तो क्या यूपी में चाचा भतीजा को छोड़कर जाएंगे। रिपब्लिकन पार्टी और इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री राम दास अठावले तो यही कह रहे हैं। जी हां महाराष्ट्र में एनसीपी के चीफ शरद पवार के भतीजे के 8 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल होकर उप मुख्यमंत्री बन जाने के बाद राम दास अठावले ने लखनऊ में कहा है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के कई नेता और विधायक बीजेपी में शामिल होंगे।
समाजवादी पार्टी के नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव और आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी का नाम उन्होंने प्रमुखता से लिया है। वैसे भी शिवपाल यादव अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली से नाराज बताए जाते हैं। उन पर भी बहुत से आरोप हैं। तो क्या आरोपों का डर दिखाकर बीजेपी शिवपाल को डरा सकती है ? वैसे भी अखिलेश यादव शिवपाल यादव के समर्थकों को कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं। उधर अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश में तोड़ फोड़ का अंदेशा जता चुके हैं। दरअसल महाराष्ट्र में प्रतिपक्ष नेता अजित पवार 8 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। बाकायदा अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। 8 विधायकों को भी मंत्री बनाया गया है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार समझ नहीं पाए कि क्या खेल चल रहा है। क्या भोपाल से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोला था कि महाराष्ट्र में जो घोटालों का खेल चल रहा है। उस पर भी उनकी नजर है। बाकायदा एनसीपी का नाम लेकर पीएम मोदी ने बोला था कि महाराष्ट्र में कॉपरेटिव बैंक घोटाला और 70 हजार को घोटाला है। मैं कार्रवाई की गारंटी देता हूं और पीएम ने कर दी कार्रवाई। भ्र्ष्टाचार के मामले में पुलिस की अपराध शाखा से क्लीन चिट दिलवा दी। इस मामले में अजित पवार और उनकी पत्नी का जेल जाना निश्चित माना जा रहा था पर शरद पवार का साथ छोड़ने की एवज में अजित पवार इस मामले में भी छूट दिलवा दी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री चीनी घोटाले में सम्पत्ति से हुई और छापेमारी भी और बाद में ईडी से राहत दे दी गई। इतना है नहीं 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में भी ईडी ने अजित पवार को राहत दे दी।दरअसल पीएम मोदी ने भोपाल में अपने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा था कि महराष्ट्र में भी बहुत घोटाले हुए हैं।
बाकायदा उन्होंने एनसीपी का नाम लेते हुए कहा था कि कॉपरेटिव बैंक घोटाला और 70 हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला हुआ है। तो क्या पीएम मोदी का यह बयान अजित पवार को डराने के लिए था ? क्या अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद उन पर लगे सभी आरोप धुल गए हैं। क्या बीजेपी जिस पर जब चाहेगी आरोप लगा देगी और जब चाहेगी राहत दे देगी ? मतलब जो नेता बीजेपी के हिसाब से चले वह ठीक और जो न चले वह क्रप्ट। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इतना बड़ा खेल चल रहा था तो शरद पवार की समझ में क्यों नहीं आया ? या फिर शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद जब सभी नेता इस्तीफा वापस लेने के लिए शरद पवार से अनुरोध कर रहे थे। रो रहे थे तो अजित पवार ने कुछ रिएक्शन नहीं दिया। जब शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफा वापस लिया तो उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित पवार मौजूद नहीं थे। जब 10 जून को पार्टी के स्थापना दिवस पर शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया तो अजित पवार की नाराजगी शरद पवार को दिखाई नहीं दी। जब अजित पवार के साथ शरद पवार के साथ शरद पवार अन्याय करते रहे तो फिर बीजेपी को मौका उठाती ही और यही हुआ। बीजेपी ने खेल कर दिया।