Monday, April 29, 2024
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बदलते दौर की दिल्ली में बढ़ते जायके

प्रियंका आनंद


दिल्ली की एक खास पहचान दुनिया भर में जायके को लेकर है। लोग यहां के पकवानों के स्वाद को कभी नहीं भूल पाते। इससे लोगों के बीच रिश्ते में मजबूती आ जाती है। यही कारण है कि दिल्ली को दिल वालों की दिल्ली भी कहा जाता है। यहां कई धर्म और प्रथाओं का असर भी खान—पान पर दिखा है। अगर देखा जाए तो दिल्ली की अपनी कोई संस्कृति नहीं है, लेकिन खान—पान की खास संस्कृति है, जिसमें पिछले कुछ दशकों में काफी विस्तार हुआ है।

करण अलग—अलग राज्यों से आए लोग अपने—अपने खानपान को भी लेकर आए हैं। यही कारण है कि दिल्ली की पारंपरिक छोले भटूरे, छोले कुल्चे, दही—भल्ले,चाट, ब्रेड पकौड़ा, कचौड़ी, परांठे, हल्वा, रबड़ी—जलेबी के अलाव मांसाहारी व्यंजनों की लंबी फेहरिश्त है। इनमें कुछ और नाम शामिल हो गए हैं, जिन्हें प्रवासी आहार कहा जा सकता है। जैसे – गुजरात की रोटला, पुरन पोली, ढोकला, मुबंई का वड़ा पाव, पानी पूरी, दक्षिण भारत का ईडली, डोसा, वड़ा पंजाब का सरसों का साग, मक्के की रोटी, लस्सी, मध्य प्रदेश का पोहा, बिहार का लिट्टी चोखा, तिब्बत के मोमो, हैदराबाद की बिरयानी आदि हैं।

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कहा जा सकता है कि दिल्ली के रेस्टोरेंट से लेकर रेहड़ी—पटरी पर इनके स्वाद का आनंद लिया जा सकता है। ये सबकी पसंद बन चुके हैं। इन्हें पेट भरने के साथ—साथ सेहत के अनुरूप माना जाता है। ये जंकफूड के विकल्प हैं। इनके चहेतों में बच्चे से लेकर युवा वर्ग तक हैं। यहां तक कि ये आहार बुजुर्गों की भी पसंद हैं। साथ ये लोगों की जेब पर भी ज्यादा असर नहीं डालते हैं।


भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात में जितनी भी घूमने की जगह है उतना ही खाने—पीने के कई विकल्प भी मौजूद हैं। उनमें बाजरे की रोटी का असली स्वाद गुजरात में लिया जा सकता है। इसे सर्दी के मौसम में खाया जाता है। इसे खाने से शरीर को एर्नजी तो  मिलती ही है और शरीर को गर्म बनाए रखती है। गुजरात में इसे रोटाला कहा जाता है। इसी तरह से गुजराती कढ़ी आम तौर पर बनने वाली कढ़ी से कुछ अलग होती है। सामान्य कढ़ी के मुकाबले इसमें पकौड़े का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह आहार दिल्ली में भले ही बहुत लोकप्रिय नहीं हो, लेकिन इसे दिल्लीवासी भी पसंद करते हैं।


दिल्ली में पिछले पांच दशकों से दक्षिण भारतीय व्यंजनों में डोसा, इडली, संभर और वड़ा काफी चाव से खाया जाता है, किंतु हाल के दिनों में चाइनीज फूड के अतिरिक्त मोमो, पोहा, लिट्टी चोखा भी पसंदीदा आहार बन चुका है।

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बिहार के लिट्टी चोखा बिहारी व्यंजन का एक हिस्सा है। यह बिहार में खाया जाने वाला पारंपरिक व्यंजन है। उपले या लकड़ी के कोयले की आंच पर पकाया जाने वाला लिट्टी में गेहूं के आटे में सत्तू (भूने हुए चने का आटा) को विशेष मसालों के मिश्रण भरा जाता है। उसे बैंगन और उबले आलू के मिश्रण वाले चोखे के साथ परोसा जाता है। लिट्टी में शुद्ध घी लगा होता है। इसे नाश्ते के तौर पर खाया जाता है।


इसी तरह से इन दिनों पोहा को भी काफी पसंद किया जाता है। तिब्बत का मुख्य व्यंजन मोमो दिल्ली में हर गली के नुक्कड़ पर मिलने वाला आहार बन चुका है, जिसे बच्चे से लेकर बड़े—बुजुर्ग तक चटखारे लेकर खाते हैं। मैदे की बनी मोमो में सब्जियों की स्टफिंग की जाती है और उसे स्टीम कर मिर्च एवं लहसून की चटनी के साथ परोसा जाता है।

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