आज का दिन

पोर्टलैंड से दुनिया भर में कैसे फैला धर्म दिवस

By अपनी पत्रिका

January 17, 2021

नेहा राठौर (17 जनवरी)

आज यानी 17 जनवरी को कई देशों में धर्म दिवस मनाया जाता है। अब आप कहेंगे कि धर्म को दिखाने का भी कोई दिन होता है मंदिर तो रोज जाते है, पर यहां धर्म दिवस का मतलब  पूजा-पाठ से नहीं है। इस दुनिया में हजारों संस्कृतियों के साथ सैंकड़ों राष्ट्र है। कितने ही धर्म और लोगों की मान्याताएं है, जिनके बारे में हम जानते भी नहीं है। धर्म दिवस आपको अपने धर्म संस्कृति को फिर चाहे वो हिंदू, यहूदी, कैथोलिक, शिंटो, बौद्ध हों या एक लाख अन्य धर्मों में से, दूसरों के साथ साझा करने और दूसरों से उनके बारे में जानने का अवसर देता है।

धर्म दिवस का इतिहास

धर्म दिवस पहली बार पोर्टलैंड में “विश्व धर्म के माध्यम से विश्व शांति” के शीर्षक के तहत मनाया गया था। अक्टूबर 1947 में फ़िरोज़ काज़मज़ादे ने ईस्टलैंड पार्क होटल में बातचीत की मेजबानी की थी, तब से इस दिन को दुनिया भर में मनाया जाने लगा, इस दिन मजबूत लेखकों, शिक्षकों और दार्शनिकों के साथ अलग अलग स्थानों पर विश्व धर्मों के महत्व के बारे में बात की जाती है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया में प्रचलित हजारों धर्मों के बारे में जागरूकता और ज्ञान का प्रसार करना है, और सभी धर्मों के लोगों के बीच सहिष्णुता और समझ को साझा करना है।

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धर्म दिवस मनाने का तरीका

धर्म दिवस को मनाना बहुत आसान है, बस आपको अपने खुले दिमाग से अपने आस-पास की दुनिया के विश्वासों और संस्कृतियों को जानने के लिए केवल समय और प्रयास की आवश्यकता है। यह दिन रुपांतरण के बारे में है, उन धर्मों के बारे में सीखने के बारे में है, जो आपके आस-पास की दुनिया को आकार देते है।

आज के दिन धर्म के वर्जित विषय को खोलने के लिए कुछ समय निकालें और अपने आस-पास के लोगों के बारे में जो भी विश्वास करते हैं, उसके बारे में जानें और अपने पसंदीदा धर्मों में थोड़ा शोध भी करें ताकि अपने उन संस्थापक धर्मों के बारे में थोड़ा जान सकें। फिर चाहे हजारों भगवानों के साथ हिंदू आस्था के बारे में सीख रहे हों, या हजारों साल पहले ईसाई धर्म के हजारों संप्रदाय से जुड़े विश्वास के बारे में। यह दिन आपने आस पास के लोगों के धर्मों के बारे में जानने का अवसर है।

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याद रखें कि  धर्म दिवस रुपांतरण के बारे में है। दूसरे से खुले दिल और खुले दिमाग के साथ बात करें, और अपने धर्म को जो कहना है उसे साझा करें, और फिर उन्हें सुनने के लिए समय निकालें।

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