नईदिल्ली । दिल्ली में नजफगढ ने एक ओर जंहां वीरेन्द्र सहवाग जैसा क्रिकेट खिलाडी व सुशील कुमार जैसा पहलवान दिया तो वही कुछ एैसे नाम भी दिये जो कि आज अपराध जगत में अपना नाम दर्ज कराकर उसे दागदार करने से पीछे नही हट रहें है। वर्चस्व की लड़ाई को कई साल से अधिक का गुजर चुके हैं लेकिन अब भी युवा अपराध की दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जब वह पकड़े जाते हैं और जेल जाते हैं तो अपने बचाव के लिए उन्हें किसी ना किसी गैंग का सहारा लेना पड़ता है। यही कारण है कि किशन पहलवान और अनूप-बलराज गैंग का नाम आज भी पुलिस रिकार्ड से बाहर नहीं हो सका है।सूत्रों की माने तो पुलिस के रिकॉर्ड में बलराज-अनूप गैंग से जुड़े या फिर उनके गैंग को सरंक्षण देने के साथ-साथ ठिकाने मुहैया कराने वाले करीब 45 लोग शामिल हैं। इनमें गांव मित्रांऊ, अस्थल, मुंडका, हरियाणा के भिवानी, रेवाडी व राजस्थान और यूपी के लोग हैं। इनमें से कुछ सरपंच और प्रधान भी अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं मदद करते हैं।
हमेशा होता रहा है गैंगवार
सतीश दूधा ने किशन पहलवान से हाथ मिलाने वाले कपिल के रिश्तेदार अनिल को भरथल में मौत की नींद सुला दिया था। नजफगढ़ में धर्मपाल उर्फ गुल्लू और रामधारी की भी हत्या की थी। रामधारी को बलराज की हत्या में शामिल बताया जाता था।इसीक्रम में किशन पहलवान से जुड़ा कपिल जो कि मुठभेड़ में मारा गया था उसके गैंग के सदस्यों को मदद करने वाले करीब 28 लोग अपराध शाखा की सूची में शामिल हैं। ये लोग बाहरी दिल्ली के अलावा हरियाणा से संबंध रखते हैं।पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं पूर्व विधायक भरत सिंह की हत्या में जिनके नाम संदेह के तौर पर सामने आ रहे हैं वह बलराज-अनूप गैंग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े हैं या नहीं या फिर उनका अपना नया गैंग है इसका पता तो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही चल पाएगा।
आज भी चल रहे हैं कई गिरोह
नजफगढ़ सहित बाहरी दिल्ली में नीरज बवाना, मनोज मोरखी,अनिल पहलवान, संदीप चिटयाना, विकास लगरपुरिया, संजय राठी, पूप्पू पंडित, सतीश उर्फ पवन,लांकडा बंधु, सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दबोदिया (मुठभेड़ में मारा गया), नरेश उर्फ सोनू, धीरपाल सहित अनेक गैंग चल रहे हैं। ये गैंग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपहरण, रंगदारी, केबल ऑपरेटरों को संरक्षण देने व अन्य अपराध में शामिल हैं। कहा जाता है कि मंजीत उर्फ महाल, सतीश दूधा, नरेश उर्फ काला सहित कई शूटर हैं जिनके पास प्वाइंट 38, प्वाइंट 32 रिवाल्वर, एके 47 सहित कई स्वाचालित हथियार हैं।
अपराधियों की शरण स्थली बना नजफगढ
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