नेहा राठौर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की भारतीय मूल की इंजीनियर डॉ. स्वाति मोहन ने पूरी दुनिया को ऐतिहासिक पलों से रूबरू करवाते हुए 18 फरवरी 2021 को मंगल ग्रह पर रोवर की सफल लैंडिंग की जानकारी दी। उन्होंने पूरी दुनिया को बताया, ‘मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है, अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है।‘ स्वाति के यह शब्द सुनकर नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रणोदन प्रयोगशाला में लोग खुशी से झूम उठे।
नासा की यह परियोजना 2013 में शुरू हुई थी। इस परियोजना के लिए नासा के वैज्ञानिकों ने स्वाति को भी चुना था। स्वाति को रोवर को मंगल तक ले जाने वाले अंतरिक्ष यान की सफल यात्रा और रोवर को मंगल ग्रह की सतह पर सुगमता से उतारने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसे उन्होंने बखूबी से निभाया।
वैलेंटाइन डे पर दुनियाभर के लोग अपने प्रियजनों को कुछ न कुछ देते हैं। प्रेम के कुछ मीठे पल साथ में बिताते हैं। इस दिन स्वाति को उनके पति ने उन्हें एक कार्ड दिया। उसमें लिखा था प्रेम करने वाले 14 फरवरी का इंतजार कर रहें हैं और इतिहास बदलने वाले 18 फरवरी के इंतजार में हैं। स्वाति के पति की कही यह बात सच हुई। 18 फरवरी को स्वाति ने पर्सीवरेंस नामक रोवर के मंगल ग्रह पर उतरने का ऐलान कर दुनिया का ऐतिहासिक दिन बना दिया।
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18 फरवरी को कुछ ऐसा था प्रयोगशाला का मंजर
दरअसल 203 दिन पहले अंतरिक्ष में भेजा गया रोवर 18 फरवरी को मंगल पर उतरने वाला था। करोड़ो किलोमीटर की यात्रा के बाद रोवर अपनी मंजिल तक पहुंचने वाला था। इस वक्त प्रयोगशाला में उपस्थित सभी वैज्ञानिकों बेसब्री से इंतजार था। उन सब की दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। लैंडिंग से अंतिम सात मिनट सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण थे। जैसे ही 420 सेकंड गुजर गए वहां उपस्थित ज्यादातर लोग अपनी मुट्ठियां हवा में लहराते हुए खुशी से उछल पड़े। मानो उनकी खुशी का ठिकाना ही ना हो। उसी समय एक महिला ने रोवर की सफल लैंडिग की जानकारी दी।
नासा की प्रयोगशाला से जारी एक वीडियो में माथे पर एक छोटी सी बिंदिया लगाए भारतीय मूल की स्वाति मोहन ने दुनिया को रोवर की सफल लैंडिंग के बारे में बताया। स्वाति द्वारा कहे गए यह शब्द अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की करीब एक दशक की मेहनत का फल था।
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स्वाति और पर्सीवरेंस का सफर
रोवर की लैंडिंग पर स्वाति का कहना है, ‘‘मैं ‘पर्सीवरेंस’ से इतने लंबे समय से जुड़ी हुई हूं, इतना तो मैं कभी किसी एक स्कूल में भी नहीं रही। मैं ‘पर्सीवरेंस’ के साथ जितना रही हूं, उतना मैं अभी अपनी छोटी बेटी के साथ भी नहीं रही। यह मिशन लंबे समय से मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा है। पिछले कुछ साल से हमें इस दिन का बेसब्री से इंतजार था और खास तौर से पिछले तीन-चार साल हमारे लिए बहुत मेहनत भरे थे।
कोविड काल ने हमारे तनाव को और बढ़ा दिया तथा घरों में बैठकर करोड़ों मील दूर जाने वाले रोवर की यात्रा की तैयारी करना और भी मुश्किल लगने लगा था।’’ उन्होंने कहा कि इस अभियान पर काम करने वाले लोग इतना ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ बीता चुके थे कि उन्हें एक-दूसरे की बात समझने और सहयोग करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। सभी के सहयोग से ‘मार्स मिशन 2020’ अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ता रहा।
बेंगलुरु से वर्जीनिया
भारत के बेंगलुरु में जन्मी स्वाति जब एक साल की थीं, तब ही उनके माता-पिता उन्हें लेकर अमेरिका चले गए थे। उसके बाद वह उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में रहने लगीं। जब वह नौ साल की थी, तब उन्होंने टेलीविजन पर स्टार ट्रेक धारावाहिक देखा और वह उसमें दिखाए गए अंतरिक्ष के काल्पनिक किरदारों को सच मानकर ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की तरकीब सोचती। कुछ सालों बाद उन्होंने अपना इरादा बदल लिया और बाल रोग विशेषज्ञ बनने का सोचा, लेकिन 16 साल की उम्र में अंतरिक्ष की गहराइयां उन्हें फिर लुभाने लगीं और वह फिर से इस रास्ते पर चल पड़ीं। इसके बाद उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मेकैनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी कर अपना सपना साकार कर दिखाया।
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