Saturday, July 27, 2024
Homeअन्यDelhi Riots : धार्मिक स्थल जलाने के मामले में कोर्ट ने पांच...

Delhi Riots : धार्मिक स्थल जलाने के मामले में कोर्ट ने पांच पर आरोप तय करने का दिया आदेश

 दिल्ली दंगे में धार्मिक स्थल व पुस्तक जलाने के मामले में शुक्रवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच लोगों पर आरोप तय करने का आदेश कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने कहा कि अंकित सौरभ रोहित राहुल कुमार और सचिन के खिलाफ आरोप तय करने को कहा।

नई दिल्ली । उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे में धार्मिक स्थल व पुस्तक जलाने के मामले में शुक्रवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच लोगों पर आरोप तय करने का आदेश कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने कहा कि आरोपित अंकित, सौरभ, रोहित, राहुल कुमार और सचिन के खिलाफ दंगा करने, घातक हथियारों का उपयोग करने, आग लगाने, जबरन किसी की संपत्ति में घुसने समेत कई आरोप बनते हैं। आरोपित रोहित पर भीड़ को उकसाने का आरोप तय करने का आदेश भी किया है।

फरवरी 2020 में हुए दंगे के दौरान दंगाइयों ने करावल नगर थाना क्षेत्र की शहीद भगत सिंह कालोनी गली नंबर-12 में एक धार्मिक स्थल में आग लगा दी थी। मोहम्मद इमरान नाम व्यक्ति ने इसकी शिकायत की थी, उसमें आरोप लगाया था कि दंगाइयों ने वहां पर मूर्ति लगा दी थी और धार्मिक पुस्तक को भी जला दिया था। इस मामले में जांच के आधार पर पुलिस ने अंकित, सौरभ, रोहित, राहुल कुमार और सचिन को आरोपित बनाया था।

आरोपों पर बहस के दौरान आरोपितों की ओर से पेश वकील ने कहा कि जिस वीडियो पर पुलिस भरोसा कर रही है वह 25 फरवरी 2020 का है, जबकि मौजूदा केस की घटना 24 फरवरी 2020 को हुई है। इस वीडियो में कहीं भी पांचों लोग आग लगाते हुए नजर नहीं आ रहा। यह सवाल उठाया गया कि आरोपितों की पहचान परेड नहीं कराई गई है।

अभियोजन की तरफ से विशेष लोक अभियोजक नितिन राय शर्मा ने दलील दी कि चश्मदीद गवाह ने वीडियो से देखकर आरोपितों की दंगाई के रूप में पहचान की है। कोर्ट ने गवाह के बयान से पाया कि रोहित ने भीड़ को उकसाया, सौरभ ने धार्मिक स्थल में आग लगाई और बाकी तीन लोग धार्मिक स्थल से सामान बाहर निकाल कर उसे नुकसान पहुंचा रहे थे।

कोर्ट ने इन पांचों पर आरोप तय करने का आदेश कर दिया। कोर्ट ने पहचान परेड न होने की बचाव पक्ष की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस आधार पर आरोप मुक्ति की मांग नहीं की जा सकती। कोर्ट ने वीडियो को लेकर भी कहा कि इससे आरोपित की पहचान कराने को गैर कानूनी या अमान्य करार नहीं दिया जा सकता।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments