Saturday, April 20, 2024
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मिस इंडिया 2020 की रनर अप मान्या का सफलता का सफर

नेहा राठौर

कहते है सपने छोटे या बड़े नहीं होते बस उन्हें पूरा करने की दिल में चाह होनी चाहिए। उसके बाद परिस्थिति कैसी भी हो आपको अपने सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता। मान्या देश की बेटियों के लिए ऐसी ही एक प्रेरणा बनकर सामने आई हैं। मुंबई में फ़ेमिना मिस इंडिया 2020 की रनर अप मान्या सिंह, जिन्होंने अपने सपनों को खुद पंख दिए और उन्हें साकार किया। कुछ दिन पहले ही मुंबई में फ़ेमिना मिस इंडिया 2020 का ग्रैंड फ़िनाले आयोजित किया गया, जिसमें तेलंगाना के हैदराबाद की रहने वाली मानसा वाराणसी(23) ने फ़ेमिना मिस इंडिया 2020 का ताज अपने नाम कर लिया। वहीं उत्तर प्रदेश की रहने वाली मान्या सिंह और हरियाणा की मनिका शियोकांड फ़र्स्ट तथा सेकेंड रनर अप बनी।

कई लड़कियों के लिए बनी प्रेरणा

मान्या सिंह ने जीत के बाद चंद शब्दों में अपनी मेहनत और सफर को बयां करते हुए कहा कि “तू ख़ुद की खोज पर निकल, तू किस लिए हताश है। तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है” किसी भी साधारण इंसान को तब तक कोई नहीं जानता जब तक वो कुछ करके ना दिखाए। उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले की रहने वाली मान्या सिंह को भी मिस रनर अप बनने से पहले तक कोई नहीं जानता था, लेकिन आज हर कोई उनके बारे में जानना चाह रहा है। मान्या के पिता का नाम ओमप्रकाश सिंह है, जो मुंबई में ऑटो रिक्शा चालक हैं और उनकी मां मनोरमा देवी मुंबई में टेलर की दुकान चलाती हैं। मान्या का बचपन मुश्किलों में बीता है। वे इतनी मुश्किलों के बीच इस मुकाम पर पहुंचने के बाद देश की लाखों लड़कियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला देती है।

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मुश्किल परिस्थितियां

मान्या ने अपने बचपन में पैसों की तंगी का सामना किया है। कई बार तो उन्होंने भूखे रहकर भी रातें काटी हैं। पैसों की किल्लत के कारण मान्या अपने कपड़े भी खुद सिलती थीं। उनकी डिग्री की फ़ीस देने के लिए उनके मां-पापा ने ज़ेवर तक ग्रिवी रख दिए थे। अपना खर्चा और परिवार की मदद के लिए उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कॉल सेंटर में भी काम किया। उस वक्त  उन्हें लगा की अब सब बिखर चुका है आगे क्या होगा?

मान्या कहती है कि “मैं हमेशा मानती हूँ कि औरतों में एक अलग ताकत होती है। इसलिए मैं जब भी अपने माता-पिता की तरफ देखती हूँ, तो यही सोचती हूँ कि यहाँ रुक गई तो कहीं इन्हें ऐसा ना लगे कि काश बेटा होता तो संभाल लेता। इसलिए मैंने बड़ी बेटी का रोल निभाया। मैं लड़का तो नहीं बन सकती, लेकिन मैंने ऐसा ज़रूर किया कि उन्हें बड़े लड़के की ज़रूरत ही नहीं हो। मेरी मेहनत अगर 20 फीसदी है, तो उनकी लगन 80 फीसदी है, उन्होंने जिस तरह की क़ुर्बानी दी है वही मेरे लिए प्रेरणा है।” ऐसा सिर्फ मान्या के साथ ही नहीं है। ज्यादातर घरों में बेटी की जगह बेटों की चाह ज्यादा होती है। इसीलिए लड़कियां अपने मा-पापा के लिए बेटी होकर बेटे की कमी को पूरा करने की कोशिश करती है ताकि उनके होते हुए उनके मा-पापा को बेटे की कमी महसूस न हो।

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खुद पर विश्वास

कहा जाता है कि ब्यूटी कॉनटेस्ट अमीरों के लिए होते हैं, जिनके पास पैसे नहीं, उनको इस कॉनटेस्ट में हिस्सा लेने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, ऐसे में कुछ लोग तो यह सोच कर ही हिस्सा नहीं लेते है कि इन सब में अपनी मंज़िल बनाना मुश्किल हो जाएगा है। ठीक ऐसा ही मान्या के साथ हुआ। मान्या को भी ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि “बैकअप जब हमारे पास होता है तो दिमाग़ में आता है कि अगर यहाँ नहीं हुआ तो हमारे पास दूसरा विकल्प भी है, लेकिन मैंने हमेशा यही सोचा की मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है। मैंने सोचा कि मैं गिर जाऊंगी तो फिर उठूंगी और फिर से गिरी तो दोबारा उठूंगी। लोगों ने मुझ यह तक बोला की तुम मिस इंडिया जैसी नहीं दिखती, तुम कभी मिस इंडिया को लेवल तक पहुंच ही नहीं पाओगी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने खुद पर विश्वास रखा कि मैं कर सकती है और मैंने कर दिखाया” मान्या मिस इंडिया ना बन सकी, लेकिन लोगों के दिलों तक जरूर पहुंच गई।

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