Tribute to Kasturba Gandhi : बा को आंदोलन के लिए तैयार करने का अजीब तरीका था गांधी जी का
हम पुरुष जिस तरह सरकार से लड़ते हैं वैसे ही तुम स्त्रियाँ भी लड़ों
नीरज कुमार
दक्षिण अफ्रीका में एक दिन बा रसोई घर में कुछ बना रही थीं | गांधी जी कुछ और काम कर रहे थे | साहसा उन्होंने कस्तूरबा से पूछा, “तुझे पता चला या नहीं?”
बा उत्सुक स्वर में बोलीं, “क्या?”
गांधी जी ने हँसते हुए कहा, “आज तक तू मेरी विवाहिता पत्नी थी, लेकिन अब नहीं रही |”
बा ने चकित होकर उनकी ओर देखा | पूछा, “ऐसा किसने कहा ? आप तो रोज नई-नई बातें खोज निकालते हैं |”
गांधी जी बोले, “मैं कहां खोज निकालता हूँ ! वह जनरल स्मट्स कहता है कि इसाई विवाहों की तरह हमारा विवाह सरकारी अदालत के रजिस्टर में दर्ज नहीं हुआ है, इसलिए वह गैर-कानूनी माना जाएगा और तू मेरी विवाहिता पत्नी नहीं, बल्कि रखैल मानी जाएगी |”
बा का चेहरा तमतमा उठा | बोली, “उनका सिर ! उस निठल्ले को तो ऐसी ही बातें सुझा करती हैं!”
गांधी जी ने पूछा, “लेकिन अब तुम स्त्रियां क्या करोगी ?”
बा बोलीं, “आप ही बताइए, हम क्या करें ?”
गांधी जी तो जैसे यही सुनने के लिए तैयार बैठे थे | तुरंत बोले, “हम पुरुष जिस तरह सरकार से लड़ते हैं वैसे ही तुम स्त्रियाँ भी लड़ों | अगर तुम्हें विवाहिता पत्नी बनना हो और अपनी आबरू प्यारी हो तो तुम्हें भी हमारी तरह सत्याग्रह करके जेल जाना चाहिए |”
बा ने अचरज से कहा, “मैं जेल जाऊं ? औरतें भी कभी जेल जा सकती हैं ? औरतें जेल क्यों नहीं जा सकतीं ? पुरुष जो सुख-दुःख भोगेंगे वे स्त्रियां क्यों नहीं भोग सकतीं ? राम के साथ सीता, हरिश्चंद्र के साथ तारामती और नल के साथ दमयंती, इन सभी ने बनों में अपार दुःख सहे थे |”
बा बोलीं, “वे सब तो देवताओं-जैसे थे | उतनी शक्ति हममें कहाँ है |”
गांधी जी ने उत्तर दिया, “हम भी उनके जैसा आचरण करें तो देवता बन सकते हैं | मैं राम बन सकता हूँ और तू सीता बन सकती है | सीता राम के साथ न गई होती, तारा हरिश्चंद्र के साथ न बिकी होती और दमयंती ने नल के साथ कष्ट न उठाए होते तो उन्हें कोई भी सती न कहता |”
यह सुनकर बा कुछ देर चुप रही | फिर बोली, “तो मुझे आपको जेल में भेजना ही है | जाऊंगी मैं, जेल भी जाउंगी | लेकिन जेल का खाना क्या मुझे अनुकूल आएगा ?”
गांधी जी बोले, “जेल का खाना अनुकूल न आए तो वहां फलों पर रहना |”
बा ने पूछा, “जेल में सरकार मुझे फल खाने देगी ?”
गांधी जी ने कहा, “न दे तो उपवास करना |”
बा हंस पड़ी, “ठीक है, यह मुझे आपने मरने का अच्छा रास्ता बता दिया | अगर मैं जेल गई तो जरुर मर जाऊंगी !”
गांधी जी खिलखिला पड़े और कहा, “हाँ-हाँ, तू जेल में जाकर मरेगी तो मैं जगदम्बा की तरह तेरी पूजा करूँगा |”
बा दृढ स्वर में बोलीं, “अच्छा, तब तो मैं जेल जाने को तैयार हूँ |”
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