Friday, October 11, 2024
Homeअन्यभारत और कजाखस्तान ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये

भारत और कजाखस्तान ने पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये

अस्ताना। भारत और कजाखस्तान ने आज पांच महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए रक्षा समझौता और यूरोनियम की आपूर्ति का अनुबंध शामिल है। दोनों देशों के बीच ये समझौते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कजाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव के बीच समग्र वार्ता के बाद हुए जिसमें इन्होंने आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में सक्रियता से सहयोग करने का निर्णय किया। मोदी ने नजरबायेव के साथ सीमित लोगों की वार्ता के साथ शिष्टमंडल स्तरीय चर्चा भी की। मोदी ने कहा कि दोनों ने भारत और हाइड्रोकार्बन की प्रचुरता वाले कजाखस्तान के बीच ढांचागत अवरोधों को द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार से दूर करने की दिशा में करीबी सहयोग पर भी सहमति व्यक्त की। नजरबायेव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”हमने कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया जिसमें क्षेत्रीय शांति, कनेक्टिविटी, समन्वय, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई शामिल है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सामरिक गठजोड़ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग का महत्वपूर्ण आयाम है। उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों इसे मजबूत बनाना चाहते हैं जिसमें रक्षा विनिर्माण शामिल है। हम रक्षा सहयोग के क्षेत्र में नये सहमति पत्र का स्वागत करते हैं।’’ इस सहमति पत्र से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग का दायरा और व्यापक होगा जिसमें नियमित आदान प्रदान यात्राएं, विचार विमर्श, सैन्य कर्मियों का प्रशिक्षण, सैन्य तकनीकी सहयोग, संयुक्त अभ्यास, संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा अभियानों में सहयोग, विशेष बलों का आदान प्रदान आदि शामिल है।

मोदी ने एनसी ‘‘काजएटमप्रोम’’ जेएससी और एनपीसीआईएल के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया जो ऊर्जा संबंधी भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकृत दीर्घावधि के लिए प्राकृतिक यूरेनियम की आपूर्ति से संबंधित है। उन्होंने कहा, ”कजाखस्तान उन पहले देशों में शामिल है जिसके साथ हमने यूरेनियम की खरीद के अनुबंध के जरिये असैन्य परमाणु सहयोग किया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ”हम अब दूसरे और वृहद अनुबंध करने से खुश हैं। हम अन्य खनिजों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने का इरादा रखते हैं।’’ प्रधानमंत्री मोदी और कजाखस्तान के राष्ट्रपति नजरबायेव के बीच वार्ता के बीच एक संयुक्त बयान ‘तेज कदम’ भी जारी किया गया। इस संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने अपने करीबी क्षेत्र और दुनिया के कई हिस्सों में आतंकवाद की बढ़ती चुनौती को रेखांकित किया और शांतिपूर्ण आर्थिक विकास के लिए स्थिर और सुरक्षित माहौल के महत्व पर जोर दिया। इसमें कहा गया है, ”दोनों ने आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय सहभागिता जारी रखने पर सहमति व्यक्त की जिसमें सूचनाओं का आदान प्रदान शामिल है।’’

इस परिदृश्य में इन्होंने नियमित तौर पर आतंकवाद निरोधक संयुक्त कार्यकारी समूह की बैठक और अंतर एजेंसी विचार विमर्श के महत्व को रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संयुक्त राष्ट्र संधि को जल्द से जल्द पूरा करने का आह्वान किया। कजाखस्तान को क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार होने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ”लेकिन हमारे संबंध हमारी क्षमताओं के अनुरूप कम हैं। हम अपने आर्थिक संबंधों को नये स्तर तक ले जाने के लिए मिलकर काम करेंगे।’’ भारत और कजाखस्तान के बीच हुए समझौतों में सजायाफ्ता लोगों के स्थानांतरण, मानव संसाधन एवं सांस्कृतिक आदान प्रदान और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि मध्य एयिशा के साथ भारत के संबंधों के बारे में उनकी जो परिकल्पना है, उसमें कजाखस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। उन्होंने कहा, ”हम कजाखस्तान के साथ अपने संबंधों को काफी महत्व देते हैं। मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के लिए हमारे पास बाजारों, संसाधनों और कौशल के क्षेत्र में मिलकर काम करने का काफी अवसर है। हमने कई क्षेत्रों में हमारी आर्थिक नीतियों, पहलों और रणनीतियों को इस अनुरूप बनाया है।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी का यहां अकोरदा राष्ट्रपति महल में शानदार स्वागत किया गया। मोदी ने एक बार फिर नजरबायेव को उनके 75वें जन्मदिन पर बधाई दी और कजाखस्तान की प्रगति के बारे में उनकी दृष्टि की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नजरबायेव को भारत में जन्मे धर्मों से जुड़ी पुस्तकों का एक सेट भेंट किया। राष्ट्रपति नजरबायेव 2003 के बाद से अस्ताना में पैलेस आफ पीस एंड एकार्ड में विश्व नेताओं एवं पारंपरिक धर्मों की कांग्रेस का आयोजन हर तीन वर्ष के अंतराल पर करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कजाख राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब का अंग्रेजी अनुवाद भेंट किया। इसके साथ ही दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा एकत्र पांडुलिपियों की विशेष तौर पर तैयार प्रतिकृति भी भेंट की। इन प्रतिकृतियों में जैन धर्म का पूज्य ग्रंथ प्रकृत भाषा में भद्रबाहु रचित कल्पसूत्र, बौद्ध धर्म का संस्कृत में रचित ग्रंथ अशतासाहासरिका प्रज्ञापरामिता और वाल्मिकी रामायण का नस्तालिक लिपी में फारसी अनुवाद शामिल है।

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments