Tuesday, May 21, 2024
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Independence Day : गुमनाम क्रांतिकारियों को समर्पित हो यह स्वतंत्रता दिवस 

चरण सिंह राजपूत 

देश 77वां स्वत्रंत्रता दिवस मना रहा है। 1947 में देश के आज़ाद होने के बाद हम हर साल आज़ादी का जश्न मनाते हैं। कुछ औपचारिकताएं होती हैं और मन जाता है स्वत्रंत्रता दिवस। आज़ादी की लड़ाई में अनगिनत लोगों ने बलिदान दिया। कितनों को फांसी हुई। कितनों को काला पानी की सजा हुई। इस बलिदान में ऐसे  क्रांतिकारी बड़े स्तर पर रहे हैं जिनको तो कोई जानता भी नहीं है । 1857 के संग्राम में वैसे तो हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़े स्तर पर लोगों ने शहादत ईद थी पर धन सिंह कोतवाल की बगावत की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों पर ज्यादा कहर बरपाया गया था।

धन सिंह कोतवाल के गांव पर तो तोपें लगा दी गई थीं। सुबह जब लोग सोच के लिए जा रहे थे उनको तोपों से उड़ा दिया गया था। उस दौर में 350 लोगों क तोपों से उड़ाने की बात सामने आती है। कितने लोगों को तो पेड़ पर ही फांसी दे दी गई थी। दादरी रियासत के राव उमराव सिंह को तो हाथी के पैरों तले रौंदवाने की बात सामने आती है। राव उमराव सिंह के भी  अंग्रेजों से हल चलवाने की बात सामने आती है।

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के ब्नद भारत छोड़ो आंदोलन में बड़े स्तर पर शहादत हुई थी। भारत छोड़ो आंदोलन में कांग्रेस के बड़े नेताओं के गिरफ्तार होने की वजह से आंदोलन जनता के हाथ में आ गया था। हालांकि डॉ, राम मनोहर लोहिया  भूमिगत रहकर आंदोलन  की अगुवाई कर रहे थे। इस आंदोलन में 50000 से ज्यादा लोगों की शहादत की बात सामने आती है। एक लाख से ऊपर लोग गिरफ्तार हुए थे। इन शहादत के बारे में कितने लोग जानते हैं। दरअसल आज़ादी में सब कुछ न्यौछावर करने वाले लोगों के परिजन तो आज भी फटे हाल में जिंदगी जी रहे हैं। आज़ादी की मलाई अधिकतर वे लोग ही चाट रहे हैं जिनका आज़ादी की लड़ाई से कोई खास लेना देना नहीं है।
जमीनी हकीकत तो यह है कि अंग्रेजों से बगावत करने वाले लोगों की सम्पत्ति छीनकर अंग्रजों ने अपने चाटुकारों और मुखबिरों को दे दी थी। देश में आज़ाद होने के बाद यही हुआ कि लड़ने वाले लोग फटे हाल में होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ पाए। पीछे धकेल दिए गए और जिन लोगों को अंग्रेजों ने सम्पत्ति दी थी वे लोग पैसों और रुतबे के बल पर आगे आ गए। रानी लक्ष्मी बाई की शहादत पर अंग्रेजों के जश्न का पूरा खर्च उठाने वाली ग्वालियर रियासत के युवराज और रानियां लम्बे समय तक आज़ादी की मलाई चाटते रहे। रामपुर की रियासत ने लम्बे समय तक सत्ता के मजे लिए। जिन आजम खान ने रामपुर रियासत के राजनीतिक वजूद को खत्म किया आज वह जेल की सजा काट रहे हैं। उनका पूरा राजनीतिक करियर खत्म कर दिया गया। मतलब आज भी क्रांतिकारियों के परिजनों की सुध लेने वाला कोई नहीं।
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