Tuesday, May 21, 2024
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Manipur Violence : तो क्या महिलाएं उठा लें हथियार ?

डा. पुष्पा सिंह विसेन
आज हमारे देश में जो हालात महिलाओं के लिए पैदा किया जा रहा है उसकी जिम्मेदारी किसकी है? ऐसे अनेक प्रश्न अगर आप सभी देशवासी पूछना चाहते हैं तो उत्तर हम बताते हैं। हमारे देश में राज्य सरकार एवं केंद्र की वर्तमान सरकार सभी की जिम्मेदारी है। अधिकारी, वर्दीधारी, जाति , समुदाय में बंटे समाज के लोग यहां सभी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से नहीं निभाते हैं। एक मणिपुर ही नहीं हमारे देश के सभी राज्यों में वीभत्सता के साथ दरिंदगी करने का चलन,प्रचलन हो गया है। और इसमें दोषी वो महिलाएं भी हैं जो ऐसे दुष्कर्म को बढ़ाने में ठहाके लगाते हुए पुरुषों को उकसाया करती हैं, ईर्ष्या के कारण आपस में एक दूसरे को प्रताड़ित किया करती हैं। भारत में सदियों से स्त्री का प्रयोग अनेक छल,कपट, लाभ,हानि के संदर्भ में होता ही रहा है। विषकन्या के संदर्भ में आप सभी को पता ही होगा। लेकिन उस समय कुछ उद्देश्य हुआ करते थे। विस्तृत विवरण नहीं देना चाहते हैं।
आज के समय में महिलाओं की इज्जत,  मान, मर्यादा तो मानों देश में खत्म होती जा रही है।हम किस प्रकार से विश्व स्तर पर प्रगति कर रहे हैं। यहां किसी भी बात के लिए सरकार को नाकों चने चबवा दे रहे हैं मुठ्ठी भर लोग। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। हमारे वजीरेआजम क्यों ख़ामोश हैं। टुकड़े करने वाले जेलों में पल्लवित पोषित हो रहे हैं।देश के लचर कानून को भी बदलना चाहिए।तीन सौ सत्तर की तरह और तुरंत कठोर  दंड का प्रावधान होना चाहिए। चाहे अत्याचारी कोई भी हो। अनावस्त्र करके देवी स्वरुप बेटियों का जो हाल किया गया है,वह सिर्फ चैनलों पर दुःख प्रगट करने से नहीं हल होगा। जितने पकड़े गए हैं। उन्हें नंगा करके गोली मरवा देना चाहिए उन बेटियों से। अगर ऐसा नहीं करना है तो अपने पदों को त्याग देना चाहिए। हमारे थानों में इतनी देर में शिकायत दर्ज करने वाले वर्दीधारी हों या अधिकारी कौन इनके ऊपर बैठकर देश में अपराधियों को अपराधों को बढ़ावा दे रहा है। इस देश में सबसे ज्यादा मुमकिन बेटियों की इज्जत लूटना हो गया है।यह सब किसके राज में मुमकिन हो रहा है? इस प्रश्न का उत्तर सभी के पास है। अत्याचारी हिटलर हो गया है। आज मुझे प्रोफेसर नामवर सिंह की कही बात याद आ रही है। कि पूरा देश हिटलर गिरी करेगा। धर्म,जाति के लिए नहीं बल्कि बेटियों की इतनी दुर्दशा ।आखिर क्यों?
हमारे दुष्ट नेता एवं मंत्री एक दूसरे के राज्यों में होने वाले अत्याचार की तुलना में लगे हैं।यह हमारे देश के भविष्य के लिए बहुत ही शर्मनाक है। जिसकी जिम्मेदारी सभी पार्टियों की है।

