Friday, April 26, 2024
Homeआज का दिनआज के दिन अंग्रेजों ने फ्रांस से छीना पांडिचेरी

आज के दिन अंग्रेजों ने फ्रांस से छीना पांडिचेरी

नेहा राठौर

आज का दिन यानी 16 जनवरी 1761 भारत में अंग्रेजों द्वारा फ्रांस के विरूद्ध लड़े गए युद्ध के लिए याद किया जाता है। यह युद्ध अंग्रेजों ने कर्नाटक के लिए फ्रांसीसियों से लड़कर उनसे पांडिचेरी को छीन लिया था। आजादी से पहले अफगान के सुल्तानों, मुगलों, अंग्रेजों, फ्रांसीसियों ने भारत पर भरपूर राज किया। सुल्तानों, अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने यहां से सारा खजाना लूटकर अपने देश भेजा।

उस समय अंग्रेज और फ्रांसीसी दोनों भारत पर राज करने का सपना देख रहे थे लेकिन भला एक मयान में कभी दो तलवारें रही है। कभी नहीं। यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। भारत के राजा महाराजा तो अपनी अपनी सियासतों को बचाने के लिए लड़ाइयां लड़ने में लगे थे। इस कारण अंग्रेजो ने मोर्चा संभाला और वे फ्रांसीसियों से लड़े। वैसे मामला भी अंग्रेजों के शासन से जुड़ा हुआ था। उसके द्वारा कर्नाटक के तीनों युद्ध 1746 से 1763 के बीच हुए थे।

कर्नाटक का प्रथम युद्ध

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अगस्त 1639 को विजय नगर के राजा पेडा वेंकट राय से कोरोमंडल तट चंद्रगिरी में कुछ जमीन खरीदी। राजा वेंकट राय ने अंग्रेज व्यापारियों को यहां एक फैक्टरी और गोदाम बनाने की अनुमति दी थी। एक साल बाद ब्रिटिश व्यापारियों ने यहां सेंट जॉर्ज किला बनवाया जो औपनिवेशिक गतिविधियों का गढ़ बन गया।

लेकिन 1746 में प्रथम कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसी फौजों ने इंग्लैंड को हराकर मद्रास और सेंट जॉर्ज के किले पर अपना कब्जा जमा लिया। 1749 में प्रथम युद्ध के अंत में ब्रितानी कंपनी ने एक्स ला शापेल संधि के तहत मद्रास को हासिल कर लिया।

कर्नाटक का दूसरा युद्ध

तत्कालीन पांडिचेरी का फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले था। कर्नाटक के प्रथम युद्ध की सफलता के बाद से डूप्ले की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई थीं। इसलिए द्वितीय युद्ध में फ्रांस ने आसफजाह के खिलाफ दक्कन की सूबेदारी के लिए मुजफ्फरजंग का साथ दिया और उसे जीत भी हासिल हुई।

ये भी पढ़ें  –

फ्रांसीसियों को इस जीत से उत्तरी सरकार के कुछ क्षेत्र मिल गए। इससे उनकी हिम्मत काफी बढ़ गई थी लेकिन 1755 में कर्नाटक के द्वितीय युद्ध के अंत में इंग्लैंड और फ्रांस में पांडिचेरी की संधि हुई, जिसके अनुसार दोनों पक्ष युद्ध विराम पर सहमत हो गए।

कर्नाटक का तीसरा युद्ध

सप्तवर्षीय युद्ध में फ्राँस ने आस्ट्रिया को तथा इंग्लैंड ने प्रशा को समर्थन देना शुरू किया जिसके बाद भारत में फ्रांसीसी और अंग्रेजी सेना में युद्ध शुरू हो गया था जिसके बाद भारत में फ्रांसीसी और अंग्रेजी सेना में कर्नाटक का तीसरा युद्ध शुरू हो गया था। कर्नाटक का तीसरा युद्ध ष्सप्तवर्षीय युद्धष् का ही एक महत्त्वपूर्ण अंश माना जाता है।

ये भी पढ़ें  –

फिर फ्रांसीसी सरकार अपना पक्ष मजबूत करने के लिए 1757 ई. में सेनापति काउण्ट लाली को इस संघर्ष से निपटने के लिए भारत भेजा।

फ्राँस की छवि पर बुरा असर

दूसरी तरफ अंग्रेजों ने बंगाल पर कब्जा कर सारा धन अर्जित करने के कारण दक्कन को भी जीत लिया था। वहीं 1758 ईण् में लाली ने सेण्ट डेविड पर अपना अधिकार कर लिया थाए लेकिन वो कभी तंजौर को हासिल नहीं कर पाया। जिस वजह से उसकी व्यक्तिगत और फ्राँस की छवि पर बुरा असर पड़ा।

बुसी को कैद

लाली समझ चुका था वो अकेले अंग्रेजों का सामना नहीं कर पाएगा। युद्ध में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए उसने फ्रांस के दूसरे सेनापति बुसी को हैदराबाद से बुलवाया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ और 1760 में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वाडिवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह से हरा दिया।

जिसके बाद अंग्रेजी सेना ने बुसी को कैद कर लिया और उसके एक साल बाद यानी आज ही के दिन 1761 ई. अंग्रेजों ने फ्राँसीसियों से पांडिचेरी को छीन लिया जिसके बाद जिन्जी तथा माही पर भी अंग्रेजों अपना अधिकार जमा लिया।

देश और दुनिया की तमाम ख़बरों के लिए हमारा यूट्यूब चैनल अपनी पत्रिका टीवी (APTV Bharat) सब्सक्राइब करे।

आप हमें Twitter , Facebook , और Instagram पर भी फॉलो कर सकते है।   

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments