Friday, October 11, 2024
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अधिसूचना भाजपा की घबराहट को दिखाती है: केजरीवाल

नई दिल्ली। दिल्ली के उप राज्यपाल की भूमिका और शक्तियों को स्पष्ट करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए आज कहा कि यह उनकी सरकार के भ्रष्टाचार रोधी प्रयासों के बारे में भाजपा की घबराहट का द्योतक है। केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘भाजपा पहले दिल्ली चुनाव हार गई। आज की अधिसूचना हमारे भ्रष्टाचार रोधी प्रयासों के बारे में भाजपा की घबराहट को दिखाती है। भाजपा आज फिर हार गई।’’ उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ते टकराव के बीच केंद्र ने आज दिल्ली के उप राज्यपाल का समर्थन किया और स्पष्ट किया कि नौकरशाहों की नियुक्ति जैसे मुद्दों पर उप राज्यपाल के लिए केजरीवाल से सलाह मशविरा करना अनिवार्य नहीं है। आज जारी एक गजट अधिसूचना में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि उप राज्यपाल के पास सेवा, लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से जुड़ा अधिकार क्षेत्र होगा और जब उन्हें जरूरी लगेगा तो वह अपने ‘‘विवेकानुसार’’ सेवा से जुड़े मुद्दों पर मुख्यमंत्री से मशविरा कर सकते हैं। गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस अधिसूचना से यह स्पष्ट हो चुका है कि ‘‘दिल्ली का तबादला-पोस्टिंग उद्योग’’ आप सरकार से भयभीत है।

सिसोदिया ने अपने ट्वीटों में कहा, ‘‘इस अधिसूचना से, यह स्पष्ट है कि दिल्ली का तबादला उद्योग हमसे कितना भयभीत है।’’ उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना के जरिए ”तबादला-पोस्टिंग उद्योग को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।’’ गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि लोक व्यवस्था, भूमि और सेवा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा के दायरे से बाहर हैं और परिणामस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पास इस तरह के मुद्दों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं होगी। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि घटनाक्रम से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भ्रष्टाचार तथा ‘तबादला-पोस्टिंग उद्योग’ के आगे ‘‘घुटने टेक रहे हैं।’’ उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली में पुलिस आयुक्त, मुख्य सचिव, गृह सचिव और भूमि सचिव की नियुक्ति उप राज्यपाल के हाथों में हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से सलाह मश्विरे के जरिए।’’ सिसोदिया ने कहा, ‘‘इन सभी चार मामलों में उप राज्यपाल को मुख्यमंत्री से परामर्श किए बिना नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है।’’ सिसोदिया ने कहा, ‘‘संविधान के अनुसार, अन्य सभी तबादला-पोस्टिंग अधिकार दिल्ली सरकार के पास हैं। अधिकारियों का तबादला और पद स्थापना करना तथा उनसे काम लेना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है।’’ अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि गृह मंत्रालय संविधान की कीमत पर कुछ भ्रष्ट बाबुओं को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के नियम कायदे तैयार करेगा तो देखना यह होगा कि राजनीतिज्ञों और भ्रष्ट बाबुओं का गठजोड़ ऊपर रहता है या संविधान।’’ उप राज्यपाल द्वारा पिछले हफ्ते वरष्ठि नौकरशाह शकुंतला गामलिन की नियुक्ति कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में किए जाने से सत्तारुढ़ आप और उप राज्यपाल के बीच खुली लड़ाई शुरू हो गई थी। केजरीवाल ने उप राज्यपाल की शक्ति पर सवाल उठाए और उन पर आरोप लगाया कि वह प्रशासन पर नियंत्रण की कोशिश कर रहे हैं।

 

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