Friday, October 11, 2024
Homeअन्यभांडों को भी पीछे छोड़ दिया है गोदी मीडिया के पत्रकारों ने

भांडों को भी पीछे छोड़ दिया है गोदी मीडिया के पत्रकारों ने

अपने चैनल पर राजतंत्र के चक्कर में एक डिबेट में 1947 के इतिहास को न जानने की बात करने लगा न्यूज 18 इंडिया का एंकर अमीश देवगन

यह सत्ता द्वारा बनाया गया माहौल है या जागरुकता का अभाव या फिर सत्ता के मीडिया को हाईजेक करने का असर कि लोगों को जागरूक करने वाला मीडिया निजी स्वार्थ के चलते नयी पीढ़ी को भ्रमित करने में लगा है। सत्ता के दबाव में पत्रकारिता को इस्तेमाल किया जा रहा है। मीडिया मालिकान मीडियाकर्मियों का माद्दा मारने में लगे हैं। मीडिया हाउस में संपादकों की नहीं बल्कि बीजेपी नेताओं की चल रही है। संपादक भांड और बीजेपी नेता संपादक बन गये हैं। वैसे तो देशभर में न जाने कितने पत्रकार सत्ता के भोंपू बने हुए हैं पर न्यूज 18 इंडिया के एंकर अमीश देवगन ने तो हद ही कर दी। अपने चैनल पर चल रही एक डिबेट में अमीश देवगन ने सत्ता की बात करते-करते यहां कह दिया कि वह 1947 के इतिहास को नहीं मानते। मतलब अमीश देवगन आजादी की लड़ाई को कोई तवज्जो नहीं रहे हैं। उनके लिए तो राजतंत्र ही सवार्ेपरि है। यह महाशय  लोकतंत्र से अच्छा राजतंत्र को मान रहे हैं।


न्यूज 18 इंडिया में मैनेजिंग एडिटर बताये जा रहे अमीश देवगन को क्या इतना ज्ञान नहीं है कि यदि 1947 का इतिहास न होता तो देश आजाद न होता और देश आजाद न होता तो उनके आदर्श मोदी प्रधानमंत्री न बनते। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री न बनते। यह आजादी की लड़ार्ड ही रही है कि अमीश देवगन अपने चैनल से हर तरह के कार्यक्रम चला रहे हैं। क्या अंग्रेजी शाासन या फिर राजा महाराजाओं के समय ये लोग अपना चैनल चलाने के बारेे में सोच सकते थे ? इस तरह से खुली डिबेट कर सकते थे ? मैं इस पर नहीं जाना चाहूंगा कि राजनीतिक दलों में किस दल की विचारधारा ने देश की आजादी में बड़ा रोल अदा किया और किस विचारधारा के लोग अंग्रेजों के पैरोकार थे। मेरा प्रयास यह बताने का है कि देश में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि लोग स्वतंत्रता संग्राम से ज्यादा राजा  महाराजाओं के इतिहास में दिलचस्पी ले रहे हैं। देश का युवा यह समझना नहीं चाहता कि देश की आजादी में किन किन लोगों ने कुर्बानी दी और क्या क्या यातनाएं झेली। देश कैसे आजाद हुआ ?आजाद भारत को कैसे संवारना है।
युवा यह भी नहीं जानना चाहता कि गुलाम देश में हमें क्या अधिकार थे ? कैसे और क्यों हमारा शोषण और दमन किया जाता रहा है? देश के युवा को ऐसे भ्रमित कर दिया है कि अपने भविष्य से ज्यादा दिलचस्पी राजा महाराजाओं के राज में ले रहा है। देश का युवा यह समझने को तैयार नहीं है कि राजतंत्र में जनता को कोई अधिकार नहीं थे। राजा जो चाहता था वही  होता था। राजतंत्र में राजा का बेटा ही राजा होता था। आज जिन मोदी की महिमामंडित करते उनके समर्थक नहीं थकते हैं उन मोदी को राजतंत्र में कोई राजा अपना चौकीदार भी नहीं बनाता। यह लोकतंत्र और संविधान की ही ताकत है कि आम आदमी भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बन सकता है। युवाओं को भ्रमित करने के इस माहौल बनाने में गोदी मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है। दरअसल सभी लोग जो भी चर्चा करते हैं मीडिया में प्रकाशित या दिखाये गई खबरों के आधार पर ही करते हैं और मीडिया यह दिखा रहा है जो सरकार चाह रही है। ऐसे में युवाओं का भ्रमित होना स्वभाविक है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments