए गए बयान, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफत थी, उसको छपवाकर गांव गांव में बांट रहे थे। पकड़े जाने पर उनको 6 महीने की सजा सुनाई गई।
लेख में जहां एक और आजादी की जंग में रामानंद तिवारी और कर्पूरी ठाकुर के संघर्ष का ब्योरा है, दोनों ने कई साल अंग्रेजों की जेल में बिताए। वही एक बड़ी सीख आज के सियासतदानों के लिए भी है।
रामानंद तिवारी और कर्पूरी ठाकुर सोशलिस्ट तहरीक के बड़े कद्दावर नेताओं में थे। जिन्होंने बिहार में सोशलिस्ट नीतियों, सिद्धांतों, विचारों को हर प्रकार की यातनाओं, दुश्वारियों को सहते हुए, अपने संघर्षों, जेल यातनाओं, भाषणों, शिक्षण शिविरों, जनसभाओं, जनसंघर्षों में अनेकों नौजवानो को सोशलिस्ट बनाकर संघर्ष की राह पर चलने के लिए तैयार किया। तिवारी जी और कर्पूरी ठाकुर को बिहार की जनता ने मुसलसल अपना नुमाइंदा बनाकर बिहार विधानसभा तथा लोक सभा मे भी भेजा। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री जैसे बड़े पदों पर रहने के बावजूद उनकी सादगी, ईमानदारी और गरीब आवाम की नुमाइंदगी, तरफदारी के चर्चे बिहार के दूर दराज के गांवो तक में आज भी मिसाल देकर लोग करते हैं।
आज के सियासी माहौल में जहां एक नेता दूसरे को बर्दाश्त करने को तो छोड़िए, गलाकाट, हर तरह से पीछे धकियाने, बदनाम करने मैं कोई कोताही नहीं बरतता वही कर्पूरी ठाकुर अपने साथी की तारीफ में कितने विनम्र है, यह आज के सियासतदानों के लिए एक सबक भी है।

राजकुमार जैन

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