चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों को भले ही किसान नेताओं और विपक्षी दलों का समर्थन मिल रहा हो। भले ही उनके समर्थन में जम्मू कश्मीर के राज्य पाल सत्यपाल मलिक, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, किसान नेता राकेश टिकैत, गुरुनाम चढूनी के साथ ही बड़े स्तर पर नेता और समाजसेवियों के साथ ही खिलाड़ी पहुंच रहे हों पर जिस तरह से मामले में बीजेपी के साथ ही केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है। जिस तरह से बृजभूषण शरण सिंह ने आरोपों को निराधार बताते हुए आंदोलन को उन्हें फंसाने की साजिश करार दिया है।
बृजभूषण शरण सिंह ने चेतावनी लहजे में कहा है कि उनके एक इशारे पर पहलवानों के पक्ष में जुट रही भीड़ से कहीं गुना अधिक भीड़ जंतर मंतर पर जुट सकती है। ऐसे में जंतर मंतर पर पहलवानों के समर्थकों और बृजभूषण शरण के समर्थकों में टकराव हो सकता है। वैसे भी अभी तक बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह के साथ देखी जा रही है। ऐसे में पहलवानों के आंदोलन को समर्थन कर मुद्दा बना रहे विपक्ष को सबक सिखाने की नीयत से बीजेपी कोई खेल कर सकती है। हालांकि जंतर मंतर पर किसी भी तरह का बीजेपी या फिर बृजभूषण शरण सिंह के समर्थकों का हंगामा उनके खिलाफ ही जाएगा, क्योंकि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय है।
जंतर मंतर पर टकराव की आशंका इस लिए भी व्यक्त की जा रही है क्योंकि किसान आंदोलन में भी ऐसा ही करने के प्रयास किया गया था। जब संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान नये किसान कानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर थे तो बीजेपी समर्थकों ने उन किसानों को नक्सली, नकली किसान, भाड़े के टट्टू न जाने क्या क्या उपाधि दे डाली थी। लोनी के बीजेपी विधायक के तो गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों पर हमला तक करवा देने की बात सामने आई थी। वह बात दूसरी है कि बाद में खुद पीएम मोदी को किसानों से माफ़ी मांगते हुए कानून वापस लेने पड़े थे।
दरअसल मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी का रवैया विरोध के दबाव ने न आने का रहा है।
उत्तर प्रदेश में अजय मिश्रा उर्फ़ टेनी के मामले में भी उनका इस्तीफा मांगते हुए कितने आंदोलन हुए पर प्रधानमंत्री मोदी ने अजय टेनी का इस्तीफा नहीं लिया। ऐसे ही भले ही बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लग रहे हों। उनके खिलाफ दिल्ली जंतर मंतर पर बड़ी लामबंदी हो रही हो, उनका इस्तीफा मांगा जा रहा हो, उनको जेल भिजवाने तक आंदोलन जारी करने की बात पहलवान कर रहे हों पर इसका बीजेपी और केंद्र सरकार पर कोई असर नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है। उल्टा बीजेपी और बृजभूषण शरण सिंह के समर्थक इसे हरियाणा के फेडरेशन के अध्यक्ष कब्जाने के लिए यह सब करने की बात कर रहे हैं। इसके पीछे ये लोग तर्क दे रहे हैं क्योंकि जल्द ही फेडरेशन अध्यक्ष पद का चुनाव आ रहा है और गत चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह ने दीपेंद्र हुड्डा को हरा कर अध्यक्ष पर कब्ज़ा लिया था।
देखने की बात यह भी है कि बृजभूषण शरण सिंह के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर यह अभियान चला रखा है कि अधिकतर पहलवान हरियाणा के होने की वजह से हरियाणा के दिग्गजों को यह खल रहा है कि उत्तर प्रदेश के बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष कैसे हो गए ? इन समर्थकों का कहना है यह सब कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के लिए हो रहा है। ऐसे में दिल्ली जंतर मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के समर्थक उनके पक्ष में जुट सकते हैं। ऐसे में दोनों पक्षों में टकराव की पूरी आशंका हो जाएगी। वैसे भी इस लड़ाई को कितने लोग जाट और राजपूत समाज की लड़ाई बताया जा रहा है।