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केजरीवाल के लिए ‘कॉमरेड’ की तरह हैं पत्नी सुनीता

By अपनी पत्रिका

February 12, 2015

नई दिल्ली। जब अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली की कमान संभाली थी तब वह शायद ही अपनी पत्नी सुनीता के बनाए टिफिन को लिए बिना निकलते थे। केजरीवाल और सुनीता की शादी हुए करीब 20 साल हो गए हैं। पति के सड़क से सियासत तक के संघर्ष में सुनीता हमेशा एक कॉमरेड की तरह रहीं। इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के 1994 बैच की ऑफिसर सुनीता की मुलाकात केजरीवाल से टैक्स ऑफिसर ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। पहली नजर में ही दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। जब केजरीवाल ने सुनीता को प्रपोज किया तो उन्होंने इस प्रस्ताव को तत्काल कबूल कर लिया था। इस बैच के एक आईआरएस ऑफिसर ने एक इंग्लिश अखबार से कहा, ‘सुनीता मानसिक रूप से पहले से ही तैयार थीं। ऐसे में जब केजरीवाल ने उन्हें प्रपोज किया तो उन्होंने स्वीकार करने में देरी नहीं की।’ सुनीता फिलहाल इनकम टैक्स दिल्ली में अडिशनल कमिश्नर हैं। इसी बुधवार को सुनीता का जन्मदिन था। इनके एक क्लासमेट ने बताया, ‘हम लोग इस कपल के बारे में सब कुछ जानते हैं। हालांकि अरविंद अन्तर्मुखी स्वभाव के थे और सुनीता बेहद सोशल थीं।’ एक और क्लासमेट ने बताया कि अरविंद बहुत भावुक रहे हैं। वह अपने उस अनुभव को भी साझा करने से बचते थे कि उन्होंने मदर टेरेसा के साथ काम किया है। एक ऑफिसर ने बताया कि सुनीता अरविंद की इन्हीं खासियतों पर फिदा थीं। कौशांबी स्थित सुनीता के छोटे से फ्लैट में केजरीवाल के कारण फाइलों की संख्या लगातार बढ़ती गई। सुनीता ने अपने घर पर ऐक्टिविस्टों की गतिविधियों को करीब से देखा है। इसके बावजूद सुनीता ने अपनी बेटी हर्षिता और बेटे पुलकित का खास खयाल रखा। जब केजरीवाल ने 49 दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा दिया तो यूपीए सरकार ने बंगला खाली करने का निर्देश दे दिया। केजेरीवाल ने फ्लैट देर से खाली करने का अनुरोध किया और वह किराए भुगतान करने पर राजी हो गए। उस वक्त सुनीता चाहती थीं कि उनकी बेटी अपनी 12वीं की परीक्षा ठीक से दे ले। हर्षिता को ने 12वीं में शानदार 96% स्कोर किया। हर्षिता अपने पिता की तरह ही आईआईटी में पढ़ाई कर रही हैं। जब मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐतिहासिक नतीजे आने शुरू हुए तो आम आदमी पार्टी में जश्न मनाने की शुरुआत हो चुकी थी। आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में बेहद शानदार सफलता मिली। आप समर्थकों को पहली बार पटेल नगर स्थित पार्टी ऑफिस में सुनीता केजरीवाल को देखने का मौका मिला। जमीनी छवि को लेकर बेहद सतर्क रहने वाले केजरीवाल अपनी पत्नी के साथ राजनीतिक मंचों पर नहीं दिखते हैं। सुनीता के सरकारी ऑफिसर होने के नाते केजरीवाल इस बात से सावधान रहते हैं कि सरकार उनकी पत्नी की राजनीतिक भागीदारी पर कोई सवाल न उठाए। डायबीटीज से पीड़ित केजरीवाल के लिए सुनीता को चुनावी मौसम में अपने पति के खाने को लेकर बेहद सतर्क रहना पड़ा। सुनीता ऑफिस जाने से पहले अपने पति के लिए हर दिन खाना तैयार करती थीं। सुनीता अपने पति के सहयोगियों को इस बात को लेकर भी सतर्क कर देती थीं कि उन्हें खाने के बाद गर्म पानी ही पीना है। इसे याद रखने के लिए वह टिफिन के साथ एक नोट लगा देती थीं। केजरीवाल की खांसी को लेकर सुनीता यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उनके पति गर्म पानी ही लें। इनके एक करीबी दोस्त ने बताया कि सुनीता और केजरीवाल के बीच शायद ही कभी विवाद की स्थिति पैदा हुई हो। इनके जानने वाले बताते हैं कि दोनों के बीच किसी भी पॉइंट पर कभी भी मतभेद देखने को नहीं मिला। केजरीवाल की आंदलनकारी प्रवृत्ति को लेकर सुनीता हमेशा सतर्क रहीं। साल 2000 के मध्य में जब केजरीवाल ने दिल्ली में पानी के निजीकरण का विरोध करते हुए आंदोलन की शुरुआत की तो सुनीता ने अपने बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी संभाली। इस वक्त केजरीवाल अपने सबसे करीबी दोस्त मनीष सिसोदिया और समर्थकों के साथ लगातार आरटीआई फाइल करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में युद्धस्तर पर लगे थे।  दोनों बच्चे अपने पिता के बढ़ते प्रभाव और चढ़ती लोकप्रियता के गुमान में कभी नहीं रहे। हर्षिता शुरुआत में अपने पिता पर बढ़ते राजनीतिक हमले से परेशान रही। लेकिन जब केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दिया तो हर्षिता ने खुद को आजाद महसूस किया। केजरीवाल के पैरंट्स गोविंद राम और गीता भी उनके उभार में बड़ी ताकत हैं। 1980 में गोविंद राम की जॉब चली गई तो वह हरियाणा के हिसार जिले में सिवनी चले गए। लेकिन उन्होंने अरविंद की पढा़ई कभी प्रभावित नहीं होने दी। एक साल बाद उन्हें जॉब मिली तो वह फिर हिसार शिफ्ट हो गए। और फिर अरविंद का जीवन आईआईटी खड़गपुर से होते हुए ऐक्टिविजम और सीएम की कुर्सी तक पहुंचा।