Monday, April 29, 2024
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आपत्तिजनक टिप्पणी पर संसद में हंगामा, साध्वी ने जताया खेद

नई दिल्ली।  केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने दिल्ली की एक जनसभा में दिए विवादास्पद बयान पर संसद के दोनों सदनों में खेद जताया है। उन्होंने कहा कि मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाने का नहीं था, मैं अपने शब्द वापस लेती हूं और खेद प्रकट करती हूं। निरंजन ज्योति के खेद जताने के बाद भी विपक्ष उनको बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब देने की मांग पर अड़ा रहा। लोकसभा में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसद नारेबाजी करते हुए स्पीकर के आसन तक पहुंच गए। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण लोकसभा में जहां प्रश्नकाल के दौरान बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित किया गया, वहीं राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बैठक को 10-10 मिनट के लिए दो बार स्थगित किया गया।

साध्वी निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयान से बीजेपी पहले ही किनारा कर चुकी थी। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने आज लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान भारी शोर-शराबा किया। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि उन्होंने कार्यस्थगन नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि मंत्री का बयान बेहद आपत्तिजनक है। देश में साम्प्रदायिक दंगे हो रहे हैं और ऐसे बयान दिए जा रहे हैं। मंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘आपने नोटिस दे दिया है। मैं आपको इस विषय को उठाने का मौका दूंगी लेकिन कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं किया जाएगा। इस पर कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आ गए। तृणमूल कांग्रेस सदस्य भी इस विषय को उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए और ‘मोदी सरकार हाय, हाय’ के नारे लगाने लगे।

शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष ने प्रश्न भी लिए और मंत्रियों ने जवाब दिए, पर सदस्यों का हंगामा जारी रहा। शोर शराबा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही करीब सवा ग्यारह बजे 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। साढ़े ग्यारह बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यो बनी रही। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘आपने जो विषय उठाया है, वह गंभीर मामला है। मैं भी इसे स्वीकार करता हूं। सदस्य ने वास्तव में क्या बोला मुझे नहीं मालूम है। अखबार से पता चला है। आपने नोटिस दिया है। हमने सदस्य से बात की है और वह खेद प्रकट करने को तैयार हैं।’ इसके बाद केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने कहा, ‘मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाने का नहीं था। न था, और न है। जो बात मेरे मुंह से निकली है, उसके लिए मैं खेद प्रकट करती हूं।’
इसके बाद साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में भी अपना यह बयान दोहराया। उन्होंने कहा कि मैं अपने शब्द वापस लेती हूं और माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं।
राज्यसभा में विपक्ष ने एक स्वर में मंत्कीरी भाषा को आपत्तिजनक बताते हुए मांग की कि सरकार को तुरंत कार्रवाई करते हुए साध्वी को मंत्री पद से बर्खास्त कर देना चाहिए। कांग्रेस सांसद और पूर्व केद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि यह भाषा बेहद आपत्तिजनक है। उन्होंने यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री सदन में नहीं हैं, उन्हें सदन में आकर अपने मंत्री के व्यवहार पर बोलना चाहिए।

समाजवादी पार्टी, बीएसपी और लेफ्ट के सांसदों ने भी यही मांग उठाई। बीएसपी चीफ मायावती ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान देश के संविधान की आत्मा के खिलाफ है और इस पर जरूर कार्रवाई होनी चाहिए। लगातार हो रहे हंगामे के बीच स्पीकर ने कहा कि नियमों के मुताबिक संसद से बाहर कही गई बातों पर चर्चा नहीं करवाई जा सकती। बावजूद इसके हंगामा जारी रहा।

केंद्रीय मत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पार्टी न तो इस तरह के बयानों का समर्थन करती है और न ही ऐसा करने वालों का बचाव। उन्होंने कहा, ‘हमारे ऊपर आरोप लगाने से पहले आपको अपने नेताओं और मंत्रियों की भाषा देखनी चाहिए। ऐसे बयान किसी ने भी दिए हों, हम उसका समर्थन नहीं करते। अगर इस पर चर्चा करनी है तो नोटिस दिया जाए।’

हंगामा थमता न देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। जब कार्यवाही शुरू हुई तो साध्वी निरंजन ने यहां भी अपने बयान पर खेद प्रकट किया। इसके बाद भी हंगामा जारी रहा तो कार्यवाही दोबारा 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

प्रधानमंत्री ने दी संयम बरतने की सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के सांसदों को सोच-समझकर बोलने की नसीहत दी है। आज सुबह हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में पीएम ने सांसदों को हिदायत दी कि समझदारी से बयान दें। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने बहुत अच्छे काम किए हैं, जिन्हें सांसदों को जनता के बीच ले जाना चाहिए। सांसदों को फिजूल की बयानबाजी से बचना चाहिए।’

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