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लखनऊ से वाराणसी तक गोमती अलख यात्रा शुरू करेगी लोकभारती

By अपनी पत्रिका

March 27, 2015

लोकभारती गोमती के उद्गम स्थल पीलीभीत से लेकर गोमती संगम स्थल तक 10 से 16 अप्रैल के बीच गोमती अलख यात्रा शुरू करेगी। यात्रा के संयोजक कैप्टन सुभाष ने बताया कि किसानों और युवाओं पर इस यात्रा के माध्यम से फोकस किया जायेगा। इसके लिए नदियों के किनारे निवास करने वाली जनता और कालेज के विद्यार्थियों को नदियों की स्वच्छता के बारे में जागरूक किया जायेगा।

यात्रा के माध्यम से शून्य लागत से प्राकृतिक खेती,वृक्षारोपण,जल स्रोतों का संरक्षण संवर्धन और घाटों को व्यवस्थित साफ सुथरा एवं संस्कारक्षम बनाने पर जोर होगा।

यात्रा जहां पर पहुँचेगी वहां पर पहले घाट की सफाई होगी उसके बाद सामूहिक रूप से गोमती में स्नान, गोमती का पूजन और आरती होगी तथा लोगों को यात्रा के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी जायेगी और वहीं पर मित्र मण्डली का गठन कर उसकी घोषणा होगी। इसके अलावा सक्षम प्रशासनिक अधिकारी को गोमती को राज्य नदी घोषित करने के लिए ज्ञापन भी सौंपा जायेगा।शासन से प्रमुख मांगें-1.गोमती को राज्य नदी घोषित की जाय।2.गोमती के पूरे क्षेत्र में भूगर्भ जल संचयन की व्यवस्था हो।3.गोमती के प्रवाह को बनाये रखने के लिए शारदा सहायक नहर से पानी गिराया जाये।4.गोमती का चिन्हांकन और अतिक्रमण मुक्त बनाया जाये।5.गोमती में जिन-जिन चीजों से गंदगी होती है उसे गिरने से रोका जाय। लोक भारती के प्रान्तीय अध्यक्ष अशोक खेमका ने बताया कि गोमती के साथ इसकी सहायक नदियों को भी प्रदूषण मुक्त रखने पर जोर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर गोमती को स्वच्छ रखना है तो इसमें गिरने वाली सहायक नदियों को भी प्रदूषण से बचाना होगा। गोमती की जितनी सहायक नदियां है उन नदियों पर मित्र मण्डली का गठन होगा। गोमती अलख यात्रा की विशेषताएं-जीरो बजट प्राकृतिक खेती हेतु प्रशिक्षण व जागरूकताजीरो बजट प्राकृतिक खेती एक गाय से 30 एकड़ की खेती बिना रासायनिक खादों का उपयोग किये बिना कैसे संभव है। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जायेगा।विद्यालय केन्द्रित अभियानयात्रा के अन्तर्गत गोमती के किनारे आने वाले स्कूल कालेजों में गोमती अलख यात्रा के बारे में जानकारी दी जायेगी और गोमती को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प दिलाया जायेगा।स्वच्छघाट व्यवस्थासामाजिक सहयोग एवं श्रमदान द्वारा नदी तट को स्वच्छ एवं साफ सुथरा बनाया जायेगा। नदी के किनारे रहने वाले पण्डांे और मल्लाहों के जीवनस्तर को उठाने का भी प्रयत्न होगा।वृक्षारोपण के साथ-साथ जल स्रोतों का संरक्षण एवं संवर्धनअभियान में वृक्षारोपण, वृक्ष संरक्षण एवं प्रत्येक गांव में जल संग्रहण एवं भूजल भरण हेतु पवित्र तीर्थों (तालाबों) के रखरखाव उनकी खुदाई एवं सफाई एवं नवीन निर्माण एवं समग्र ग्राम विकास आदि पर भी सामाजिक जागृति का कार्य किया जाएगा।