एक राज्य में कुछ भी बुरी घटनाएं हुई, तुरंत दूसरे राज्यों में भी दोहराया जाता है कि हम किसी से भी कम नहीं है। आज अफजल गुरु हमें बहुत ही ज्यादा याद आए। निर्दोष को फांसी दी गई। उस हमले में कोई नेता हताहत नहीं हुआ था। ऐसे ही क्रूरता से क्यों नहीं बेटियों के मुजरिमों को फांसी दी जाती है। किसी भी नेता मंत्री की बेटी नहीं प्रताड़ित हो रही है। जिस देश में मुठ्ठी भर वोटों के लिए एक दूसरे की बेइज्जती करने वाले जनता की बेटियों की रक्षा कभी भी नहीं कर सकते। यह भी इतिहास बनेगा कि इस काल खंड में उस समय के प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री के समय ऐसा भारत देश में होता था।और ऐसा जरुर वर्णित किया जाएगा।  एक बात और कि फैसला देने वाले जज के कारण दोनों समुदायों में ऐसा हुआ है, क्या वहां के लोग पागल वहशी हैं जो मनुष्य होते हुए दूसरे मनुष्य के लिए इतनी क्रूरता रखते हैं दिलों में।बेरोज़गारी, अत्याचार के बीच पिसता देश का युवा वर्ग दिशा हीन होता जा रहा है और अत्याचार बढ़ता जा रहा है। कोई भी किसी को अत्याचार करने से रोक नहीं रहा है। यह हमारे देश के लिए बहुत ही घातक है। ऐसे में हम कौन सा झंडा विश्व स्तर पर गाड़ रहे हैं?अपने देश में शर्मनाक स्थिति पैदा करने वाले देश के कर्णधारों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
आखिर कौन सी हिटिंग की गरी थी मणिपुर में जिसका परिणाम यह आया। भाई, पिता को सामने मारकर बेटियों बहनों के साथ ऐसा दुष्कर्म करने वाले कैसे अभी तक जिंदा हैं?
मैं देश की बेटियों और देशवासियों से कहना चाहती हूं कि आप स्वयं जिम्मेदार बनिए और अपनी सुविधा के अनुसार सुरक्षा करिए।अपनी सुरक्षा पहले है।यह देश मानवता, इंसानियत रहित हो रहा है। मणिपुर में महिलाओं ने भी भीड़ का साथ दिया।वो भूल गरी कि वो भी महिला पहले हैं। समुदाय बाद में।
मंत्री बनीं महिला नेता किस मुंह से दूसरे राज्यों की बात करतीं हैं। मैं आजतक पर स्मृति ईरानी को सुनकर कर हतप्रभ रह गयी कि बंगाल में हुई घटनाओं की बात कर रही थी। ये सरकार केंद्र में बैठी ऐसे नियम क्यों नहीं बना रही है कि हमारे देश में नारी की इज्जत लूटना तो दूर सोचने से भी डरें। किसी भी नेता मंत्री को अपने देश के भीतर सब कुछ ठीक करने पर ध्यान देना चाहिए।ना कि  विश्व स्तर पर खोखली प्रसिद्धि। हम देश की मातृशक्ति को स्वयं को स्थापित करने के साथ ही अपने को निडर एवं मजबूत बनाने में अपना भरपूर योगदान देना चाहिए। जिससे किसी भी मुसीबत का सामना कर सकें।और कौरवी भीड़ को परास्त भी कर सकें। कभी बेटियां जंतर मंतर पर बिलखती दिखाई देती हैं तो कभी टुकड़े होती हैं। आखिर टुकड़े सत्य को प्रमाणित कर दिए। लेकिन अदालतों की रवायत , उफ़ हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां साक्षात् सरस्वती,काली, लक्ष्मी कहा जाता है और निर्दयतापूर्वक ऐसा हश्र किया जाता है।हे देश की मातृशक्ति आप स्वयं के भीतर रणचंडी को जाग्रत करना आरंभ करें,और मां काली जैसे एकल वध करने का हुनर पैदा करें। आपसे अच्छे लोग जुड़ते जाएंगे।
और विजय भी आपकी तय होगी। अपने भीतर से भर को मार दें, ऐसा जिस दिन किया आप एक एक सौ सौ को धूल चटाने में कामयाब हो जाएंगी। अबला का चोला उतार फेंकिए। यही एक मात्र मार्ग है जिससे ऐसी घटनाओं को विराम लगा सकेंगी। हम इस धरती पर अनावसत्र ही पैदा होते हैं वस्त्र तो मात्र सभ्यता का आवरण भर है। जो भी पुरुष ऐसा करते हैं वो अपनी मां बहनों को भी नहीं छोड़ते होंगे। मणिपुर की मणियां हैं वहां की बेटियां। नीच तो वो हैं, जो भीड़ में परिवर्तित हो कर ऐसा करते हैं। उससे भी अधिक शर्मनाक यह बात है कि उस भीड़ में दानवी प्रवृत्ति का विरोधी कोई नहीं होता है? आखिर क्यों?
वीभत्सता से भरा हर कोना
ये हैं सच्चाई मेरे देश की।
बेटियों आओ मिल कर निर्माण करें हम एक नए परिवेश की।
शास्त्रों के संग शस्त्रों को को हमें
धारण करना होगा,
मर्यादा रहित होने से पहले ही हमें
दुष्ट वध करना होगा ।

(लेखिका वरिष्ठ साहित्यकार हैं)

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