आजादी के समय देश में एक ही पार्टी थी कांग्रेस , उसके बाद वह प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बन गयी । इसके बाद कृपलानी , राम मनोहर लोहिया व ममानी आदि लोग कांग्रेस केा छोड़कर चले गये और अपना दल बना लिया, किन्तु सभी के मन में यह बात गूंज रही थीकि जैसे आजादी के बाद मुसलमान दो भागों में बंट गये उसी तरह कहीं कांग्रेस को छोड़कर न चले जाय इसलिये तुष्टीकरण के तहत यह अफवाह सदैव से फैलायी जाती रही कि सभी मुसलमानों के दुश्मन है इसलिये कांग्रेस को समर्थन दो। जनसंघ के राजनीति में आने के बाद यह परिभाषा बदल गयी और जनसंघ को उसका दुश्मन बनाया जाने लगा । भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ तो यह आरोप उसके उपर डाल दिया । लेकिन अब नही , मुसलमानों को लगने लगा है कि कांग्रेस व भाजपा में कम से कम इस मुद्दे को लेकर केाई अंतर नही है उसमें भी मुसलमानों के लिये वही जगह है जो अन्य दलों में है इसलिये आज भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चा मौजूद है और प्रदेश में जो ईकाइयां है भाजपा को लेकर फैलायी जा रही भ्रांतियों को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रहीं है । उक्त बातें भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्टीय अध्यक्ष अब्दुल रसीद अंसारी ने पत्रकार अरूण पाण्डेय से बातचीत के दौरान कही।
उन्होनें कहा कि कई दशकों से भाजपा में है और जनसंघ के समय में भी थे । उन्हें कोई दिक्कत नही है , इतना ही नही वह दिल्ली में कार्यकर्ता रहे, कार्यकारणी के सदस्य रहे और प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। पार्टी के संघटनात्मक ढांचे में भी कई पदों पर काम किया। लेकिन कभी दिक्कत नही हुई । पार्टी ने उन्हें चुनाव समिति में रखा , अनुशासनात्मक समिति में रखा फिर मोर्च में राष्टीय सचिव की जिम्मदारी दी और अब राष्टीय अघ्यक्ष है , दो बार से है मुस्लिम होने को लेकर कोई मतभेद नही है।पता नही लोगों को कैसे गुमराह कर दिया जाता है मैं अभी तक नही समझ पाया । दूसरी पार्टी मुस्लिम मतभेद की बात भाजपा को लेकर करती है लेकिन बताइये , नजमा हेपतुल्लाह, मुख्तार अब्बास नकवी , शहनवाज हुसैन की तरह किसी दल में लोग प्रमुखता से है। आजादी के बाद लोग पाकिस्तान चले गये जो हिन्दुस्तान से प्यार करते थे वह यही ंरह गये और मैं हम सभी जो भाजपा में है प्रमुखता से है फिर किस तरह भ्रमित किया जा रहा है ।
अब्दुल राशिद अंसारी ने कहा कि भाजपा में अटल बिहारी बाजपेयी जी के समय में संविधान बना था तो देा आदमी थे एक लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे सिकंदर बख्त जी , दोनों के सहयोग से भाजपा का संविधान बना जो भाजपा की नीति और नियत को इंगित करती है आज मोर्च का अध्यक्ष, पदेन कार्यकारणी सदस्य होता है और सभी गंभीर मामलों मे ंउसकी सहमति ली जाती है । उस भाजपा में किसी भी घर्म ,जाति व विचार को लेकर मतभेद कैसे हो सकता है।
मोर्च की नवीतम योजनाओं के बाबत पूछे गये सवाले के बारे में उन्होनें कहा कि पूरे देश में मोर्च की ईकाइयां है और हमारा सारा ध्यान उन भ्रान्तियों को दूर करने में है जो भाजपा को लेकर विरोधी दलों द्वारा फैलायी जा रही है । इसके अलावा कार्यकर्ताओं व सदस्यों को जोडा जा रहा है । एक कैम्पेन चलाया जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मदरसों के आधुनिकीकरण की बात की । उन्होने बताया कि उनकी योजना उप्र के समाजवादी पार्टी सरकार के तरह लैपटाप या टेबलेट बांटने की नही है उनका कहना है मदरसे घार्मिक शिक्षा दें लेकिन शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग हो और जो शिक्षा ले रहें है वह समानान्तर शिक्षा पा सके और समाज के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल सके । इसको प्रमुखता दी और 100 करोड का अनुदान भी दिया ।
मोर्च में आपसी मतभेदों के बाबत उन्होने कहाकि मोर्च में आपसी स्पर्धा रही लेकिन कभी टकराव खुलकर सामने नही है एक बार वरिष्ठ नेता आरिफ बेग ने सांसद का टिकट मांगा था । पार्टी ने नही दिया तो वह पार्टी छोड़कर चले गये । शहनवाज हुसैन व रानी नफीसा खान के बीच मतभेद हो सकता है लेकिन सार्वजनिक तौर पर देखा जाय तो एैसी कोई बात सामने नही आयी । उन्होने कहा कि मोर्च की कार्यकारणी को लेकर बैठक होने वाली है जो मार्च तक होगी । इस बात का दबाब भी प्रदेश ईकाइयों पर डाला जा रहा है कितने लोग अब तक पार्टी से जुडे है इसका आकडा भेजें जिससे कार्यक्रम की बुनियाद रखी जा सके।
दिल्ली में हुए चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल होने वाली आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता शाजिया इल्मी के बारे में कहा कि वह क्या करेगी या क्या नही करेगी यह उनका अपना फैसला है इस पर वह कुछ नही कह सकते हां अगर मोर्च से जुड़कर काम करना चाहें तो मोर्च को खुशी होगी ।