Friday, May 17, 2024
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Indian Politics : तो क्या फिर से बदलाव का गवाह बनेगा बिहार 

चरण सिंह राजपूत 

बिहार की धरती से फिर से बड़े बदलाव की पटकथा लिखी जा रही है। इस पटकथा को लिखने के लिए विपक्ष के दिग्गज पटना में मंथन कर रहे हैं। इस मंथन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने सिपहसालारों के साथ पहुंचे हुए हैं। प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन,  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहुंचे हुए हैं। इस मीटिंग में एनसीपी चीफ शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ पहुंचे हुए हैं। अखिलेश यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और डी. राजा भी पहुंचे हुए हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या विपक्ष बदलाव कर पाएगा ? या फिर बीजेपी विपक्ष की इस लामबंदी को तोड़ देगी ? या फिर खुद विपक्ष के नेता ही इस एकता का पलीता लगा देंगे।

दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मीटिंग का मुख्य मुद्दा अध्यादेश बता दिया है। उन्होंने कहा है कि पहले कांग्रेस अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करे और विपक्ष के दूसरे दल भी कांग्रेस से उसका रुख स्पष्ट करने के लिए बोलें। मतलब अरविन्द केजरीवाल ने मीटिंग से पहले ही अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया है। उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को चुनाव लड़ने से रोकने को कहा है। रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने निजी कार्यक्रम का हवाला देते हुए मीटिंग में शामिल होने में अनभिज्ञता जताई है। उधर बीजेपी इस मीटिंग की मजाक बनाने में लगी है। संजय जायसवाल ने इसे भ्रष्टाचारियों का जमघट बताया है तो सुशील मोदी ने कहा है कि प. बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस को चुनाव लड़ने देगी।
दरअसल बिहार की धरती बदलावों की गवाह रही है। 1967 में डॉ. राम मनोहर लोहिया की अगुवाई में हुए प्रयास से बदलाव हुआ था तो 1977 में लोक नायक जयप्रकाश नारायण के प्रयास से। तो क्या बिहार के मुख्यमंत्री का या प्रयास फिर से बदलाव का गवाह होने जा रहा है ? क्या बिहार की धरती एक बार फिर से  बदलाव की पटकथा लिखने जा रही है। इसमें दो राय नहीं कि उस दौर में जो नेतृत्व था वह विश्वसनीय, जुझारू और ईमानदारी से परिपूर्ण था। यह जो नेतृत्व है वह कमजोर और विभिन्न तरह के दाग लिए घूम रहा है।
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