Friday, May 3, 2024
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Special Session of Lok Sabha : बीजेपी को भारी पड़ने वाला है दानिश अली के खिलाफ रमेश बिधूड़ी का बयान 

चरण सिंह राजपूत 
नई दिल्ली। बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के बसपा सांसद दानिश अली को भरी लोकसभा में आतंकवादी, उग्रवादी और मुल्ला आतंकवादी कहने का मामला राजनीतिक हलकों में गरमा गया है। क्योंकि दानिश अली बसपा के सांसद हैं और बसपा एनडीए के साथ बताई जा रही थी। इस मामले के बाद बीएसपी के इंडिया के साथ जाने की संभावना बन गई है। अपने आक्रामक मूड के लिए जाने जाने वाली मायावती उखड़ गईं तो बीजपी को यह मामला भारी पड़ सकता है।
देखने की बात यह है कि बसपा और कांग्रेस की नजदीकियां लगातार बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश में यदि बसपा, कांग्रेस और सपा मिलकर लड़ लिए तो बीजेपी  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति पलट सकते हैं। उत्तर प्रदेश में बसपा का वोटबैंक 14 फीसदी माना जाता है और बसपा मुखिया देश की एकमात्र नेता हैं जो अपना वोटबैंक कन्वर्ट करा सकती है।
दरअसल कांग्रेस की रणनीति है कि न केवल देश बल्कि उत्तर प्रदेश में भी दलित कार्ड खेला जाये। जिस तरह से बीजेपी ने पहले दलित रामनाथ कोविद को और फिर आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया और दलित कार्ड खेला ऐसे ही दलित कार्ड खेलने का प्लान कांग्रेस का है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बना सकती है। मायावती को यह आश्वासन दिया जा सकता है कि सरकार बने या न बने उनकी ओर से राष्ट्रपति पद की दावेदार वही होंगी।
देखने की बात यह है कि यदि कोई आम आदमी किसी व्यक्ति को आतंकवादी या उग्रवादी या फिर उसके धर्म को लेकर टिप्पणी कर दे तो उस पर एक्शन ले लिया जाता है। पर यदि कोई व्यक्ति देश की संसद में बैठ रहा है। जनप्रतिनिधि है साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी का नेता भी है। वह किसी पार्टी के सांसद को आतंकवादी, मुल्ला आतंकवादी बोल दे तो क्या उस सांसद पर कार्रवाई नहीं होने चाहिए ? होनी चाहिए न। पर सबका साथ और सबका विकास का नारा देने वाली बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने भरी संसद में बसपा के सांसद दानिश अली को ओ आतंकवादी, ओ मुल्ला आतंकवादी कहकर बुलाया पर उन पर कोई कार्रवाई नहीं की  गई। क्या यही बीजेपी का सबका साथ और सबका विकास है।  जबकि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव की सभा में मोदी सरनेम को लेकर गलत टिप्पणी क्या दी कि उन पर मामला दर्ज कर लिया गया था। इस मामले में उन्हें उनको 2 साल की सजा कराई गई जिससे उनकी सांसदी चली जाये और उनकी सांसदी ले भी ली। वह तो सुर्पीम कोर्ट ने मामले को समझा और राहुल गांधी की सदस्यता बहाल की।
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