चरण सिंह राजपूत
जो लोग अभी भी देश को खुशहाल और अमन चैन वाला मानकर चल रहे हैं। जो लोग पीएम मोदी को देशभक्त और देश के लोगों की चिंता करने वाला मानते हैं। जो लोग अभी भी मीडिया को देश और समाज के लिए काम करने वाला मानते हैं। जो लोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए बनाए गए तंत्रों को उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही वाला मानकर चल रहे हैं। जो लोग पाकिस्तान और श्रीलंका की बदहाल हालत वाली खबरों को देखकर मोदी सरकार को शाबाशी देने लगते हैं। वे लोग जरा मणिपुर में शर्मसार करने वाली वायरल हो रही वीडियो को जरूर देख लें।
वैसे तो मणिपुर में जो कुछ घटित हो रहा है वह सब कुछ शर्मसार करने वाला है पर यह वीडियो तो सत्ता पक्ष-विपक्ष और मीडिया के साथ ही मानवाधिकार आयोगों, लोकतंत्र की रक्षा करने वाले तंत्रों ही नहीं बल्कि पूरी मानवता को कलंकित करने वाला है। दरअसल इस वीडियो में दो महिलाओं को पंद्रह-बीस की संख्या में पुरुष निर्वस्त्र करके परेड करा रहे हैं। यह घटना मणिपुर के कांगपोकपी जिले की बताई जा रही है। दोनों महिलाएं कुकी समुदाय की बताई जा रही हैं और हमलावर मैतेई समुदाय के होने की बात सामने आ रही है।
कांगपोकपी जिले के गांव बी फैनोम में 4 मई को घटी है। मतलब मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष शुरू होने के ठीक दूसरे दिन। पता चला है कि मैतेइयों की भीड़ जब इस महिला के गांव के पास घरों को जला रही थी, उसके परिवार के सदस्य समेत दूसरे लोग एक कीचड़ भरे रास्ते से भाग कर बचने की कोशिश कर रहे थे कि तभी एक भीड़ ने उनको देख लिया। इस महिला के पड़ोसी और उनके बेटे को कुछ दूर ले जाया गया और उनकी हत्या कर दी गयी। भीड़ ने उसके बाद महिलाओं की पिटाई शुरू कर दी और फिर महिलाओं को अपने कपड़े उतारने के लिए कहा।
जब इन महिलाओं ने कपडे उतारने का विरोध किया तो भीड़ ने इस महिला से कहा कि अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतारती हो तो हम तुमको मार देंगे।” महिला की उम्र तकरीबन चालीस साल बताई जा रही है। वेबसाइट स्क्रोल के इस पीड़िता से बात करने पर पता चला कि इन महिलाओं ने अपनी जान की खातिर सारे कपड़े उतार दिए। इस दौरान पुरुष लगातार उसको पीटते और धकियाते रहे। उसके जननांगों से खेलते रहे। उसने बताया कि उसे नहीं पता था कि उसके पड़ोस में रहने वाली 21 साल की लड़की के साथ क्या हो रहा है। क्योंकि वह कुछ दूरी पर थी।
इस महिला ने बताया कि उसके बाद उसे पास के एक धान के खेत में ले जाया गया। और पुरुषों ने उसे वहां लेट जाने के लिए कहा। उसने बताया कि “जैसा उन्होंने कहा मैंने वैसा ही किया और फिर तीन पुरुषों ने मुझे घेर लिया। उनमें से एक ने दूसरे से कहा, ‘उसका बलात्कार करो’। लेकिन अंत में उन्होंने ऐसा नहीं किया।” इस महिला ने कहा कि वह ‘भाग्यशाली’ थी उसका बलात्कार तो नहीं किया गया पर उन लोगों ने उनके स्तनों को ज़रूर पकड़ा।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब 20 जून को प्रधानमंत्री अमेरिका दौरे पर गए तो लोग चिल्लाते रहे कि मणिपुर जल रहा है और पीएम मोदी अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं। मोदी हैं कि उन्हें तो देश से ज्यादा चिंता विदेश की है। देशवासियों से ज्यादा लगाव एनआरआई से है। मणिपुर जलता रहा। महिलाओं की अस्मत से खेला जाता रहा पर मोदी अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित कर अपनी वाह वाही लूटते रहे। अब जब दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने की वीडियो वायरल हुई और लोग मोदी सरकार को खरी-खोटी सुनाने लगे तो अब जाकर पीएम मोदी का ध्यान मणिपुर की ओर गया।
क्या मोदी मणिपुर मामले में इसलिए चुप रहे क्योंकि पीड़ित महिलाएं ईसाई और हमलावर हिन्दू समाज से हैं। क्या मोदी अपनी जिद के चलते देश और समाज के हितों से खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं ? क्या मणिपुर में अब तक राष्ट्रपति शासन नहीं लग जाना चाहिए था ? क्या मणिपुर को जलने के लिए नहीं छोड़ दिया गया है ? हालांकि आज मानसूत्र सत्र में मणिपुर का मामला गूंज रहा है पर मोदी सरकार को मणिपुर से ज्यादा चिंता दिल्ली के अध्यादेश को पास कराने की है।
दरअसल मणिपुर में हिंदू मेइतेइ और आदिवासी कुकी के बीच यह संघर्ष है। कुकी ईसाई हैं। इन दोनों समुदायों के बीच हिंसा 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद भड़क उठी थी। दो महीने से अधिक समय से ऊपर का समय हो गया है कि पूरे राज्य में हिंसा फैली हुई है।
दरअसल मणिपुर का मैतेई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहा है और यही मांग आगे चलकर पूरे विवाद की तात्कालिक वजह बनी है।